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टीपी कॉलेज में मतगणना तक इवीएम बंद

मधेपुरा : जिला मुख्यालय स्थित टीपी कॉलेज परिसर में सभी ईवीएम को सुरक्षित रखने के लिए वज्रगृह बनाया गया है. इस बाबत विधानसभा वार ईवीएम रखने के लिए अलग-अलग छह वज्रगृह है. इनमें आलमनगर, बिहारीगंज, मधेपुरा, सोनवर्षा, महिषी एवं सहरसा विधानसभा से ईवीएम लाकर रखे जाएंगे. सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है. हर वज्रगृह […]

मधेपुरा : जिला मुख्यालय स्थित टीपी कॉलेज परिसर में सभी ईवीएम को सुरक्षित रखने के लिए वज्रगृह बनाया गया है. इस बाबत विधानसभा वार ईवीएम रखने के लिए अलग-अलग छह वज्रगृह है. इनमें आलमनगर, बिहारीगंज, मधेपुरा, सोनवर्षा, महिषी एवं सहरसा विधानसभा से ईवीएम लाकर रखे जाएंगे. सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है.

हर वज्रगृह में ईवीएम वीवीपैट एवं कागजात जमा करने के लिए 4 से 5 काउंटर लगाया गया है. ईवीएम की पूर्ण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वज्रगृह को पूरी तरह सीलबंद बनाया गया है. द्वार के अलावा हर खिड़की एवं रोशनदान को पक्के दीवाल से बंद कर दिया गया. सतत निगरानी के लिए सीसीटीवी की व्यवस्था की गई है.
इस बाबत प्राप्त जानकारी के अनुसार ईवीएम को रखने के लिए बनाए गए स्ट्रांग रूम में उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि खुद का भी सील लगा सकते हैं. स्ट्रांग रूम के सामने शिविर भी लगा सकते हैं. 24 घंटे इन स्ट्रांग रूम की सुरक्षा बहुस्तरीय तरीके से होना है. स्ट्रांग रूम के वरीय प्रभारी डीडीसी विनोद कुमार सिंह को बनाया गया है. मिली जानकारी के अनुसार लोकसभा क्षेत्र से अहले सुबह तक वज्रगृह में इवीएम जमा होती रहेगी.
इवीएम में बंद हुई प्रत्याशियों की तकदीर
मधेपुरा : मधेपुरा लोकसभा सीटों पर चुनाव संपन्न होने के बाद सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है. इन्हीं वोटों के आधार पर हार-जीत का फैसला भी होगा. यह तय है कि अब वोटों में कोई बदलाव मुमकिन नहीं है. इसके बावजूद मतदान प्रक्रिया निपटते ही दिमागी गणित लगना शुरू हो गया है.
समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं. किसी के पास क्षेत्र का आंकड़ा है तो कोई जाति-धर्म की गणना में लगा है. सबका हिसाब दुरुस्त है और मतगणनना तक इसका सिलसिला यूं ही चलता रहेगा. मतगणना 23 मई को होगी : मतगणना 23 मई को होनी है. यानी, परिणाम जानने के लिए लगभग एक माह से ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा.
पर, प्रत्याशियों, उनके समर्थक और आम लोगों ने मतदान पूर्ण होने के बाद ही हार-जीत का गणित लगाना शुरू कर दिया. कई विधान सभा क्षेत्रों में जातियों और धर्म का फैक्टर ज्यादा प्रभावी दिखा. जबकि कहीं-कहीं क्षेत्र के मुद्दे और प्रत्याशी का कार्य-व्यवहार हार-जीत का कारण बन सकता है. इसी लिहाज से तमाम लोगों ने अपना-अपना अंदाजा लगाना शुरू कर दिया है. अब तो मतगणना तक हार जीत के समीकरण पर चर्चा होती रहेगी.
मधेपुरा लोकसभा
मतदाता-18,44, 860
पुरुष- 974874
महिला-907763
थर्ड जेंडर- 31

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