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लोग हो रहे बीमार गड़बड़ी. बाजार में िबक रही मिलावटी खाद्य सामग्री

कोसी प्रमंडल के तीनों जिले के लिए है एक ही फूड इंस्पेक्टर, सहरसा के इंस्पेक्टर को ही है मधेपुरा का प्रभार मधेपुरा : स्वास्थ्य विभाग व राज्य स्वास्थ्य समिति मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिये जाने को लेकर अपने अभियान में जुटी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की नजरें बाजार में बिक रहे मिलावटी खाद्य […]

कोसी प्रमंडल के तीनों जिले के लिए है एक ही फूड इंस्पेक्टर, सहरसा के इंस्पेक्टर को ही है मधेपुरा का प्रभार

मधेपुरा : स्वास्थ्य विभाग व राज्य स्वास्थ्य समिति मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिये जाने को लेकर अपने अभियान में जुटी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की नजरें बाजार में बिक रहे मिलावटी खाद्य सामग्री व खाद्य पदार्थों की ओर अब तक इनायत नहीं हो पायी है. ऐसे में मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी भी हो रही है.मधेपुरा सहित पूरे कोसी क्षेत्र में खाद्य सामग्री व खाद्य पदार्थों की बिक्री वाले दुकानों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है.
छोटे -बड़े होटलों के अलावा फुटपाथी दुकानों में भी लगातार इजाफा हुआ है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के लिए इसका कोई मायने नहीं. स्वास्थ्य विभाग की शिथिलता को देख मिलावटी खाद्य सामग्री व खाद्य पदार्थों की बिक्री करने वाले भी आराम से अपने कारोबार में लीन है. बाजार पर आश्रित लोग भी आंख मूंदकर कुछ भी खरीदने व खाने को विवश हैं.
दाम तो बढ़ा देते, उचित भोजन नहीं देते: अधिकतर होटल व ठेले में मिलने वाले खाद्य पदार्थों की कीमत लगातार बढ़ी है, लेकिन कीमत के अनुरूप कभी खाद्य सामग्री की गुणवत्ता ठीक नहीं रहती. सवाल करने पर होटल कारोबारी या दुकानदार उन ग्राहकों को भी आंख दिखाने से बाज नहीं आते.
फुटपाथी खाद्य दुकानों में भी होती है मिलावट: छोटे व बड़े बाजारों में फुटपाथी खाद्य पदार्थों की बिक्री के लिए दुकानें सजी रहती है. इन दुकानों में भी मिलावट की प्रचुरता रहती है. सत्तू की दुकान हो या फिर लिट्टी की या फिर समोसे व भूंजे की, दुकानदार नकली सामान की मिलावट करने से बाज नहीं आते.
पहले भी हुई थी शिकायत: विभागीय स्तर पर नहीं होती जांच स्वास्थ्य विभाग मिलावट व नकली खाद्य पदार्थों का सेवन कर मरीज बनने को लेकर कारगर कार्रवाई नहीं करती. लोगों का मानना है कि बाजार में बिक रहे नकली व मिलावटी खाद्य सामग्री व खाद्य पदार्थों की निरंतर जांच किये जाने से लोगों के मरीज बनने की रफ्तार में अवश्य ही कमी जायेगी. फूड इंस्पेक्टर भोजन की जांच में शायद ही कभी आते हैं. गत के सिविल सर्जन ने इस मामले में विभाग को शिकायत पत्र भेजा था.
अक्सर मिलता है बासी खाना : कोसी प्रमंडल अंतर्गत तीनों जिलों में भोजन उपलब्ध कराने के लिए दर्जनों होटल व रेस्टोरेंट है. इनमें से अधिकांश होटल मानकों को पूरा नहीं करते. होटल के आगे लगे आकर्षक साइन बोर्ड को देख ग्राहक होटल कर्मियों के मोहपाश में फंस जाते हैं. उन्हें पछतावा तब होता है जब सामने रखे भोजन को ग्रहण करते हैं. बासी खाना से निकलते स्मेल के बाद भी वे पेट भरने की खातिर उस खाना को भी गटक जाते हैं. जुबां खोलने पर उल्टे उन्हें ही खरी-खोटी सुननी पड़ जाती है.

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