सूर्यगढ़ा : मानव शरीर का सामान्य तापमान 33.5 डिग्री सेल्सियस होता है, इतना तापमान बाहर भी रहे तो कोई दिक्कत नहीं, पर बाहरी वातावरण में तापमान इससे अधिक होता है तो वह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता. इससे शारीरिक कष्ट का अनुभव होता है. सेहत बुरी तरह प्रभावित होती है. बाहरी वातावरण में तापमान बढ़ने से शरीर का तापमान भी स्वाभाविक रूप से बढ़ता है. शरीर भी बाहरी तापमान को सोख कर संतुलन की स्थिति पैदा करता है,
पर इसमें शारीरिक दशा के बिगड़ने का खतरा बढ़ जाता है. खासकर बुढ़े व बच्चे को अधिक परेशानी होती है. ऐसे में बच्चों व बुढ़ों का खास ख्याल रखना जरूरी है. चिकित्सक डॉ उपेंद्र प्रसाद सिंह के मुताबिक अपनी शारीरिक दशा के चलते शिशु व बुद्ध दोनों ही तापमान को सहने के लिहाज से सामान्य प्रौढ़ व्यक्ति की तुलना में ज्यादा नाजुक होते हैं. इधर एक पखवारे से गरमी बढ़ने से अस्पतालों व निजी क्लीनिक में मरीजों की संख्या बढ़ी है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सूर्यगढ़ा डॉ सत्येंद्र कुमार के मुताबिक तापमान व गरमी में हाल की वृद्धि के चलते अस्पताल में मरीजों की संख्या 20 प्रतिशत तब बढ़ी है. चिकित्सक डॉ ए रहमान के मुताबिक अब सनस्टोक की चपेट में आये मरीज भी अस्पताल पहुंच रहे हैं. चिकित्सक के मुताबिक गरमी के मौसम में तापमान ज्यादा होने की स्थिति में अगर कोई अचानक बाहर धूप में चला जाता है तो शरीर का तापमान भी तेजी से बढ़ने लगता है. इस दौरान तेजी से शरीर में पानी की कमी होती है. इससे डायरिया और डिसेंट्री का खतरा बढ़ जाता है. डायरिया और डिसेंट्री की स्थिति में डिहाइड्रेशन तेजी से बढ़ता है, यही वह स्थिति है जब व्यक्ति दुर्बल होने के साथ-साथ बहुत आसानी से लू का शिकार हो जाता है.