लखीसराय : भविष्य में कजरा का लाइफ लाइन माने जाने वाला सह कजरा-धरहरा पथ को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण अधूरा रहने से कजरा क्षेत्रवासी ही नहीं बल्कि कजरा से जमालपुर जाने वाले लोगों को मालवाहक व निजी वाहन ले जाने के सिर दर्द बनेगा. यहां बता दें कि कजरा बाजार से रेलवे स्टेशन होते हुए एक सड़क तो है, लेकिन वह रेलवे के क्षेत्राधीन है.
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पांच वर्षों में पूरा नहीं हो सका कजरा की लाइफ लाइन सड़क का निर्माण
लखीसराय : भविष्य में कजरा का लाइफ लाइन माने जाने वाला सह कजरा-धरहरा पथ को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण अधूरा रहने से कजरा क्षेत्रवासी ही नहीं बल्कि कजरा से जमालपुर जाने वाले लोगों को मालवाहक व निजी वाहन ले जाने के सिर दर्द बनेगा. यहां बता दें कि कजरा बाजार से रेलवे स्टेशन होते […]
कजरा बाजार से नरोत्तमपुर उच्च विद्यालय के पास से सहमालपुर गांव होते हुए 2.20 किलोमीटर की एक सड़क निर्माणाधीन है, जो खैरा गुमटी से कजरा रेलवे स्टेशन के बीच सड़क में जाकर मिलेगी, जिसका निर्माण अधर में लटके होने से वर्तमान समय में लोगों के समक्ष कजरा रेलवे स्टेशन के रास्ते ही निकलने की मजबूरी है. कुछ समय पूर्व रेलवे द्वारा इस रास्ते में लोहे का पोल गाड़े जाने से रास्ता अवरुद्ध हो गया था. हालांकि बाद में रेलवे द्वारा उसे हटा लिया गया.
अब यदि रेलवे पुन: ऐसा कोई कदम उठाता है, तो स्थानीय लोगों को परेशानी होगी. इसे विभागीय उदासीनता कहें या फिर संवेदक की लापरवाही, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2016-17 में लगभग 2.20 किमी लंबी सड़क का निर्माण लाखों रुपये की लागत से बनाया गया है, लेकिन वह कजरा-धरहरा मुख्य सड़क से नहीं जुड़ सका है.
कजरा क्षेत्र के ग्रामीणों ने कहा कि भविष्य में कजरा क्षेत्रवासियों के लिए उक्त सड़क लाइफ लाइन है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि लगभग दो वर्ष बीत जाने के बाद भी कजरा-धरहरा पथ को नहीं जोड़ सका है, जिसका मुख्य कारण निजी जमीन का होना बताया जा रहा है.
साथ ही कजरा क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अगर जिला प्रशासन द्वारा समस्या का समाधान को लेकर गंभीरता दिखाता है, तो शायद कजरा क्षेत्रवासियों के लिए तोहफा साबित हो सकता है.
कजरा बाजार निवासी पंकज कुमार ने उक्त सड़क के मुख्य सड़क से नहीं जुड़ने पर खेद प्रकट करते हुए कहा कि कजरा क्षेत्रवासियों के प्रति अच्छी सोच रखी जाती, तो कजरा क्षेत्र की सूरत कब की बदल गयी होती. वहीं उत्तम कुमार ने कहा कि आजादी के सात दशक बाद भी कजरा सुदूर देहात व पिछड़ा क्षेत्र के नाम से चर्चित होने के बाद भी इसके विकास के प्रति किसी ने जहमत नहीं उठायी. नतीजतन कजरा अपने अतीत पर आंसू बहाने को विवश हैं.
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