प्रतिनिधि, किशनगंज
क्या है इतिहास
थायराइड से शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों तथा उनके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य के साथ सबसे पहले अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन के सहयोग से संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘थायराइड जागरूकता माह’ मनाए जाने की शुरुआत हुई थी. दरअसल वर्ष 1923 में जनवरी माह में ही ‘अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन’ का गठन किया गया था. क्या है उद्देश्य बाद में इस राष्ट्रीय अभियान को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली और अब दुनिया के कई देशों में थायराइड जागरूकता माह मनाया जाता है. इस आयोजन के तहत पूरे माह थायराइड के बारे में जागरूकता बढ़ाने और थायराइड के बारे में लोगों की समझ को बेहतर करने के उद्देश्य से कई प्रकार के कार्यक्रमों, स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम व शिविर तथा अन्य कई प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन का एक उद्देश्य थायराइड व उसके कारण होने वाली समस्याओं व रोगों के बेहतर इलाज व प्रबंधन के लिए प्रयासों व अनुसंधान को बढ़ाना तथा इसके लिए वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य व सामाजिक संगठनों, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं तथा व्यक्तिगत स्तर पर लोगों से भागेदारी सुनिश्चित करने की अपील करना भी है. थायराइड का लक्षणअगर कम उम्र में ही हमेशा थकान रहे, कम खाने के बाद भी वजन तेजी से बढ़ रहा है. कम उम्र में ही बुढ़ापे के निशान दिखने लगें तो समझ लीजिए कुछ ठीक नहीं है. बाल गिरने लगना, स्किन ड्राई, हमेशा चिड़चिड़े रहना जैसे संकेत दिख रहें तो समझ लें कि आप साइलेंट किलर थायराइड के शिकार हो गए हैं. थायराइड के मरीजों को अपनी लाइफस्टाइल और खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है. दरअसल खराब दिनचर्या और गलत खानपान इसका बड़ा कारण है.
थायराइड के लक्षणवजन कम होना
घबराहट
थकान
सांस फूलना
कम नींद आना
अधिक प्यास लगना
हाइपोथायराइडिज्म
वजन बढ़ना
थकानअवसाद
मानसिक तनावबालों का झड़ना
त्वचा का रूखा और पतला होनायह है थायराइड
एमजीएम मेडिकल कालेज के चिकित्सक डॉ शिव कुमार ने बताया कि थायराइड तितली के आकार का एक ग्लैंड होता है. ये सांस की नली के ऊपर होता है. थायराइड ग्लैंड थ्योरिकसिन नाम का हार्मोन बनाती है. ये हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और बॉडी में सेल्स को कंट्रोल करता है. दो प्रकार होते हैं. थायराइड हार्मोन में कमी से हाइपोथायरायडिज्म (अचानक वजन बढ़ना) होता है और थायराइड हार्मोन के बढ़ने से हाइपरथायरायडिज्म होता है. आहार में उचित आयोडीन स्तर बनाए रखने और कच्ची गोइट्रोजेनिक सब्जियों के उपयोग को सीमित करने से थायराइड रोगों से बचने में मदद मिलती है.
खानपान का रखें ध्यान
डॉ शिव कुमार ने बताया कि थायराइड के मरीजों को ग्लूटेन के सेवन को कम करना चाहिए. ग्लूटेन वाली चीजों का अधिक सेवन करने से छोटी आंत में जलन पैदा कर सकता है और थायराइड हार्मोन की दवा ले रहें है तो उसका असर कम कर देती है. इसलिए अपनी डाइट में चावल, पास्ता, ब्रेड आदि कम ही शामिल करें. कैफीन युक्त चीजों का सेवन भी कम से कम करना चाहिए. क्योंकि ये थायराइड ग्रंथि और थायराइड के स्तर दोनों पर बुरा प्रभाव डालता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है