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650 के विरुद्ध मात्र एक आदेश पर हुई कार्रवाई

अनदेखी. लोक प्राधिकार की लापरवाही का हुआ खुलासा कई विभागों के अधिकारियों की पोल खुल गयी कि लोगों के शिकायत को लेकर वे कितने संवेदनशील है. लगभग सभी लोक प्राधिकारों ने पीजीआरओ के आदेश का अनुपालन कराने की जगह इसे ठंडे बस्ते में डाला है. खगड़िया : बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी में अपर मिशन […]

अनदेखी. लोक प्राधिकार की लापरवाही का हुआ खुलासा

कई विभागों के अधिकारियों की पोल खुल गयी कि लोगों के शिकायत को लेकर वे कितने संवेदनशील है. लगभग सभी लोक प्राधिकारों ने पीजीआरओ के आदेश का अनुपालन कराने की जगह इसे ठंडे बस्ते में डाला है.
खगड़िया : बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी में अपर मिशन निदेशक के पद पर तैनात डॉ प्रतिमा के एक पत्र ने जिले में खलबली मचा दी है. अपर मिशन निदेशक ने बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम को लेकर डीएम को पत्र लिखा है. बताया जाता है 31 मार्च 2017 तक जिले के तीनों पीजीआरओ कार्यालय में प्राप्त शिकायत निष्पादन एवं लंबित मामले का लेखा जोखा के साथ अपर निदेशक ने डीएम को पत्र लिखा है. यहां तक तो ठीक ठाक था लेकिन इससे आगे राज्य स्तर से एक ओर ब्योरा डीएम को भेजा गया है जिसके बाद खलबली मच गयी. लोग हैरान व परेशान हो गये.
कई अधिकारियों की खुल गयी पोल : अपर मिशन निदेशक ने तीनों लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश के अनुपालन का भी लेखा जोखा भेजा है. जिसके बाद कई विभागों के अधिकारियों की इस बात की पोल खुल गयी कि लोगों के शिकायत को लेकर वे कितने संवेदनशील है. लगभग सभी लोक प्राधिकारों ने पीजीआरओ के आदेश का अनुपालन कराने की जगह इसे ठंडे बस्ते में डाला है अपर मिशन निदेशक के पत्र एवं अनुपालन रिपोर्ट से इस कड़वी सच्चाई एवं अधिकारियों की लापरवाही का खुलासा हुआ है.
खगड़िया का लेखा जोखा : इस जिले में तीन लोक शिकायत निवारण कार्यालय है. तीनों कार्यालयों में 30 मार्च 2017 तक 3370 शिकायत दर्ज हुए है. जिसमें से 2559 मामलों की सुनवाई तीनों लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के द्वारा पूरी कर ली गयी है. बताया जाता है कि सुनवाई अवधी के दौरान 1811 मामलों का निष्पादन किया जा चुका है. जबकि समय सीमा समाप्त होने के कारण 650 मामलों का निष्पादन तो कर दिया गया है लेकिन संबंधित विभाग के पदाधिकारी को इस मामले में निर्धारित समय सीमा के भीतर कार्रवाई करने व प्रतिवेदन देने को कहा गया था . लेकिन अपर मिशन निदेशक के पत्र में इस बात का खुलासा हुआ है कि मात्र एक मामले का निष्पादन हुआ है जबकि 649 मामलों में तीनों पीजीआरओ के आदेश का अनुपालन कई विभागों के अधिकारियों ने नहीं किया है. जानकारों के मुताबिक जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के 170 आदेश, सदर एवं गोगरी अनुमंडल के लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के क्रमश: 271 व 208 आदेश कई लोक प्राधिकार के कार्यालयों में धूल फांक रहीं है.
उठ रहें है कई सवाल : राज्य स्तर से इस अधिनियम की जो रिपोर्ट भेजी गयी है. उससे कई सवाल खड़े हो गये. सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर अधिकारी आम लोगों की समस्या को लेकर संवेदनशील नहीं हुए तो आखिर लोगों का क्या होगा . जन शिकायत कोषांग के बाद अब लोगों की शिकायत के समाधान को लेकर बिहार लोक शिकायत अधिनियम बनाया गया है. सभी जिले में तथा अनुमंडलों में अलग कार्यालय बनाये गये है यहां शिकायत सुनने के लिए अधिकारी को तैनात किया गया है. कार्यालय बनाने में करोड़ों रुपये खर्च हुए है .
निचले पायदान पर खगड़िया
रैकिंग कर सभी जिले की सूची तैयार की गयी है. इसी सूची को सभी डीएम के पास भेजा गया है. सूची में यह जिला सबसे निचले पायदान पर है. 38 जिले में पीजीआरओ के आदेश एवं लंबित आदेश मामले की सूची तैयार की गयी है. इस सूची में सबसे नीचे पटना जिला है . यहां लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के सौ प्रतिशत आदेश का अनुपालन लंबित है जबकि इससे ऊपर खगड़िया है. यहां 99.85 प्रतिशत आदेश का अनुपालन लंबित है अगर दूसरे शब्दों में यह कहा जाये कि बिहार लोक शिकायत अधिनियम के उद्देश्य को तार तार करने एवं लोगों की उम्मीदों पर पानी फेरने वाला यह जिला दूसरे थान पर है तो यह कहना बिल्कुल ही गलत नहीं होगा. क्योंकि जिले में मात्र 0.15 प्रतिशत आदेश का अनुपालन हो पाया है इस सूची में तीसरे नंबर पर अररिया जिला, चौथे नंबर पर भागलपुर तथा पांचवें नंबर पर पूर्वी चंपारण जिला रहा है. यहां लंबित आदेश का प्रतिशत क्रमश: 99.76 प्रतिशत ,99.72 प्रतिशत एवं 99.27 प्रतिशत रहा है. हालांकि हर जिले की स्थिति यहीं है. आंकड़े के मुताबिक 23 जिले में पीजीआरओ का 90 प्रतिशत से अधिक आदेश लंबित है. जबकि 11 जिले में 75 प्रतिशत से अधिक आदेशों का अनुपालन लोक प्राधिकारों के द्वारा नहीं किया गया है. जबकि तीनों जिले में 50 प्रतिशत से अधिक तथा बांका जिले में 40.63 प्रतिशत आदेश लंबित है.

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