परेशानी. 66 साल में विद्यालय को नहीं मिली भूमि
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दो कमरों में पढ़ने को मजबूर हैं 590 छात्र
परेशानी. 66 साल में विद्यालय को नहीं मिली भूमि अल्पसंख्यक बहुल इलाके में स्थित मध्य मकतब सबलपुर को खुले 66 बरस हो गये हैं. अब तक विद्यालय को अपनी जमीन नसीब नहीं हो पायी. खगड़िया : सदर मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित माड़र उत्तरी पंचायत के मध्य मकतब सबलपुर में नामांकित […]
अल्पसंख्यक बहुल इलाके में स्थित मध्य मकतब सबलपुर को खुले 66 बरस हो गये हैं. अब तक विद्यालय को अपनी जमीन नसीब नहीं हो पायी.
खगड़िया : सदर मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित माड़र उत्तरी पंचायत के मध्य मकतब सबलपुर में नामांकित बच्चों के भविष्य निर्माण पर संकट उत्पन्न हो गया है. 1950 से संचालित इस स्कूल को आज तक जमीन नसीब हो पाया है. नतीजतन राशि आती है लेकिन जमीन के अभाव में लौट जाती है. दो कमरे के भवन में वर्ग एक से आठ तक के बच्चों के पठन-पाठन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. गरमी हो या ठंडी या फिर बरसात इस स्कूल में नामांकित बच्चों की परेशानी कम नहीं होती है.
बरसात में तो बच्चों को छुट्टी दे देना पड़ता है. कई बार अधिकारी आये, निरीक्षण के दौरान समस्याओं को दूर करने का आश्वासन देकर चलते बने लेकिन आज भी इस विद्यालय को जमीन व भवन नसीब नहीं हो पाया है. 1950 से संचालित मध्य मकतब सबलपुर में आज भी समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. माड़र उत्तरी पंचायत के सबलपुर गांव के उत्क्रमित मध्य मकतब सबलपुर में दो कमरा, 18 शिक्षक एवं 590 छात्र व छात्रा नामांकित है.
माड़र उत्तरी पंचायत के मध्य मकतब सबलपुर में दो कमरे हैं. जहां पहली से आठवीं तक की पढ़ाई होती है. 590 नामांकित छात्र व छात्राएं है. जबकि 18 शिक्षक भी उपलब्ध है. लेकिन भवन नहीं रहने के कारण पठन-पाठन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. बतातें चलें कि 1950 ई में सबलपुर गांव के अल्पसंख्यक बहुल आबादी के बीच इस विद्यालय की स्थापना की गयी थी. छह दशक के पश्चात भी विद्यालय को भूमि तक प्राप्त नहीं हो सका. लेकिन इन सभी समस्याओं को दूर किये बिना 2008 में प्राथमिक से उत्क्रमित कर मध्य मकतब सबलपुर बना दिया गया. जिसके कारण छात्र व छात्रा की संख्या में इजाफा होने लगा. विद्यालय के शिक्षक ने बताया कि एक कमरे में दो कक्षा के छात्रों को पढ़ाया जाता है. एक ब्लैकबोर्ड पर दो शिक्षक अलग अलग विषयों की पढ़ाई करवाते हैं. नतीजतन छात्र व छात्राओं को पठन-पाठन में काफी परेशानी होती है. जबकि इसी कमरे में विद्यालय की सामग्री जैसे एमडीएम के चावल, जलावन, गोदरेज, टेबुल, कुरसी आदि सामान भी रखे हुए हैं.
एक चापाकल और दो शौचालय
इस विद्यालय में 18 शिक्षक हैं. साथ ही 590 बच्चे-बच्चियां नामांकित हैं. लेकिन मात्र एक चापाकल और दो शौचालय है. ऐसे में परेशानी उत्पन्न होना लाजिमी है. जबकि इस विद्यालय में सात महिला शिक्षिका भी मौजूद है. 45 फीसद छात्राएं नामांकित हैं. ऐसे में एक चापाकल व दो शौचालय नाकाफी साबित हो रहे हैं.
66 बरसों से संचालित विद्यालय को अब तक जमीन मुहैया नहीं होना कहीं ना कहीं लापरवाही को दर्शाता है. सीओ को संबंधित जगह पर सरकारी जमीन की तलाश कर विद्यालय को आवंटित किये जाने की दिशा में प्रयास करने का निर्देश दिया जायेगा. जल्द ही विद्यालय को जमीन उपलब्ध करवा कर भवन निर्माण शुरू किया जायेगा.
जय सिंह, डीएम.
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