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स्टेटस सिंबल बन गया नंबर प्लेट, अब होगी कार्रवाई

आम से लेकर खास तक, सभी करते हैं ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन गलत साइड से होता है परिचालन कई वाहनों पर नहीं होते नंबर प्लेट खगड़िया : जिले में आम आदमी हो या फिर खास, हर कोई ट्रैफिक नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन कर रहे हैं. वहीं नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रति विभागीय […]

आम से लेकर खास तक, सभी करते हैं ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन

गलत साइड से होता है परिचालन
कई वाहनों पर नहीं होते नंबर प्लेट
खगड़िया : जिले में आम आदमी हो या फिर खास, हर कोई ट्रैफिक नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन कर रहे हैं. वहीं नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रति विभागीय रवैया भी काफी उदासीन है. इससे नियम तोड़ने वालों की संख्या घटने के बजाय लगातार बढ़ती ही जा रही है.
हालांकि विभाग संसाधनों की कमी का हवाला देती रही है, लेकिन सच यह भी है कि ट्रैफिक नियमों के बाबत विभागीय स्तर से न तो कभी सख्त कार्रवाई की गयी और न ही जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया. इससे कुछ जानबूझ कर और कुछ लोग नासमझी में ही नियमों की अवहेलना करते हैं. विभाग मूकदर्शक बना हुआ है.
गलत साइड से चलतेे हैं वाहन: शहर की व्यस्त सड़कें हों, या गांव की कच्ची सड़क या फिर राजकीय व राष्ट्रीय राजमार्ग, वाहन चालक हर जगह ट्रैफिक नियमों को ठेंगा दिखा रहे हैं. अधिकतर सड़कों पर वाहनों का परिचालन गलत साइड से किया जाता है. वहीं ओवरटेक करने में तो चालक अपनी जान जोखिम में डालने से भी नहीं कतराते हैं. ब्रिटिश ट्रैफिक व्यवस्था की तर्ज पर अधिकतर वाहन चालक दायें की बजाय बायें साइड से ही वाहनों को ओवरटेक करते हैं. नतीजा है कि सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
गाड़ी पर सिंबल व साइन बोर्ड का बढ़ा है चलन: हाल के दिनों में गाड़ियों पर सिंबल और साइन बोर्ड का चलन काफी तेजी से बढ़ा है. इसमें सबसे आगे राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता हैं. जिलाध्यक्ष से लेकर प्रखंड, पंचायत व वार्ड अध्यक्ष, यहां तक कि साधारण कार्यकर्ता भी वाहनों पर पार्टी का सिंबल लगाना नहीं भूलते हैं. यह अलग बात है कि पार्टी कार्यकर्ताओं के ही कई ऐसे वाहन सड़क पर नजर आ जाते हैं, जिन पर गाड़ी का नंबर तक दर्ज नहीं होता है. इसके अलावा कई छोटे-छोटे संगठन हैं.
जिनके सदस्य वाहनों पर सिंबल और साइन बोर्ड का इस्तेमाल करते हैं. इनमें से कुछ वाहन ऐसे भी हैं, जिन पर राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश अध्यक्ष तक का बोर्ड लगा होता है. इन संस्थाओं का कोई वजूद नहीं होता है. बावजूद इन वाहनों पर बिना अनुमति तेज रोशनी भी लगायी जाती है. वहीं ऐसे मामलों में प्रशासन कुछ खास मौकों पर ही कार्रवाई करती है.
नंबर प्लेट नहीं लगाना बना है फैशन
शहर से गांव तक सड़कों की सूरत बदली है. सड़कें सपाट हुई हैं, तो लगातार दुर्घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है. वहीं अधिकतर घटनाओं में तो वाहनों का पता तक नहीं लग पाता है. इसकी एक वजह यह भी है कि अधिकतर वाहनों पर नंबर प्लेट ही नहीं लगे होते हैं. नतीजतन गाड़ी की पहचान करना मुश्किल होता है. हालांकि परिवहन विभाग के निर्देश के अनुसार बिना नंबर प्लेट के वाहनों का परिचालन अवैध है, लेकिन जिले में इस नियम का धड़ल्ले से उल्लंघन किया जा रहा है. शहर से लेकर गांव तक की सड़कों पर दो पहिया वाहन से लेकर भारी वाहन तक बिना नंबर प्लेट के ही सैकड़ों वाहनों का परिचालन किया जाता है. विभागीय स्तर पर कार्रवाई नहीं होने के कारण अब यह लोगों के फैशन में भी शामिल हो चुका है.
पुलिस भी करती है नियमों की अनदेखी
सामान्य तौर पर माना जाता है कि किसी भी नियम के अनुपालन का जिम्मा पुलिस पर होता है, लेकिन ट्रैफिक नियमों के मामले में पुलिस भी इसकी अनदेखी करती नजर आती है. पुलिस मैन्यूअल के मुताबिक पुलिस महकमा के किसी स्तर के कर्मी को अपने निजी वाहन पर पुलिस सिंबल या नंबर प्लेट को पुलिस रंग लाल और नीला से पेंट करने की अनुमति नहीं है. हालांकि पुलिस मुख्यालय द्वारा भी इस बाबत कई बार निर्देश जारी किये गये हैं. बावजूद जिले में गांव से लेकर सड़क तक रोजाना ऐसे सैकड़ों वाहन मिल जाते हैं, जिस पर पुलिस अंकित होता है और उसके नंबर प्लेट पर पुलिस रंग का इस्तेमाल रहता है.
कहते हैं एसपी
वाहनों पर पुलिस का लोगो लगाना गलत है. जांच के दौरान पकड़े जाने पर कार्रवाई की जायेगी. लगातार वाहनों की जांच की जा रही है.
अनिल कुमार सिंह, एसपी, खगड़िया

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