गोगरी : धरती के भगवान खतरे में हैं! दरअसल, मामला धरती पर भगवान के फरिश्ते कहे जाने वाले डॉक्टरों से जुड़ा है.गोगरी थाना से सटे रेफरल अस्पताल गोगरी में पदस्थ तमाम चिकित्सक अपनी जान जोखिम में डालकर पिछले कई सालों से अस्पताल के जर्जर भवन में रहकर काम करने को मजबूर हैं. इस अनुमंडलीय अस्पताल […]
गोगरी : धरती के भगवान खतरे में हैं! दरअसल, मामला धरती पर भगवान के फरिश्ते कहे जाने वाले डॉक्टरों से जुड़ा है.गोगरी थाना से सटे रेफरल अस्पताल गोगरी में पदस्थ तमाम चिकित्सक अपनी जान जोखिम में डालकर पिछले कई सालों से अस्पताल के जर्जर भवन में रहकर काम करने को मजबूर हैं.
इस अनुमंडलीय अस्पताल का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. जगह-जगह से भवन की छत टूटकर गिर चुकी है, बावजूद इसके अस्पताल को किसी दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया जा रहा था. इस कारण अस्पताल में काम करने वाले तमाम डॉक्टर खुद को यहां असुरक्षित महसूस करते हैं. वहीं इस ओर स्वास्थ्य विभाग का कोई ध्यान नहीं था.
पुराने को किया खाली,नए भवन में मरीज शिफ्ट : सोमवार को सुबह जर्जर भवन से रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अरविन्द कुमार सिन्हा के आदेशानुसार आगे किसी प्रकार की बड़ी दुर्घटना नहीं हो जाये इससे पहले पुराने जर्जर भवन से सभी मरीजों को निकालकर नए भवन में मरीजों को शिफ्ट किया गया.जिससे मरीज और अभिभावक दोनों को राहत मिली.प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अरविन्द कुमार सिन्हा ने कहा कि मरीजों के हित को देखते हुए ऐसा कदम उठाया गया है.अब जर्जर भवन को तोड़कर नया भवन जल्द ही बनाया जायेगा.
छत से गिरा था मलबा,गर्भवती समेत चार हुए थे घायल : लेकिन बीते 27 अगस्त की सुबह जब अचानक गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रसूति कक्ष के समीप जर्जर छत के ऊपर से मलबा गिरा जिससे गर्भवती समेत चार लोगों का सर फटा और गम्भीर रूप से घायल हो गया था.
वहीं स्थानीय ग्रामीणों का भी कहना है कि बार-बार गुहार लगाने के बावजूद अस्पताल भवन में न तो कोई अधिकारी आया और ना ही कोई स्थानीय विधायक इस ओर ध्यान दे रहा है. ऐसे में अगर कोई बड़ा हादसा हुआ तो वह अस्पताल को स्थानीय नेता के घर में शिफ्ट कर देंगे. स्थानीय निवासी युसूफ अंसारी की माने तो दूसरा कोई विकल्प नहीं होने और आर्थिक तंगी के कारण कई सारे मरीज दूर-दराज वाले इलाकों से यहां अपना इलाज कराने के लिए आते हैं. ऐसे में भवन की यह हालत देख डॉक्टरों के साथ-साथ यहां आने वाले मरीजों की भी जान को खतरा है.
दहशत में डॉक्टर: इस संबंध में अनुमंडलीय अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि कब क्या हो जाए , कौन सी बड़ी दुर्घटना हो जाए किसी को पता नहीं. उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारियों को कई बार इस बाबत जानकारी देने के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. वहीं एक दूसरे डॉक्टर की माने तो बारिश के दिनों से लगातार छत से पानी टपकता रहता है. इस बीच मरीजों को देखने और उनके इलाज करने में काफी परेशानी होती है.