बेलदौर : कोसी में उफान थमते ही इसके तट के समीप बसे कटाव पीड़ित दहल उठे है. जबकि कोसी कटाव पर अतिशीघ्र नियंत्रण नहीं पाया गया तो पुरानी डीह इतमादी के तरह कुंझारा एवं गांधीनगर का अस्तित्व इतमादी के नक्शे से मिट जायेगा. जलस्तर में कमी होते ही कोसी कटाव की रफ्तार त्रीव हो गयी है.
प्रतिदिन दो से तीन फीट भू भाग को अपने गर्भ में समेटकर 50 से 60 मीटर पर स्थित कुंझारा एवं गांधीनगर ,गांव को अपने में समेटने को कोसी आतुर है . इसके कारण कटाव पीड़ित समेत आसपास के लोग अपने आशियाना खोने के डर से सहमे हुऐ हैं. बीते एक पखवारे पूर्व से लगातार कोसी की काली छाया में कुंझारा एवं गांधीनगर के भू भाग को समेटती जा रही है .स्थानीय मुखिया हिटलर शर्मा के साथ दर्जनों ग्रामीणों ने इसकी सूचना स्थानीय विधायक समेत डीएम व बीडीओ को देकर अविलंब कटाव निरोधी कार्य करवा कर कोसी कटाव के कहर से गांव को बचाने की गुहार भी लगायी है.
लेकिन अब तक विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई शुरू नहीं होने से गांव पर संकट के बादल मंडरा रहे है. उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष भी कोसी कटाव का शिकार होकर पुरानी डीह इतमादी के लगभग 300 से अधिक घर कोसी के गर्भ में समा गया. टोले के समीप हो रहे कोसी कटाव ने पीड़ित परिवार की नींद उड़ा दी है. इसके अलावे जमिंदारी बांध के कामाथान मुसहरी के समीप कोसी कटाव ने लगभग 150 से अधिक महादलित परिवारों को बेघर करने को आतुर है. पीड़ित परिवारों ने बताया कि अगस्त का माह बीतने के बाद कटाव पीड़ित परिवारों के लिए काफी दुख: दायी होता है . एक तरफ निचले ईलाके के लोग कोसी नदी के जलस्तर में कमी से राहत महसूस करते है तो वहीं कटाव पीड़ितों के जीवन में चुनौतियों का दौर शुरू हो जाता है. अगस्त से लेकर अक्टूबर माह तक जलस्तर में कमी होने पर कटाव तेज हो जाता है.