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श्रद्धा व भक्ति के साथ मधुश्रावणी पूजा शुरू

सैकड़ों नवविवाहिताओं ने रखा व्रत कथा श्रवण को लेकर जुटती हैं महिलाएं परबत्ता : सावन महीने के कृष्ण पक्ष पंचमी से आरंभ एवं शुक्ल पक्ष तृतीया को संपन्न होने वाली मिथिला संस्कृति व भक्ति का पर्व मधुश्रावणी पूजा रविवार से आरंभ हो गया. शनिवार 23 जुलाई में नव विवाहित महिलाएं प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में पवित्र गंगा […]

सैकड़ों नवविवाहिताओं ने रखा व्रत

कथा श्रवण को लेकर जुटती हैं महिलाएं
परबत्ता : सावन महीने के कृष्ण पक्ष पंचमी से आरंभ एवं शुक्ल पक्ष तृतीया को संपन्न होने वाली मिथिला संस्कृति व भक्ति का पर्व मधुश्रावणी पूजा रविवार से आरंभ हो गया. शनिवार 23 जुलाई में नव विवाहित महिलाएं प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में पवित्र गंगा स्नान करने के पश्चात अरवा भोजन ग्रहण कर नहाय-खाय के साथ पूजन आरंभ हुआ.
पूजा का है महत्व : मधु श्रावणी पूजन का जीवन में काफी महत्व माना जाता है.मान्यता है कि यह पूजा पति को दीर्घायु तथा सुख शांति के लिये की जाती है. पूजन के दौरान मैना पंचमी, मंगला गौरी, पृथ्वी जन्म, पतिव्रता, महादेव कथा,गौरी तपस्या, शिव विवाह, गंगा कथा, बिहुला कथा तथा बाल वसंत कथा सहित 14 खंडों में कथा का श्रवण किया जाता है.गांव समाज की बुजुर्ग महिला कथा वाचिकाओं के द्वारा नव विवाहिताओं को समूह में बिठा कर कथा सुनायी जाती है. पूजन के सातवें, आठवें तथा नौवें दिन प्रसाद के रुप में घर जोड़,खीर एवं गुलगुला का भोग लगाया जाता है.प्रतिदिन संध्याकाल में महिलाएं आरती, सुहाग गीत तथा कोहवर गाकर भोले शंकर को प्रसन्न करने का प्रयत्न करती हैं.
मायके-ससुराल दोनों के सहयोग से होती है पूजन : इस पूजन में मायका तथा ससुराल दोनों पक्षों का सहयोग आवश्यक होता है.पूजन करने वाली नव विवाहिताएं ससुराल पक्ष से प्राप्त नये वस्त्र धारण करती हैं.जबकि प्रत्येक दिन पूजा समाप्ति के बाद भाई के द्वारा पूजन करने वाली महिला को हाथ पकड़ कर उठाया जाता है.
13 दिन चलेगी पूजा
इस बार मधुश्रावणी पूजा कुल 13 दिनों तक चलने के बाद 5 अगस्त को संपन्न होगी. इस बार ऐसा योग बना है कि 13 दिनों तक ही यह पूजा चलेगी.इससे पूर्व के वर्षों में यह 14 या 15 दिनों तक चलता था.
कहती हैं नव विवाहिताएं
प्रखंड की नवविवाहित महिलाओं में पुष्पांजलि,निक्की कुमारी,बिंदा कुमारी,ब्यूटी कुमारी आदि ने बताया कि यह पूजा एक तपस्या के समान है.इस पूजा में नव विवाहित महिलाएं केवल एक बार प्रतिदिन अरवा भोजन करती हैं.इसके साथ ही नाग-नागिन,हाथी, गौरी,शिव आदि की प्रतिमा बनाकर प्रतिदिन कई प्रकार के फूलों, मिठाईयों एवं फलों से पूजन किया जाता है. सुबह-शाम नाग देवता को दूध लावा का भोग लगाया जाता है.
टेमी दागने की है परंपरा
पूजा के अंतिम दिन पूजन करने वाली महिला को कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है. टेमी दागने की परंपरा में नव विवाहिताओं को गर्म सुपारी, पान एवं आरत से हाथ एवं पांव को दागा जाता है. इसके पीछे मान्यता है कि इससे पति-पत्नी का संबंध मजबूत होता है.

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