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खतरनाक है इ-कचरा लोगों पर भारी पड़ रहे खराब घरेलू उपकरण

इलेक्ट्राॅनिक उपकरणों का जिस तेजी से इस्तेमाल बढ़ रहा है उसी हिसाब से रसायनिक कचरे भी बढ़ रहे हैं. ई-कचरा को सुरक्षित ठिकाने लगाने की व्यवस्था न होने से इसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. खगड़िया : सूचना तकनीक और जीवन को आसान बनाने वाले घरेलू उपकरण अब मानव जीवन पर भारी […]

इलेक्ट्राॅनिक उपकरणों का जिस तेजी से इस्तेमाल बढ़ रहा है उसी हिसाब से रसायनिक कचरे भी बढ़ रहे हैं. ई-कचरा को सुरक्षित ठिकाने लगाने की व्यवस्था न होने से इसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है.

खगड़िया : सूचना तकनीक और जीवन को आसान बनाने वाले घरेलू उपकरण अब मानव जीवन पर भारी पड़ने जा रहे हैं. इलेक्ट्राॅनिक उपकरणों का जिस तेजी से इस्तेमाल बढ़ रहा है उसी हिसाब से रसायनिक कचरे भी बढ़ रहे हैं. ई-कचरा को सुरक्षित ठिकाने लगाने की व्यवस्था न होने से इसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गयी जानकारी में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जो जानकारी दी है,
उससे बेकार इलेक्ट्राॅनिक उत्पादों से होने वाले खतरे की गंभीरता का पता चलता है. हालांकि इलेक्ट्राॅनिक कचरे को सुरक्षित ठिकाने लगाने के लिए तीन साल से ई-अपशिष्ट नियमावली लागू है, लेकिन कानून के प्रति लोगों को जागरूक करने की पहल आज तक नहीं हुई. खगड़िया में नौ लाख लोग कर रहे है ंं
मोबाइल का इस्तेमाल : दरअसल खगड़िया जैसे छोटे से जिले में नौ लाख से ज्यादा लोग मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं. मोबाइल की मार्केटिंग से जुड़े विपिन कुमार राही का कहना है कि हर दिन औसतन जिले में पांच से ज्यादा मोबाइल की बिक्री होती है. वहीं बड़ी संख्या में खराब मोबाइल कचरे में भी जाते हैं. इलेक्ट्राॅनिक कचरे की समस्या मोबाइल के अलावा इस्तेमाल के बाद बेकार हुए कंप्यूटर, टीवी व फ्रिज आदि से भी पैदा हो रही है.
ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली : सूचना का अधिकार कानून के तहत राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद का कहना है कि राज्य में एक मई से ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली-2011 को लागू कर दिया गया है. इसके तहत इलेक्ट्रानिक कचरे के सुरक्षित संग्रह व निस्तारण की जवाबदेही उत्पाद बनाने वाली कंपनियों व एजेंसियों पर तय की गयी है. उपभोक्ताओं को भी ई-अपशिष्ट निर्धारित संग्रह केंद्र पर ही जमा करने होंगे.
जागरूकता का अभाव
कानून लागू होने के बावजूद इससे संबंधित जागरूकता लोगों में काफी कम है. कंपनियों को भी केवल अपना उत्पाद बेचने से मतलब है. हाल में एक कंपनी ने अपनी सीडीएमए की सेवा अचानक बंद कर दी और हजारों मोबाइल बेकार हो गये. परंतु कंपनी ने बेकार मोबाइल के सुरक्षित निस्तारण में कोई रुचि नहीं ली.
कहते हैं कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक
कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक डॉ ब्रजेंदु ने बताया कि ई-कचरा तेजी से बढ़ रहा है और यह जमीन की उर्बरा शक्ति के लिए भी खतरा है. जैसे-जैसे तकनीक के इस्तेमाल का दायरा बढ़ेगा, समस्या और गहरायेगी. ऐसे में ई-कचरा के उचित निस्तारण की व्यवस्था जरूरी है.
जलाना और दबाना दोनों खतरनाक
प्रखंड कृषि पदाधिकारी राजेश कुमार के मुताबिक ई-कचरे को दबाना और जलाना दोनों खतरनाक है. खुले में कचरे को जलाया जाये तो इससे निकलने वाली गैसें पर्यावरण को असंतुलित करती हैं. यदि इसे जमींदोज किया जाये तो इससे भूगर्भ जल में जहर फैलता है और मिट्टी की उर्बरा शक्ति भी घटती है. क्या
है खतरा: इलेक्ट्रानिक वस्तुओं में कैडमियम, लीड, पारा, आर्सेनिक व क्रोमियम आदि कुछ ऐसी धातु व तत्व होते हैं जो पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होते हैं. कृषि विभाग के अधिकारी के मुताबिक इन धातुओं का सुरक्षित निष्पादन नहीं होने से यह भूगर्भ जल व मिट्टी को खतरनाक ढंग से प्रभावित करते हैं.

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