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रेफर केंद्र बन गया परबत्ता पीएचसी

परेशानी. जांच व एक्सरे की सुविधा का अभाव, विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परबत्ता संसाधन रहने के बावजूद विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, रेडियोलॉजी व पैथोयोलॉजी की सुविधा नहीं रहने के कारण प्रसव केंद्र या रेफर केंद्र बनकर रह गया है. 15 सैय्या वाले इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों के स्वीकृत पद मात्र […]

परेशानी. जांच व एक्सरे की सुविधा का अभाव, विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परबत्ता संसाधन रहने के बावजूद विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, रेडियोलॉजी व पैथोयोलॉजी की सुविधा नहीं रहने के कारण प्रसव केंद्र या रेफर केंद्र बनकर रह गया है. 15 सैय्या वाले इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों के स्वीकृत पद मात्र दो है. अन्य दो पदों पर संविदा पर नियुक्त चिकित्सक उपलब्ध हैं. इन चार चिकित्सकों के भरोसे प्रतिदिन औसतन 30 से 35 प्रसव तथा लगभग तीन से चार सौ वाह्य रोगियों का इलाज किया जाता है.
परबत्ता : प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परबत्ता एक बार फिर चर्चा में है. हालांकि इस बार भरसो पंचायत अंतर्गत थेभाय गांव की प्रसूता गायत्री देवी की मौत के बाद चर्चा में है. इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में संसाधन रहने के बावजूद विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, रेडियोलॉजी व पैथोयोलॉजी की सुविधा नहीं रहने के कारण यह प्रसव केंद्र या रेफर केंद्र बनकर रह गया है. कबीर मठ परबत्ता के तत्कालीन महंथ मोती दास ने अस्पताल की स्थापना किया था. इसके लिये उन्होंने कबीर मठ की परबत्ता बाजार में बहुमूल्य तीन बीघा पांच कट्ठा सात धूर जमीन दान में दिया था.
इसके अलावा अस्पताल के संचालन के लिए पक्का मकान भी बनाकर दिया था. उस जमाने में अस्पताल को संचालित करने के लिए एक समिति बनायी गयी थी. कालांतर में बिहार सरकार के द्वारा इसका संचालन होने लगा. 15 शय्या वाले इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों का स्वीकृत पद मात्र दो है. अन्य दो पदों पर संविदा पर नियुक्त चिकित्सक उपलब्ध हैं. इन चार चिकित्सकों के भरोसे प्रतिदिन औसतन 30 से 35 प्रसव तथा तीन से चार सौ के बीच वाह्य रोगियों का इलाज किया जाता है. 1990 के दशक में एक महिला चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति यहां की गयी थी, लेकिन वे तबतक के लिए लंबी छुट्टी पर चली गयी जबतक उनका स्थांतरण अन्यत्र हो गया. 15 शैय्या का अस्पताल होने के बावजूद कई बार प्रसूताओं व रोगियों को बेड नहीं मिल पाता है. अन्य रोगियों को या तो दवा लिखकर वापस भेज दिया जाता है या खगड़िया रेफर कर दिया जाता है. गत वर्ष आउटसोर्सिंग के तहत डोयन नामक संस्था ने पेथियोलॉजिकल लैब खोला था तथा इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान ने एक्सरे की सुविधा शुरू किया था, लेकिन गत दो वर्ष पूर्व ये दोनों काम छोड़कर जा चुके हैं. प्रखंड में विभिन्न प्राथमिक तथा अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों में ए ग्रेड की नर्सों के 10 स्वीकृत पदों के विरुद्ध केवल छह नर्सें तथा बी ग्रेड की 25 नर्सों की रिक्ति के विरुद्ध मात्र 23 नर्सें कार्यरत हैं.आम लोगों का मानना है कि यह अस्पताल प्रसव सुविधा के अलावा रेफर केंद्र बनकर रह गया है, लेकिन गत मंगलवार तथा विगत वर्षों में इलाज में लापरवाही के कारण प्रसूताओं को हुई मौत के बाद अब अस्पताल का सुरक्षित प्रसव के विश्वनीय केंद्र होने पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है.

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