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गोशाला में गड़बड़ी की होगी जांच

शिकायत. राज्यपाल कार्यालय से जारी हुआ आदेश, आयुक्त के आदेश पर पूर्व में हो चुकी है जांच जांच में आयी थी व्यापक अनियमितता के मामले सामने खगड़िया : स्थानीय गोशाला समिति की एक बार फिर जांच के आदेश दिये गये हैं. यह आदेश राज्यपाल कार्यालय से जारी किया गया है. बिहार के राज्यपाल कार्यालय से […]

शिकायत. राज्यपाल कार्यालय से जारी हुआ आदेश, आयुक्त के आदेश पर पूर्व में हो चुकी है जांच
जांच में आयी थी व्यापक अनियमितता के मामले सामने
खगड़िया : स्थानीय गोशाला समिति की एक बार फिर जांच के आदेश दिये गये हैं. यह आदेश राज्यपाल कार्यालय से जारी किया गया है. बिहार के राज्यपाल कार्यालय से जारी हुआ. यह जांच का आदेश पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव के पास पहुंचा है. आरटीआइ के तहत मांगी गयी सूचना से इस बात का खुलासा हुआ है कि खगड़िया गोशाला की जांच के आदेश दिये गये हैं. जांच करने की जिम्मेदारी इस समिति के संबंधित राज्य स्तरीय विभाग यानी पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग को दी गयी है. जानकारी के मुताबिक आवेदक शैलेंद्र सिंह तरकर की शिकायत पर यह जांच के आदेश जारी किये गये हैं.
शिकायतकर्ता ने गोशाला में व्यापक गड़बड़ी होने, गोशाला की जमीन का आवंटन गलत तरीके से होने , गोशाला के मंत्री द्वारा पारदर्शी तरीके से सदस्य पद का चुनाव नहीं कराने सहित कई शिकायतें की है.
पूर्व में हुई थी जांच
वर्ष 2015 के आरंभ में भी गोशाला समिति की संपत्ति सहित कई महत्वपूर्ण कार्यों की जांच हुई थी. तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त सुनील कुमार सिंह के निर्देश पर सदर अनुमंडल के कार्यपालक दंडाधिकारी ने जांच की थी. गोशाला समिति के एक पुराने सदस्य महेश्वर प्रसाद सिंह के शिकायत पर यह जांच हुई थी.
सूत्र के मुताबिक जांच में यह बातें सामने आयी थी कि समिति में सब कुछ ठीक ठाक नहीं है. यहां काम विभागीय नियमों के अनुसार नहीं बल्कि समिति के मंत्री एवं प्रबंधक के द्वारा बनाये गये नियमों से चलते हैं. जांच में वित्तीय अनियमितता एवं घोर लापरवाही का खुलासा हुआ था. जिसके बाद तत्कालीन एसडीओ सुनील ने डीएम को जांच रिपोर्ट भेजी थी.
पूर्व जांच रिपोर्ट में सामने आयी थी चौंकाने वाली बातें
मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन एसडीओ ने कार्यपालक दंडाधिकारी से जांच कराकर रिपोर्ट जिला स्तर पर भेजी थी. जांच रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातें समाने आयी थी. रिपोर्ट में समिति के मंत्री एवं प्रबंधक द्वारा मनमाने तरीके से कार्य किये जाने की बातें कही गयी है.
रिपोर्ट के मुताबिक लाखों रुपये की लागत से गोशाला परिसर अवस्थित जर्जर भवन के निर्माण के पूर्व कार्यकारिणी समिति से निर्माण की स्वीकृति नहीं ली गयी थी. यही नहीं निर्माण की तकनीकी एवं प्रशासनिक स्वीकृति भी नहीं ली गयी थी. निर्माण के पूर्व प्राक्कलन भी नहीं बनाया गया था. गोशाला को मिलने वाले वार्षिक चंदा को कोई लेखा जोखा नहीं रखा जाता है. जांच पदाधिकारी ने अपने रिपोर्ट में कहा कि गोशला की रोकड़ पंजी पर इसे दर्ज नहीं किया गया है. गोशला का अंकेक्षण छह वर्षों से नहीं कराया जा रहा है.
जांच के क्रम में जांच पदाधिकारी यह जानकारी दी गयी कि अंकेक्षण का स्थानांतरण हो चुका है. जिस कारण अंकेक्षण नहीं कराया जाता है. जिस पर जांच पदाधिकारी ने अपनी टिप्पणी दी है कि गोशाला का अंकेक्षण नहीं कराना मंत्री के मनमाने का धोतक है. क्योंकि मंत्री ने समिति के अध्यक्ष सह एसडीओ को इसकी सूचना नहीं दी है.
इसके अलावा गोशाला के गाय बछरों के लिए क्रय की जाने वाली भूसा, चुन्नी, भुस्सी, दाना, खल्ली में भी मनमानी की जाती है. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि उक्त सामग्री के क्रय में गोशाला के मंत्री एवं प्रबंधक के द्वारा मनमानी की जाती है. क्योंकि इसका कोई लेखा जोखा नहीं है.
आवेदक ने अपने आवेदन पत्र में कहा था कि शहर में स्थित गोशाला के एक भवन को मंत्री द्वारा अपने करीबियों को किराये पर दिया गया है. 40 वर्ष पूर्व इन लोगों को भवन किराये पर दिया गया था. 30 वर्ष से उसमें रह रहे लोगों से किराया नहीं लिया जा रहा है. जांच पदाधिकारी ने भी इस आरोप को सत्य बताया है.

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