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बेकार पड़ी जमीन का करें उपयोग: सिंह

बेकार पड़ी जमीन का करें उपयोग: सिंह सभी किसानों को मिलेगा तीन वर्ष के अंदर मृदा कार्ड कृषि विज्ञान केंद्र ने किया चार गांव को अंगीकृत फोटो है. 5 मेंकैप्सन. वैज्ञानिक को संबोधित करते कृषि अनुसंधान के सदस्य खगड़िया. जिले में बेकार पड़ी जमीन का उपयोग कर कृषि को बढ़ावा दें. उक्त बातें रविवार को […]

बेकार पड़ी जमीन का करें उपयोग: सिंह सभी किसानों को मिलेगा तीन वर्ष के अंदर मृदा कार्ड कृषि विज्ञान केंद्र ने किया चार गांव को अंगीकृत फोटो है. 5 मेंकैप्सन. वैज्ञानिक को संबोधित करते कृषि अनुसंधान के सदस्य खगड़िया. जिले में बेकार पड़ी जमीन का उपयोग कर कृषि को बढ़ावा दें. उक्त बातें रविवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सोसाइटी के सदस्य रत्नेश्वरी प्रसाद सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र में कहीं. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना किसानों के लिए की है. लैब में जो अनुसंधान किये जा रहे हैं, वह तभी सफल माने जायेंगे जब किसान उसका उपयोग करेंगे. खेती को व्यावसायिक दृष्टिकोण से करने की आवश्यकता है. वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने के बाद ही किसानों को लागत से अधिक उत्पादन होगा. उन्होंने वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि बेकार पड़ी जमीन पर हल्दी, ओल, शकरकंद, अरबी आदि की खेती की जा सकती है. इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को प्रोत्साहित करते रहें. जिले के प्रत्येक प्रखंड से एक-एक गांव को गोद लेकर कृषि को बढ़ावा देने के लिए किसानों को मदद करें, तभी केवीके के उद्देश्य की प्राप्ति होगी. उन्होंने कहा कि खगड़िया में केवीके नया होने के बावजूद भी अच्छा काम किया जा रहा है. इसके बावजूद भी अभी बहुत काम करने की आवश्यकता है. केवीके द्वारा अंगीकृत किये गये मेहसोड़ी गांव के किसान संजीव कुमार सिंह, जितेंद्र चौधरी से मिलकर उनकी समस्याओं की जानकारी ली. श्री सिंह ने पिंकी देवी द्वारा चलाये जा रहे बंधेज कला का भी जायजा लिया. उनके द्वारा बनाया गया उत्पाद सूट, दुपट्टा इत्यादि देख कर प्रसन्नता व्यक्त की. साथ ही किसानों ने केवीके द्वारा किये गये सहयोग की सराहना की. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के प्रसार शिक्षा सह निदेशक डॉ राजनारायण सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा स्वाइल टेस्ट कर मार्च तक 10 हजार किसानों को मृदा कार्ड दिया जायेगा. तीन साल के अंदर जिले के सभी किसानों को मृदा कार्ड देने का लक्ष्य रखा गया है. मौके पर कार्यक्रम समन्वयक डॉ ब्रजेंदु ने कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा अंगीकृत किये गये मेहसोड़ी ,बंजरंग टोला, देवका, तेलौछ गांव की जानकारी दी. समन्वयक ने बताया कि संसाधन के अभाव के बावजूद केवीके द्वारा किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. मौके पर वैज्ञानिक मनोज कुमार राय, डॉ अनिता कुमारी, डॉ सत्येंद्र कुमार, सीमा कुमारी, प्रह्लाद कुमार, पवन कमा, सज्जन कुमार, राकेश कुमार आदि मौजूद थे.

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