खगड़िया : चौथम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व आशा के बीच विवाद प्रकरण की जांच अब तक शुरू नहीं हो पायी है. सिविल सर्जन के छुट्टी से लौटने के बाद जांच जल्द शुरू होने की उम्मीद जतायी जा रही है. बीते दिनों विभिन्न समस्याओं को लेकर आशा ने चौथम पीएचसी में प्रभारी […]
खगड़िया : चौथम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व आशा के बीच विवाद प्रकरण की जांच अब तक शुरू नहीं हो पायी है. सिविल सर्जन के छुट्टी से लौटने के बाद जांच जल्द शुरू होने की उम्मीद जतायी जा रही है. बीते दिनों विभिन्न समस्याओं को लेकर आशा ने चौथम पीएचसी में प्रभारी चिकित्सक डॉ अरुण कुमार सिंह को घंटों बंधक बना कर रखा था.
काफी मशक्कत के बाद बंधक बने चिकित्सा प्रभारी को आशा के चंगुल से मुक्त करवाया गया था. इसके बाद प्रभारी सिविल सर्जन डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने एसीएमओ के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का गठन कर जांच का निर्देश दिया था.
तीन सदस्यीय टीम में से एक चिकित्सक के 20 दिनों की ट्रेनिंग मंे कोलकाता चले जाने के कारण जांच नहीं हो पायी.
इधर, छुट्टी से लौटने के बाद सिविल सर्जन डॉ रासबिहारी सिंह ने फिर से जांच कमेटी का गठन कर जांच का निर्देश दिया है. डॉ केएम प्रसाद की जगह डॉ प्रयासी को टीम मंे शामिल किया गया है.
सिविल सर्जन ने बताया कि एसीएमओ डॉ सिंह के नेतृत्व में बनी कमेटी मंे डॉ रंजन के अलावा डॉ प्रयासी को जल्द ही पूरी घटना की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है. उन्हांेने कहा कि जांच रिपोर्ट में दोषी चाहे जो हो बख्शा नहीं जायेगा.
क्या था पूरा मामला :
आशा ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अरुण कुमार पर प्रोत्साहन राशि देने के एवज में कमीशन मांगने सहित अवैध उगाही का दबाव देने का आरोप लगाया था. इसके बाद चौथम का प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को घंटों कमरे में बंद रखा था. तब सीओ सहित पुलिस के मौके पर पहुंचने पर काफी मान मनौव्वल के बाद आशा शांत हुई थीं.
इधर, डॉ अरुण कुमार सिंह ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए सीएस को पत्र भेज कर चौथम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से मुक्त करने की गुहार लगायी है.