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चलने लायक नहीं रांको जाने वाली सड़क

चलने लायक नहीं रांको जाने वाली सड़क दर्जनों गांव के लोगों का रोज होता है आना जाना खगडि़या. मुख्यालय से महज एक किलोमीटर की दूरी पर रांको गांव जाने वाली सड़क चलने लायक नहीं है. बिजली ग्रिड से लेकर रांको डीह तक जाने वाली सड़क इतनी जर्जर हो चुकी है कि लोगों को पैदल पांव […]

चलने लायक नहीं रांको जाने वाली सड़क दर्जनों गांव के लोगों का रोज होता है आना जाना खगडि़या. मुख्यालय से महज एक किलोमीटर की दूरी पर रांको गांव जाने वाली सड़क चलने लायक नहीं है. बिजली ग्रिड से लेकर रांको डीह तक जाने वाली सड़क इतनी जर्जर हो चुकी है कि लोगों को पैदल पांव भी चलना मुश्किल हो रहा है. सड़क व गड्ढा में अंतर नहीं रहने के कारण वाहन चालक व रिक्शा चालक भी इस मार्ग में आने से कतरा रहे हैं. पूर्व में इस मार्ग होकर रोजना सैकड़ों की संख्या में छोटे बड़े वाहन का आवागमन होता था. इस मार्ग होकर कई गांव के हजारों की आबादी लोग आवाजाही करते हैं. रांको सहित आवास बोर्ड, माड़र, रांको डीह आदि आदि गांव जाने के लिए लोग इस मार्ग का उपयोग करते हैं. इसके बावजूद भी सड़कों की स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है. सड़क पर उभर आये हैं गिट्टी सड़क की हालत इतनी नाजुक बनी हुई है कि सड़क पर गिट्टी उभर आये हैं. ऐसे में वाहन चालक से लेकर रिक्शा चालक या फिर साइकिल चालक को काफी कठिनाई होती है. वाहन चालकों का वाहन हमेशा पंचर हो जाता है. वहीं वाहन चालक भी हीचकोले खाते हुए गंतव्य तक पहुंचने को मजबूर है. साथ ही छोटी मोटी घटनाएं होती रहती है. कॉलेज के छात्रों को परेशानीसड़क जर्जर होने के कारण बीएड कॉलेज, आइटीआइ कॉलेज आने वाले छात्रों को काफी परेशानी होती है. ज्यादा परेशानी छात्राओं को उठानी पड़ती है. रिक्शा चालक यहां आने को तैयार नहीं है. ऐसे में इन लोगों को पैदल पांव ही कॉलेज आना पड़ता है. रिक्शा चालक कॉलेज तक पहुंचाने के ज्यादा किराये की मांग करते हैं. गैस उठाना भी पड़ता है महंगाउल्लेखनीय है कि मोर्या गैस एजेंसी भी इसी गांव में होने के कारण बाजार सहित जिले के विभिन्न क्षेत्रों से उपभोक्ता यहां गैस का उठाव करने आते हैं. जिस कारण वाहन के अभाव में उपभोक्ताओं को रिक्शा या ठेला से ही यहां पहुंचना होता है. ऐसे में ज्यादा किराया देने से उपभोक्ताओं पर इसका आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है. ज्यादा किराया की मांगसड़क जर्जर हो जाने से लोगों को आर्थिक दोहन का भी शिकार होना पर रहा है. बाजार से रांको जाने के नाम पर तो पहले रिक्शा चालक तैयार नहीं होते है. वहीं कुछ रिक्शा चालक तैयार भी होते हैं तो सड़क खराब होने की बात कह कर ज्यादा किराया की मांग कर बैठते हैं. अस्पताल से रांको जाने के लिए रिक्शा चालक दिन में 50 से 60 रुपये की मांग करते हैं जबकि रात में दोगुने किराया की मांग करते हैं. कहते हैं लोग रांको डीह निवासी सिकंदर गुप्ता, सचिन कुमार सिंह, सुजीत कुमार सिन्हा आदि लोगों ने बताया कि जिला मुख्यालय के इतने करीब होने के बाद भी वर्षों से सड़क की स्थिति जर्जर बनी हुई है. जबकि इस मार्ग होकर रोजाना सैकड़ों की संख्या में वाहनों की आवाजाही होती है. 3.®

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