रेल का सफर : सवारी गाड़ी में सवारी परेशान कृपया रेल का लोगो लगाने का कष्ट करेंगे———————————–सहरसा-
खगड़िया : रेल खंड पर चलने वाली विभिन्न पैसेंजर ट्रेनों में यात्री सुविधा गायब सवारी गाड़ी के टाइम टेबल का नहीं रहता है कोई ठिकाना, रेल प्रशासन बेपरवाह सहरसा से खगडि़या आने में पैसेंजर ट्रेन को लग रहे ढ़ाई से तीन घंटे बिन पानी शौचालय में रहता है गंदगी का अंबार,टूटे खिड़की व उखड़े सीट पर कट रहा सफर ट्रेन के डिब्बे के अधिकांश पंखा बेकार,
कई बोगियों में नहीं जल रहे बल्ब अंधेरे में कट रहे सफर में यात्रियों को सामान गायब होने का रहता है डर खासकर रात के पैसेंजर ट्रेनों में सक्रिय मोबाइल चोर से यात्री परेशान सामान गायब होने का सनहा दर्ज कर रेल पुलिस कर्तव्य से झाड़ रही पल्ला सवारी गाड़ी की दुर्दशा दूर करने में रेल अधिकारी नहीं ले रहे दिलचस्पी यूं तो एक्सप्रेस ट्रेनों के सामान्य बोगियों की हालत भी ठीक नहीं है. लेकिन पैसेंजर ट्रेनों में मिलने वाली अधिकांश यात्री सुविधा गायब सी हो गयी है. शौचालय में पानी तक नहीं रहता है
तो और सुविधा की बात क्या करें. रेल प्रशासन को इस ओर अविलंब ध्यान देना चाहिए. -सुभाष चन्द्र जोशी, संयोजक रेल उपभोक्ता संघर्ष समिति ट्रेनों की सुरक्षा में राजकीय रेल पुलिस मुस्तैद है. मोबाइल चोरों को पकड़ने के लिये सादे लिबास में रेल पुलिस की तैनाती की जा रही है. लोगों को सतर्क रह यात्रा करने की जरूरत है. रेल पुलिस हर कदम पर उनके साथ है.
– जितेन्द्र मिश्र, रेल एसपी, कटिहार प्रतिनिधि, खगड़िया सहरसा समस्तीपुर रेल खंड पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों से अधिकांश यात्री सुविधा गायब हो गये हैं. लिहाजा रेल का सफर सुहाना होने की बजाय कष्टदायक बन गया है. जिसके कारण यात्रियों को फजीहत झेलने पड़ रही है. परेशान यात्री रेल प्रशासन को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं. शौचालय में पानी नहीं, बोगी में लाइट नहीं, टूटी खिड़की, छत पर चिप्पी, बेकार पड़ा पंखा आदि जैसी कई समस्याओं से दो-चार होकर इन दिनों सवारी गाड़ी के सवारियों को गुजरना पड़ रहा है. रात के समय तो रेल यात्रियों की दिक्कत बढ़ जाती है.
अंधेरे में बोगी में सफर काटने की मजबूरी के बीच गाढ़ी कमाई लूटने का भी खतरा बना रहता है. खासकर मोबाइल चोरी से यात्रियों की परेशानी बढ़ गयी है. उधर, सामान चोरी का सनहा दर्ज कर रेल पुलिस कर्तव्य से पल्ला झाड़ लेती है. लिहाजा यात्रियों को नुकसान झेलने के अलावा रेल का सफर सुहाना कम कष्टदायक ज्यादा साबित हो रही है. इधर, ट्रेनों में यात्री सुविधाओं के अभाव में यात्रियांे को होने वाली परेशानियों से रेल प्रशासन अनजान बना हुआ है. अंधेरे में कट रहा सफर पैसेंजर ट्रेनों की कई बोगियों में बल्ब तक नहीं जलते हैं. ऐसे में पंखा की बात की करना बेइमानी होगी. ऐसे में अंधेरे में सवारी गाड़ी के सवारी सफर करने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं ट्रेन के डिब्बे की टूटी खिड़की कब आपके अंग पर गिर जाये कहना मुश्किल है.
टूटी खिड़की के खतरे के बीच फटे-चिटे सीट भी रेलगाड़ी में यात्री सुविधा की पोल खोल रहा है. उधर, बोगियों को छोडि़ये, सीट पर जमी गंदगी देख यात्री नाक भौं सिकुड़ने लगते हैं. शौचालय में पानी के अभाव व गंदगी के अंबार के कारण खासकर महिला यात्रियों को काफी फजीहत झेलनी पड़ती है. इंजन पर होती है रेल की सवारी पहले से प्रचलित बातें आज भी सहरसा मानसी रेलखंड पर देखने को मिलती है. कहा जाता है कि यहां हाथ के इशारे पर ट्रेन रुकती व चलती है. हालांकि अब वैसी बात नहीं रही.
लेकिन इस रेलखंड पर आज भी इंजन व ट्रेनों की छतों पर चढ़ कर यात्रा करते देखा जा सकता है. इतना ही नहीं ब्रेकभान में सामानांे की बजाय आदमी लदे रहते हैं. बोगियों में भीड़ ऐसी कि उतरने में यात्रियों के पसीने छूट जाते हैं. ऐसे में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. आये दिन ट्रेन से गिर कर लोग जान गंवाते रहते हैं. फिर रेल पुलिस पोस्टमार्टम करवा कर शव परिजनों को सौंप कर अगले घटना के इंतजार में लग जाती है. वहीं ट्रेनों में स्कार्ट करने वाले जीआरपी के जवानों को इससे कोई लेना देना नहीं रहता है. शुक्र है ट्रेन पहुंच गयी…सहरसा-समस्तीपुर रेलखंड पर चलने वाली सवारी गाड़ी के टाइम टेबल का यह आलम है कि ट्रेन पहुंचने पर यात्रियों के मुंह से इतना जरूर निकलता है कि शुक्र है ट्रेन पहुंच गयी.
इस रेलखंड पर चलने वाली सवारी गाड़ी को कोई टाइम टेबल नहीं है. स्थिति ऐसी है कि जिस समय में खुला वही टाइम है और जब पहुंच जाये गनीमत है. अक्सर पैसेंजर ट्रेन लेट ही चलती है. कभी इंजन फेल तो कभी कोई और समस्या जिसके कारण पैसेंजर ट्रेन घंटों लेट से निर्धारित रेलवे स्टेशन पहुंचती है. स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सहरसा के खगडि़या पहुंचने में सवारी गाड़ी को ढ़ाई से तीन घंटे तक लग जाते हैं. रात वाली ट्रेन की बात ही मत कीजिये. सवारी गाड़ी कब पहुंचेगी यह शायद ट्रेन के ड्राइवर को भी मालूम नहीं रहता है. यात्री सुविधा के अभाव में रेलयात्री इन सारी समस्याओं से जूझते हुए सवारी गाड़ी में यात्रा करने को विवश हैं.