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आरटीपीएस सेवा की गारंटी पर लगा बट्टा

िजले में आरटीपीएस काउंटर पर आने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यहां पेंशन योजना का स्वीकृति पत्र व मोटेशन का शुद्धि पत्र आरटीपीएस काउंटर पर उपलब्ध नहीं रहता है. इसके िलए लोगों को जहां-तहां भटकना पड़ता है. खगड़िया : लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम का मतलब है लोगों को सेवा […]

िजले में आरटीपीएस काउंटर पर आने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यहां पेंशन योजना का स्वीकृति पत्र व मोटेशन का शुद्धि पत्र आरटीपीएस काउंटर पर उपलब्ध नहीं रहता है.

इसके िलए लोगों को जहां-तहां भटकना पड़ता है.

खगड़िया : लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम का मतलब है लोगों को सेवा की गारंटी.
इस अधिनियम के लागू होने से लोगों ने राहत की सांस जरूर ली है. किंतु, आरटीपीएस काउंटर पर कुछ सेवा उपलब्ध नहीं रहने से इस अधिनियम की साख पर बट्टा लगने लगा है.
कई लोगों की यदि मानें तो पेंशन योजना का स्वीकृति पत्र एवं मोटेशन का शुद्धि पत्र आरटीपीएस काउंटर पर उपलब्ध नहीं रहता है. जबकि, इस अधिनियम के तहत सभी आरटीपीएस काउंटर पर स्वीकृति पत्र एवं शुद्धि पत्र उपलब्ध रहना अनिवार्य है.
शुद्धि पत्र के लिए लोग लगाते हैं चक्कर
पेंशन योजना का स्वीकृति पत्र एवं मोटेशन का शुद्धि पत्र के लिए लोग प्रखंड सह अंचल कार्यालय का चक्कर लगाते हैं. हालांकि आवेदक पेंशन योजना व मोटेशन का आवेदन आरटीपीएस काउंटर पर ही जमा करते हैं.
किंतू, जब आवेदक काउंटर पर जाते हैं तो उन्हें पता चलता है कि स्वीकृति पत्र व शुद्धि पत्र यहां उपलब्ध नहीं है. अंतत: उन्हें प्रखंड सह अंचल कार्यालय के बाबूओं का चक्कर लगाने पर स्वीकृति पत्र व शुद्धि पत्र मिल पाता है. जबकि इस अधिनियम का उद्देश्य यह है कि जाति, आय, आवासीय, ओबीसी प्रमाण पत्र समेत एलपीसी आरटीपीएस काउंटर से प्राप्त होगा. इसके अलावा स्वीकृति पत्र व शुद्धि पत्र भी आरटीपीएस काउंटर से ही वितरण होगा.
नामित सहायक काउंटर से रहते हैं नदारद
इस अधिनियम के अनुसार प्रखंड सह अंचल कार्यालय में पदस्थापित एक सहायक को आरटीपीएस काउंटर के लिए नामित किया जाता है.
जिसका उद्देश्य यह है कि सभी सेवाएं काउंटर से वितरण हो और सभी प्रकार की आवेदनों की जांच नामित सहायक द्वारा की जाये. किंतु, किसी भी आरटीपीएस में नामित सहायक को नहीं देखा जाता है.
परिणामस्वरूप आरटीपीएस में नियोजित कार्यपालक सहायक पर कार्यों की जिम्मेवारी बढ़ जाती है. स्थिति यह है कि कार्यपालक सहायक ही आवेदनों की जांच कर इंट्री करते हैं. नामित सहायक के काउंटर पर नहीं रहने से अनियमितता को भी बढ़ावा मिलता है.
बीडीओ-सीओ गंभीर नहीं
कई लोगों का मानना है कि स्वीकृति पत्र व शुद्धि पत्र को लेकर बीडीओ-सीओ गंभीर नहीं हैं. इसको लेकर अगर बीडीओ-सीओ गंभीर बन जाये तो लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि स्वीकृति पत्र व शुद्धि पत्र आरटीपीएस काउंटर से वितरण नहीं होने से अनियमितता को बढ़ावा मिलता है.

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