शादी के बाद दस दिन ससुराल में रहने के बाद लक्ष्मी पुन: अपने मायके चली आयी. दोबारा वह ससुराल गयी और छह महीने वहां रही. तब मायके वाले लक्ष्मी की विदाई करा जाते, तो ससुराल वाले आज-कल का बहाना बना कर उन्हें वापस कर देते थे. साथ ही 50 हजार रुपये की मांग की जाती थी. लाचार होकर 12 मार्च, 2009 को एक आदमी को लक्ष्मी के ससुराल पता करने के लिए भेजा गया. पर, लक्ष्मी घर में नहीं थी. घर के अन्य सदस्य भी गायब थे.
इसकी सूचना लक्ष्मी की मां सुमित्र देवी ने रेलवे थाना बिहपुर में आवेदन देकर की. न्यायालय ने हत्या कर लाश गायब करने के आरोप में थाना बिहपुर निवासी पति गौरी शंक र चौहान एवं देवर शिवशंकर चौहान को दस-दस वर्ष के कारावास की सजा सुनायी. अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता ओम प्रकाश वर्मा व प्रियरंजन कुमार एवं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता इस्माइल हुसैन ने पक्ष रखा.