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17 डॉक्टर के भरोसे तीन लाख पशुओं का इलाज

खगड़िया: जिला में तीन लाखों पशुओं का इलाज महज 17 पशु चिकित्सक कर रहे हैं. जिले में पशु चिकित्सा विभाग में कुल 37 चिकित्सक पद सृजित है. इसके विरुद्ध मात्र 17 चिकित्सकों से काम लिया जा रहा है. इसमें 11 चिकित्सक नियमित व छह संविदा पर कार्य कर रहे हैं. जिले के छह प्रखंडों में […]

खगड़िया: जिला में तीन लाखों पशुओं का इलाज महज 17 पशु चिकित्सक कर रहे हैं. जिले में पशु चिकित्सा विभाग में कुल 37 चिकित्सक पद सृजित है. इसके विरुद्ध मात्र 17 चिकित्सकों से काम लिया जा रहा है. इसमें 11 चिकित्सक नियमित व छह संविदा पर कार्य कर रहे हैं. जिले के छह प्रखंडों में पशु पालन पदाधिकारी हैं जबकि बेलदौर प्रखंड खाली है.
जिले में कितने हैं कर्मचारी. जिले के सभी प्रखंड क्षेत्र में पदस्थापित चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की संख्या मात्र 31 है. जबकि स्वीकृत पद 55 है. 24 पद रिक्त रहने के कारण पशु चिकित्सा में कठिनाइयां हो रही है. इसके अलावा विभाग में एक लिपिक से ही कार्य लिया जा रहा है जबकि यहां लिपिक का स्वीकृत पद सात है. वहीं तीन वाहन चालक के विरुद्ध महज एक वाहन चालक से कार्य लिया जा रहा है.
पशुओं को इस तरह की होती है बीमारी. पशुपालन पदाधिकारी श्री प्रसाद ने बताया कि गाय, भैंस की पौष्टिक आहार में हरी घास, खल्ली, शक्कर, आदी,भूसा को सही समय पर देने से विभिन्न प्रकार के रोग होने की संभावना कम रहती है. पशुपालक के द्वारा पशु आहार में कमी तथा दूध की अधिक उपलब्धता लाने की चेष्टा करने पर थोड़ा बहुत ही खाना के रूप में सिर्फ हरी घास व भूसा देकर काम चलाया जाता है. इससे गलघोंदू, लंगड़ी, खुरहा, मुंहपका जैसे गंभीर बीमारी से पशु ग्रसित हो जाते हैं. सही समय पर उपचार नहीं करने पर पशुओं की मौत हो जाती है. उन्होंने बताया कि छोटी मोटी बीमारी खांसी, सर्दी, बुखार व गंभीर रोगों के लिए प्रत्येक प्रखंड में दो बार कैंप लगाया जाता है. कैंप के माध्यम से उन पशुओं का उपचार किया जाता है.

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