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शिक्षा विभाग में चल रहा है प्रतिनियोजन का खेल

परबत्ता: प्रखंड में शिक्षा विभाग द्वारा एक से बढ़कर एक कारनामे किये जाते रहे हैं. इसमें कई बार ऐसा भी होता है कि सरकार तथा विभाग द्वारा जारी किये गये नियमावली तथा आदेशों के विपरीत भी आदेश जारी कर दिया जाता है. वहीं कई बार परस्पर विरोधाभासी आदेश भी जारी कर दिया जाता है. क्या […]

परबत्ता: प्रखंड में शिक्षा विभाग द्वारा एक से बढ़कर एक कारनामे किये जाते रहे हैं. इसमें कई बार ऐसा भी होता है कि सरकार तथा विभाग द्वारा जारी किये गये नियमावली तथा आदेशों के विपरीत भी आदेश जारी कर दिया जाता है. वहीं कई बार परस्पर विरोधाभासी आदेश भी जारी कर दिया जाता है.
क्या है विरोधाभासी आदेश
प्रखंड मुख्यालय स्थित रूपौहली गांव स्थित कन्या मध्य विद्यालय रूपौहली की शिक्षिका साजदा प्रवीण का प्रति नियोजन प्राथमिक विद्यालय नोनिया टोला मानसी बाजार कर दिया गया. डीइओ के हस्ताक्षर से जारी इस पत्र ज्ञापांक 339 दिनांक 27 फरवरी 15 के द्वारा प्रखंड शिक्षिका का प्रतिनियोजन अन्य प्रखंड में स्वयं जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा किया गया है. जबकि इस आदेश से दो सप्ताह पूर्व डीइओ ने ज्ञापांक 244 दिनांक 14 फरवरी 15 के द्वारा ऐसे सभी प्रतिनियोजन को रद्द कर दिया गया था. इस पत्र में कहा गया था कि शिक्षा दरबार में प्राय: यह शिकायत प्राप्त हो रहा है कि शिक्षक मूल विद्यालय से अन्य विद्यालय या अन्य कार्यालयों में वर्षो से प्रतिनियुक्त हैं. उक्त स्थिति को देखते हुए चार दिसंबर 14 से पूर्व सभी स्तर के पदाधिकारी द्वारा किये गये ऐसे प्रतिनियोजन को पत्र निर्गत तिथि से रद्द किया जाता है. इस पत्र के विपरीत स्वयं डीइओ द्वारा ही शिक्षिका का प्रतिनियोजन कर दिया गया.
क्या है नियम व नियमावली
शिक्षक नियोजन नियमावली के अनुसार किसी भी प्रखंड, नगर शिक्षक का प्रतिनियोजन अन्य नियोजन इकाई अंतर्गत विद्यालयों या कार्यालयों में नहीं किया जा सकता है. किंतु नियमावली का उल्लंघन की बढ़ती घटनाओं के परिपेक्ष्य में एक आवेदक ने सूचना का अधिकार के तहत शिक्षा विभाग के प्राथमिक शिक्षा निदेशक से दिनांक 26 सितंबर 2009 को नियोजित शिक्षकों के प्रतिनियोजन के संबंध में जानकारी मांगी. लोक सूचना पदाधिकारी प्राथमिक शिक्षा ने पत्रंक 1314 दिनांक 12 दिसंबर 2009 के द्वारा सूचित किया कि प्रखंड शिक्षक के प्रतिनियोजन का प्रावधान नहीं है.
क्या है स्थिति
करीब एक दर्जन शिक्षक अन्य प्रखंडों में प्रतिनियोजित है. कई ऐसे हैं जो मूल विद्यालय से वर्षो से स्थायी रूप से गायब हैं. कई शिक्षकों ने केवल योगदान ही मूल विद्यालय में किया है और लगातार प्रतिनियोजित हैं. कुछ शिक्षक अन्य प्रखंड से परबत्ता में भी प्रतिनियोजित हैं.
वरीय पदाधिकारियों द्वारा समय समय पर प्रतिनियोजन तोड़ा तथा किया जाता है.
अधिकारों का होता है उल्लंघन
विभिन्न स्तर के पदाधिकारियों के द्वारा किये गये जा रहे इन प्रतिनियोजन से न केवल शिक्षा का अधिकार का भी उल्लंघन हो रहा है. बल्कि पंचायती राज संस्थाओं के अधिकारों का भी उल्लंघन हो रहा है. शिक्षा का अधिकार में छात्र शिक्षक अनुपात तथा शिक्षण के घंटे व कार्य दिवस तय है. प्रतिनियोजन से इस कानून का उल्लंघन होता है. वहीं नियोजन नियमावली के अनुसार नियोजित शिक्षकों को सरकार से पंचायती राज संस्थाओं को प्राप्त होने वाले अनुदान की राशि से नियत वेतन दिया जाता है. शिक्षक के अन्य नियोजन इकाई में प्रतिनियोजित होने की स्थिति में पंचायती राज की एक इकाई द्वारा दूसरी इकाई की सेवा के उपरांत भुगतान की स्थिति बन जाती है.

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