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सरकार की झोली में चली जाती है मानदेय की कुछ राशि

कार्यपालक सहायकों को प्रतिमाह अपनी जेब से खर्च करने पड़ते हैं तीन से चार सौ रुपयेनियमित एवं वेतनमान की मांग ने पकड़ी जोरप्रतिनिधि, खगडि़यालोगों को लोक सेवाओं का अधिकार दे रहे कार्यपालक सहायक को प्रत्येक माह अपने मानदेय से कुछ राशि लोगों की सेवा पर ही खर्च करने पड़ते हैं. अंचल व प्रखंड कार्यालय समेत […]

कार्यपालक सहायकों को प्रतिमाह अपनी जेब से खर्च करने पड़ते हैं तीन से चार सौ रुपयेनियमित एवं वेतनमान की मांग ने पकड़ी जोरप्रतिनिधि, खगडि़यालोगों को लोक सेवाओं का अधिकार दे रहे कार्यपालक सहायक को प्रत्येक माह अपने मानदेय से कुछ राशि लोगों की सेवा पर ही खर्च करने पड़ते हैं. अंचल व प्रखंड कार्यालय समेत कई विभागों में पदस्थापित कार्यपालक को प्रतिमाह नौ हजार रुपए मानदेय मिलता है. मानदेय की राशि में से सहायक को इंटरनेट पर करीब तीन से चार सौ रुपये प्रतिमाह खर्च करने पड़ते हैं. नियोजित कार्यपालक सहायक के एकरारनामा पर यदि गौर किया जाये तो नेट पर डाटाबेस भेजने के लिए इंटरनेट की व्यवस्था कार्यपालक सहायक को ही करनी है. किंतु, स्थिति यह है कि अब एलपीसी और मोटेशन को भी खगडि़या के वेब साइट पर अपलोड करना पड़ रहा है. इसके कारण कार्यपालक सहायक मानदेय की राशि में से इंटरनेट के खर्च वहन कर रहे हैं. इसके अलावा कार्यपालक सहायक अपने स्तर से कंप्यूटर, प्रिंटर, यूपीएस आदि सामग्री कार्यालय को उपलब्ध कराते हैं. इतना ही नहीं अगर कप्यूंटर, पिंटर, यूपीएस का पार्टस खराब होता है तो उसे कार्यपालक सहायक को ही ठीक कराने का प्रावधान है. इससे इनकी आर्थिक स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. इधर, कई सहायकों ने बताया कि यथा शीघ्र सरकार को कार्यपालक सहायक एवं आईटी असिस्टेंट को नियमित व वेतनमान लागू करने की आवश्यकता है. उनके अनुसार जब तक नियमितिकरण व वेतनमान लागू नहीं होता है, तब कार्यपालक सहायक व आइटी असिस्टेंट के मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि करने की जरूरत है.

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