चौथम. दियारा का आतंक घोघल यादव का आपराधिक इतिहास की शुरुआत सोनवर्षा गांव के प्रीति यादव के हत्या से शुरू हुई. लोगों का कहना है कि घोघल व प्रीति यादव के बीच पूर्व से चल रही भूमि विवाद के कारण उनकी हत्या के बाद उन्हें बेवजह फंसाया गया था. जबकि प्रीति यादव की हत्या से घोघल का कोई लेना देना नहीं था. घोघल उस समय दूध(दहियार) का काम करता था. हत्या मामले में फंसे घोघल यादव पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए भाग दौर की जिंदगी जीने लगा. इस दौरान उसका कदम अपराध जगत की ओर बढ़ गया. घोघल अपने विरोधी को कई वार निशाने पर लेकर गांव में गोलीबारी की घटना को भी अंजाम दिया. बाद में पंचायत से दोनों के बीच समझौता हुआ, लेकिन इसी बीच उनके ही गुट के रवि महतो से घोघल की दूरी बढ़ गयी. दोनों एक दूसरे के जानी दुश्मन बन गये. दोनों के बीच नोनहा, ठुठी मोहनपुर में कई बार जमीन पर अवैध कब्जा को लेकर गोलीबारी हुई. 16 अप्रैल 2012 को ठुठी हाट पर हुई गोलीबारी में घोघल गुट के राजबली यादव मारा गया था. दियारा में आतंकी राज के एक अध्याय तो समाप्त हुआ. लेकिन रवि महतो का अध्याय बरकरार हैं.
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हत्या कांड में फंसने के बाद अपराधी बना घोघल
चौथम. दियारा का आतंक घोघल यादव का आपराधिक इतिहास की शुरुआत सोनवर्षा गांव के प्रीति यादव के हत्या से शुरू हुई. लोगों का कहना है कि घोघल व प्रीति यादव के बीच पूर्व से चल रही भूमि विवाद के कारण उनकी हत्या के बाद उन्हें बेवजह फंसाया गया था. जबकि प्रीति यादव की हत्या से […]
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