प्रतिनिधि, परबत्तापरबत्ता प्रखंड के भरतखंड का 52 कोठली 53 द्वार नामक राजा वैभव सिंह का ऐतिहासिक महल आज खंडहर में तब्दील हो चुका है. प्रशासनिक उपेक्षा के कारण राजा की इस हवेली में चमगादड़ का बसेरा हो गया है. जिस कारण यह महल अपनी पहचान खोता जा रहा है. जानकार बताते हैं कि बंगाल के मीरकासिम के समय का यह महल भूल-भूलैया के नाम से जाना जाता था. किंतु अब यह भूल-भूलैया खंडर में बदल गया है. बताया जाता है कि इस अनोखे महल का निर्माण राजा वैभव सिंह के व्यापार की सुविधा को ध्यान में रख कर गंगा नदी के किनारे करवाया गया था. राजा वैभव सिंह के संबंध में कोई ठोस साक्ष्य उपलब्ध नहीं है. वे और उनका परिवार कहां चले गये. कुछ कहा नहीं जा सकता. स्थानीय लोगों ने बताया कि उनका परिवार अभी मगरपाड़ा में रह रहे हैं. अब इस महल को कोई देखने तक वाला नहीं है.बताया जाता है कि इस महल को यदि सरकार पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करती तो शायद इस महल के साथ-साथ क्षेत्र का भी कायाकल्प हो जाता.
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राजा की हवेली में चमगादड़ का बसेरा
प्रतिनिधि, परबत्तापरबत्ता प्रखंड के भरतखंड का 52 कोठली 53 द्वार नामक राजा वैभव सिंह का ऐतिहासिक महल आज खंडहर में तब्दील हो चुका है. प्रशासनिक उपेक्षा के कारण राजा की इस हवेली में चमगादड़ का बसेरा हो गया है. जिस कारण यह महल अपनी पहचान खोता जा रहा है. जानकार बताते हैं कि बंगाल के […]
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