सख्ती. सदर अस्पताल से 15 ऑक्सीजन सिलिंडर हुआ था गायब
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कमिश्नर ने सिविल सर्जन को लगायी फटकार
सख्ती. सदर अस्पताल से 15 ऑक्सीजन सिलिंडर हुआ था गायब खगड़िया : सदर अस्पताल से 15 ऑक्सीजन सिलिंडर गायब होने के मामले में प्रथम अपील पर मुंगेर प्रमंडलीय आयुक्त राजेश कुमार ने बुधवार को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान उन्होंने सीएस की जमकर क्लास लगायी. कार्रवाई के नाम पर आरोपित भंडारपाल के वेतन से गायब […]
खगड़िया : सदर अस्पताल से 15 ऑक्सीजन सिलिंडर गायब होने के मामले में प्रथम अपील पर मुंगेर प्रमंडलीय आयुक्त राजेश कुमार ने बुधवार को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान उन्होंने सीएस की जमकर क्लास लगायी. कार्रवाई के नाम पर आरोपित भंडारपाल के वेतन से गायब ऑक्सीजन सिलिंडर की कीमत वसूलने के आदेश की जानकारी सीएस द्वारा देने पर आयुक्त बिफर पड़े. कार्रवाई के नाम पर राशि वसूली के आदेश सुनते ही आयुक्त ने सीएस से पूछा कि एक सिलिंडर की कितनी कीमत होती है.
उन्होंने सिविल सर्जन को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश का ससमय अनुपालन हो गया होता तो आवेदक को प्रथम अपील की जरूरत नहीं पड़ती. आखिर आपलोग आदेश के अनुपालन में आनाकानी क्यों करते हैं. बता दें कि जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा तत्कालीन भंडारपाल पर कार्रवाई की समय सीमा समाप्त 30 अक्तूबर को समाप्त हो गयी. मामला आयुक्त दरबार में पहुंचने की खबर बाद आनन फानन में सिविल सर्जन ने आरोपित भंडारपाल के वेतन से राशि वसूली का आदेश जारी कर दिया. लेकिन उनका यह दांव आयुक्त के पास उल्टा पड़ गया.
क्या है पूरा मामला : सदर अस्पताल उपाधीक्षक ने नौ सितंबर 2017 को सीएस को यह रिपोर्ट भेजी कि तत्कालीन भंडारपाल ने 42 की जगह 24 सिलिंडर का ही प्रभार सौंपा गया है. सदर अस्पताल 15 ऑक्सीजन सिलिंडर गायब होने का मामला वर्ष 2010 के पूर्व का है. स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार 14 अगस्त 2009 को स्वास्थ्य कर्मी अवधेश कुमार को भंडारपाल का प्रभार प्राप्त हुआ था. तब उन्हें 22 ऑक्सीजन सिलिंडर का प्रभार सौंपा गया था. इसके बाद दो फरवरी 2010 को 20 नए ऑक्सीजन सिलिंडर की खरीद की गयी. जिसे भंडारपाल श्री यादव को प्रभार दिया गया. इस तरह सिलिंडर की संख्या बढ़कर 42 हो गयी. लेकिन अपने स्थानांतारण के बाद तत्कालीन भंडारपाल श्री यादव ने वर्ष 2010 में मात्र 27 सिलिंडर का ही प्रभार नए भंडारपाल को सौंपा.
सात वर्ष के बाद सिर्फ राशि वसूली का आदेश!
सात वर्ष इस पुराने मामले में कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ स्पष्टीकरण किये जाने को लेकर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा सिविल सर्जन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाया जा चुका है. बता दें कि इस मामले की शिकायत की सुनवाई बाद फैसला देते हुए जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी विजय कुमार सिंह ने सिविल सर्जन को 30 अक्तूबर तक आरोपित भंडारपाल अवधेश यादव पर कार्रवाई कर रिपोर्ट समर्पित करने का निर्देश दिया था.
साथ ही सात वर्षों में सिर्फ स्पष्टीकरण पूछे जाने पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सिविल सर्जन कड़ी फटकार लगाते हुए उनके कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया था. जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी विजय कुमार सिंह ने सात वर्ष पहले सदर अस्पताल से ऑक्सीजन सिलिण्डर गायब होने के मामले में अब तक कार्रवाई नहीं हो पाना यह बताता है कि सिविल सर्जन द्वारा लापरवाही बरती गयी है. मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा होने के कारण ऐसे मामलों की अनदेखी नहीं की जा सकती. सिविल सर्जन को उक्त भंडारपाल से स्पष्टीकरण पूछते हुए कठोर कार्रवाई कर 30 अक्तूबर तक करने का निर्देश दिया गया था. लेकिन सीएस ने गायब सिलिंडर की कीमत आरोपित भंडारपाल के वेतन से करने का आदेश दिया है.
सदर अस्पताल से ऑक्सीजन सिलिंडर गायब होने के मामले में तत्कालीन भंडारपाल अवधेश यादव (वर्तमान में अलौली पीएचसी में कार्यरत) के वेतन से राशि वसूली का आदेश दिया गया है.
डाॅ अरूण कुमार सिन्हा,सिविल सर्जन खगड़िया.
तत्कालीन भंडारपाल को बचाने के लिये मुझे फंसाया जा रहा है. इस साजिश में सदर अस्पताल के कई बाबू शामिल हैं. हमने सभी ऑक्सीजन सिलिंडर का प्रभार तत्कालीन भंडारपाल को सौंप दिया है. सारे आरोप बेबुनियाद हैं.
अवधेश यादव, तत्कालीन भंडारपाल.
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश की अनदेखी व भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति किया जा रहा है. लोक प्राधिकार द्वारा आदेश के अनुपालन में आनाकानी से लोक शिकायत अधिनियम को लागू करने के औचित्य पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है.
दीपक कुमार अकेला, शिकायतकर्ता.
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