खगड़िया : छह माह में अपेक्षा से काफी कम ऋण बांटे गए हैं. उम्मीद थी कि कम से कम 50 फिसदी ऋण छह माह में बटेंगें ही, लेकिन इस उम्मीद पर पानी फिर गया. ऋण वितरण की उपलब्धि इसलिए अच्छी नहीं रही, क्योंकि कई बैंकों का प्रदर्शन लचर रहा. बैंकों ने ऋण वितरण करने में रुचि नहीं दिखाई.
बैंकों की वसूली के प्रति ऋणी की उदासीनता के कारण जहां जरूरतमंद लोग ऋण लेने से वंचित रह गए. वहीं, जिले का एसीपी भी प्रभावित रहा. जानकारी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 17-18 के छह माह में लक्ष्य का महज 35.89 फिसदी ही ऋण वितरण हो पाया. जबकि लक्ष्य का 50 फिसदी ऋण वितरण करने को कहा गया था. इन छह माह में कुछेक बैंकों को छोड़ दें तो अधिकांश बैंकों की स्थिति खराब रही है. उल्लेखनीय है कि इस वित्तीय वर्ष में 1723 करोड़ 38 लाख रूपये ऋण वितरण का लक्ष्य 19 राष्ट्रीय बैंकों के साथ साथ बिहार ग्रामीण बैंक एवं को-ऑपरेटिव बैंक को दिया गया था. इन छह माह में इन बैंकों के द्वारा महज 618 लाख 49 हजार रुपये ऋण बांटे गए.
खराब प्रगति वाले बैंक
आधे दर्जन बैंकों की स्थिति इतनी खराब रही कि इनकी प्रगति दो अंक तक भी नहीं पहुंच पायी. सूत्र के मुताबिक यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवर सीज बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा एवं कैनरा बैंक ने छह माह में लक्ष्य के विरुद्ध चार प्रतिशत से कम ऋण बांटे. यानी इन चारों बैंकों ने डीएलसीसी से प्राप्त लक्ष्य के विरुद्ध ऋण वितरण करने में बिल्कुल ही नहीं दिखाई. ऋण वितरण के नाम पर इन चारों बैंकों ने महज खानापूर्ति की. वहीं, आन्ध्रा बैंक ने भी ऋण वितरण करने के नाम पर मात्र औपचारिकता ही निभायी है.
छह माह में उक्त बैंक ने लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 4.76 प्रतिशत ऋण का वितरण किया. इसी तरह बैंक ऑफ इंडिया की उपलब्धि 8.77 प्रतिशत रही. जिसे खराब नहीं बल्कि बहुत ही खराब कहा जा सकता है. इसी कड़ी में इंडियन बैंक का भी नाम सामने आ रहा है. इस बैंक के द्वारा भी लक्ष्य का बिल्कुल ही परवाह नहीं किया गया. इस बैंक की उपलब्धि भी मात्र 9.05 प्रतिशत रही है. इसी तरह इलाहाबाद बैंक ने 19.75 प्रतिशत, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 22.33 प्रतिशत, एसबीआई ने 23.75 प्रतिशत ऋण बांटे. उक्त सभी बैंकों के खराब प्रदर्शन की ही वजह से छह माह का एसीपी प्रभावित रहा है.
गैर प्राथमिकता क्षेत्र में 18 प्रतिशत ही ऋण बंटे
इन छह माह में वैसे तो ऋण वितरण की स्थिति अच्छी नहीं रही है. लेकिन गैर प्राथमिकता वाले क्षेत्र की काफी अनदेखी की गयी है. इस क्षेत्र में महज 18 प्रतिशत की ऋण बांटे गए. जबकि प्राथमिकता वाले क्षेत्र में महज 18 प्रतिशत ही ऋण बांटे गए. जबकि प्राथमिकता वाले क्षेत्र में 42.49 प्रतिशत ऋण बंटे बंधन, युनाईटेड बैंक ऑफ इंडिया, विजया बैंक की उपलब्धि इस क्षेत्र में एक प्रतिशत से भी कम रहा. जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा ने छह माह में एक चौवन्नी भी गैर प्राथमिकता वाले क्षेत्र में वितरण नहीं किया. यही हाल सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया,आन्ध्रा बैंक की उपलब्धि 2 प्रतिशत से भी कम रही. वहीं अन्य कई बैंकों ने भी इस क्षेत्र में ऋण वितरण करने में अधिक रुचि नहीं दिखाई है.
सीडी अनुपात रहा 56.04 प्रतिशत
एसीपी यानी ऋण वितरण लक्ष्य भले ही 6 माह में कम रहा तो लेकिन सीडी अनुपात ठीक ठाक रहा है. बताया जाता है कि 56.04 प्रतिशत सीडी अनुपात रहा है. बंधन बैंक सीडी अनुपात के मामले में भी अन्य बैंकों को काफी पीछे छोड़ दिया है. इस बैंक का सीडी अनुपात 243 प्रतिशत रहा है. यानी डिपोजिट से कही अधिक इस बैंक ने ऋण बांटे है. एचडीएफसी बैंक का सीडी अनुपात 163.54 प्रतिशत एवं
आईसीआईसीआई बैंक का सीडी अनुपात भी 126.94 प्रतिशत रहा है. जिसे शानदार कहा जा सकता है. उल्लेखनीय है कि सभी बैंकों को प्राप्त डिपोजिट का 60 प्रतिशत राशि ऋण के रूप में वितरण करने का आदेश जारी है. ऐसे में बंधन, एचडीएफसी एवं आईसीआईसीआई ने डिपोजिट से अधिक ऋण बांटे है. सीडी अनुपात के मामले में एसबीआई, पीएनबी, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, यूनाईटड बैंक प्रतिशत 44 से कम रहा है. जबकि इंडियन बैंक का सीडी अनुपात 27.01 एवं इंडियन ओवर सीज बैंक का 31.71 प्रतिशत रहा है. वहीं, यूको बैंक आईडीबीआई बैंक, को- ऑपरेटिव बैंक, बिहार ग्रामीण बैंक, कैनरा बैंक एवं एक्सिस बैंक का सीडी अनुपात भी अच्छा रहा है.
अन्य बैंकों की स्थिति
विभागीय जानकारी के मुताबिक बंधन बैंक माह में ही अपने लक्ष्य के काफी करीब पहुंच गया. दिए गए लक्ष्य के विरुद्ध बंधन बैंक ने छह माह में ही 93.53 प्रतिशत ऋण बांटे है. अच्छे प्रदर्शन करने वालों में को- ऑपरेटिव बैंक 85.51 प्रतिशत तथा एचडीएफसी बैंक 62.7. रहा है. वहीं, एक्सिस बैंक ने 47.73 प्रतिशत तथा यूनियन बैंक ने 38.58 प्रतिशत ऋण वितरण बांटे है.