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धन की देवी लक्ष्मी की पूजा से मिलती है सुख-समृद्धि

आस्था. दीवाली को लेकर हर घर में चल रही साफ-सफाई खगड़िया : दीवाली के दिन की विशेषता लक्ष्मी जी के पूजन से संबंधित है. इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रूप में उनका स्वागत किया जाता है. दीपावली के दिन जहां गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन की […]

आस्था. दीवाली को लेकर हर घर में चल रही साफ-सफाई
खगड़िया : दीवाली के दिन की विशेषता लक्ष्मी जी के पूजन से संबंधित है. इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रूप में उनका स्वागत किया जाता है. दीपावली के दिन जहां गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत और तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करने के लिए रात्रिकाल में अपने तांत्रिक कर्म करते है. संसारपुर गांव निवासी पंडित अजय कांत ठाकुर बताते है.
कैसे करें दीपावली पूजन की तैयारी. एक थाल में या भूमि को शुद्ध करके नवग्रह बनायें या नवग्रह यंत्र की स्थापना करें. इसके साथ ही एक ताम्बें का कलश बनाएं, जिसमें गंगाजल, दूध, दही, शहद, सुपारी, सिक्के और लौंग आदि डालकर उसे लाल कपड़े से ढक कर एक कच्चा नारियल कलावे से बांध कर रख दें. जहां पर नवग्रह यंत्र बनाया गया है.
वहां पर रुपया, सोना या चांदी का सिक्का, लक्ष्मी जी की मूर्ति या मिट्टी के बने हुए, लक्ष्मी – गणेश सरस्वती जी या ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां या चित्र सजायें. कोई धातु की मूर्ति हो तो उसे साक्षात रूप मानकर दूध, दही ओर गंगाजल से स्नान कराकर अक्षत, चंदन का शृंगार कर फूल से सजाएं. एक पंचमुखी दीपक अवश्य जलायें, जिसमें घी या तिल का तेल प्रयोग किया जाता है.
बही-खाता पूजन. बही खातों का पूजन करने के लिए पूजा मुहूर्त समय अवधि में नवीन बहियों व खाता पुस्तकों पर केसर युक्त चंदन से अथवा लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए.
इसके बाद इनके ऊपर श्री गणेशाय नम: लिखना चाहिए. इसके साथ ही एक नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठे, कमलगट्ठा, अक्षत, दुभ, धनिया व दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वास्तिक का चन्हि लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करना चाहिए.
पूजा की सामग्री. लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में) केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती,11 दीपक. रूई के अलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए.
लक्ष्मी पूजन की विधि
आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए. कुछ द्रव्य भी ले लीजिए. द्रव्य का अर्थ है कुछ धन. यह सब हाथ में लेकर संकसंकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो.
सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए. हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वाहन व पूजन मंत्र (ऊँ दीपावल्यै नम:) बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए. हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए. अंत में महालक्ष्मी जी की आरती के साथ पूजा का समापन कीजिये.

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