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सौरभ पर दर्ज करायी प्राथमिकी

हद है . जेल में वसूली का आरोप लगाने के बाद मामले में आया नया माेड़ मंडल कारा के विचाराधीन कैदी सौरभ को सोमवार को कोर्ट ने जमानत दे दी थी. जमानत पर बाहर आने के बाद सौरभ ने मीडिया के सामने जेल प्रशासन पर कई तरह के आरोप लगाये. इसके बाद मंगलवार जेल प्रशासन […]

हद है . जेल में वसूली का आरोप लगाने के बाद मामले में आया नया माेड़

मंडल कारा के विचाराधीन कैदी सौरभ को सोमवार को कोर्ट ने जमानत दे दी थी. जमानत पर बाहर आने के बाद सौरभ ने मीडिया के सामने जेल प्रशासन पर कई तरह के आरोप लगाये. इसके बाद मंगलवार जेल प्रशासन की ओर से सौरभ के खिलाफ जेल में मोबाइल रखने को लेकर सहायक थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी.
कटिहार : मंडल कारा में विचाराधीन कैदी सौरभ ठाकुर बीते कुछ दिनों से उत्पाद अधिनियम के उल्लघंन के आरोप में बंद था. सोमवार को न्यायालय से उसे जमानत मिल गयी थी. बेल मिलते ही उसके जमानत का पेपर मंडल कारा पहुंचा तथा सौरभ की जमानत देने की कार्रवाई काराधीक्षक के निर्देश पर शुरू हो गयी. इसके बाद सौरभ को मंडल कारा से सभी प्रक्रिया पूरी कर बाहर निकाला गया. इधर मंगलवार को सौरभ को पता चला कि उसके विरुद्ध सहायक थाना में सुरक्षा कर्मी की शिकायत पर मंडल कारा में मोबाइल उपयोग करने तथा उसके पास से मोबाइल बरामद होने को लेकर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है,
तो सौरभ ने कहा कि अगर मेरे पास मोबाइल मंडल कारा में ही मिला था, तो कारा प्रशासन ने उसे क्यों छोड़ा. मंडल कारा से बाहर आते ही मैंने मीडिया कर्मियों के बीच जेल की कुव्यवस्था की पोल खोली थी, जिसका नतीजा है कि कारा प्रशासन ने उसके विरुद्ध मंडल कारा में मोबाइल उपयोग व बरामदगी को लेकर प्राथमिकी दर्ज करायी है. सौरभ ने कहा कि मंडल कारा में कारा प्रशासन की मिली भगत से वसूली का खेल खुले तौर पर होता है. कारा में आने वाले कैदियों के साथ व्यवहार उनकी आर्थिक स्थिति तथा उस कैदी के बैक ग्रांउड के हिसाब से होती है. आने वाला कैदी यदि दबंग या किसी प्रभावशाली व्यक्ति का करीबी है, तो क्या मजाल कोई उसे छू दे या फिर वह कई बार जेल आ चुका है, तो जेल से सुरक्षित ठिकाना उन कैदियों के लिए और कहीं नही है. सौरभ ने कहा कि जेल में जिस प्रकार कैदियों की बबर्रतापूर्वक पिटायी की जाती है, वह सिस्टम पर बदनुमा धब्बा है. सौरभ ने खुले तौर पर कहा कि उसे तथा उसके जैसे कई कैदियों को कारा प्रशासन ही जेल में मोबाइल मुहैया कराता है, जिसके एवज में उससे अच्छी खासी राशि ली जाती है. ऐसे ही मोबाइल से जेल के वार्ड इंचार्ज सहित अन्य दंबग व प्रभावशाली कैदी छोटे-मोटे अपराध में जेल आये कैदियों से रंगदारी की वसूली उसके परिजनों को डरा धमका कर करते हैं.
कहते हैं काराधीक्षक : काराधीक्षक सुजीत कुमार झा ने कहा कि मंडलकारा में बंद विचाराधीन कैदी सौरभ को बेल मिल गया था. बेल बांड सहित अन्य प्रक्रिया पूरी कर मंडल कारा के मेन गेट के पास जब सुरक्षा कर्मी ने तलाशी ली, तो उसके पास से मोबाइल मिला था. चूंकि मामले में न्यायालय का आदेश था, इसलिए उसे छोड़ना पड़ा था. बरामद मोबाइल को लेकर नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है. आरोपित बचने के लिए पदाधिकारी पर इस प्रकार के आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं. उन्होंने सौरभ के आरोप को बेबुनियाद बताया.
मोबाइल के लिए दिया था पांच हजार
सौरभ ने कहा कि मेरे पास से जांच में कुछ बरामद नहीं हुआ, लेकिन कारा में कारा अधीक्षक के निर्देश पर उसे मोबाइल मुहैया कराया गया था. इसके लिए उसने कारा में पांच हजार रुपये दिये थे. सौरभ ने कहा कि उसका कसूर सिर्फ इतना था कि कारा प्रशासन की इस कुव्यवस्था को उजागर करने के लिए कारा प्रशासन की ओर से दिये गये मोबाइल पर कई आपत्तिजनक वीडियो व ऑडियो रिकार्ड किया है, जो कि मंडल कारा की कुव्यवस्था तथा मंडल कारा में राशि के खेल में कारा प्रशासन की मिलीभगत साफ दिखती है. मोबाइल उपयोग करने के बाद मोबाइल को सुरक्षाकर्मी ही सुरक्षित जगह ठिकाने लगा देते हैं. वह क्या उसके जैसे कई कैदी मंडल कारा में मोबाइल उपयोग कर पुन: मोबाइल सुरक्षाकर्मी के हवाले कर देते है. तो फिर उसके पास से मोबाइल कैसे बरामद होगा. अगर उसके पास से मोबाइल बरामद ही हुआ था, तो उसी दिन थाने को सूचना क्यों नहीं दी या प्राथमिकी दर्ज क्यों नही करायी गयी.

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