कार्यशाला. शिशु व मातृ मृत्यु दर को कम करना जरूरी
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रोकने की होगी पहल
कार्यशाला. शिशु व मातृ मृत्यु दर को कम करना जरूरी सदर अस्पताल के सभागार मंगलवार को कार्यशाला हुई. इसका उद्देश्य शिशु व मातृ मृत्यु दर को कम करना था. कार्यशाला में इसको लेकर विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गयी. कटिहार : सदर अस्पताल स्थित सभागार में मंगलवार को शिशु मृत्यु दर व मातृ मृत्यु दर […]
सदर अस्पताल के सभागार मंगलवार को कार्यशाला हुई. इसका उद्देश्य शिशु व मातृ मृत्यु दर को कम करना था. कार्यशाला में इसको लेकर विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गयी.
कटिहार : सदर अस्पताल स्थित सभागार में मंगलवार को शिशु मृत्यु दर व मातृ मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिला पदाधिकारी मिथिलेश मिश्र के निर्देश पर आयोजित इस कार्यशाला में शिशु मृत्यु दर व मातृ मृत्यु दर को कम करने को लेकर विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गयी. इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ श्याम चंद्र झा झा सहित स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कई अधिकारी उपस्थित थे. कार्यशाला में तकनीकी विशेषज्ञ अजय आर्य ने शिशु व मातृ मृत्यु दर को लेकर विकसित किये गये फार्मेट पर सभी का क्षमतावर्धन किया.
कार्यशाला में सिविल सर्जन ने कहा कि शिशु मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर के हर मामले को पंजीकृत करना है. निर्धारित प्रपत्र में शिशु एवं मातृ मृत्यु से जुड़े हर जानकारी को उपलब्ध कराना है. उन्होंने कहा कि कई बार शिशु व बाल मृत्यु की रिपोर्टिंग नहीं होती है. स्वास्थ्य कर्मी एवं अन्य लोगों के द्वारा कार्रवाई के डर से शिशु एवं मातृ मृत्यु की रिपोर्टिंग नहीं कर पाते हैं, लेकिन इस तरह के रिपोर्टिंग करने पर किसी तरह का दंड नहीं दिया जायेगा. सरकार का उद्देश्य बाल एवं मातृ मृत्यु दर को हर हाल में कम करना है. अगर बाल एवं मातृ मृत्यु का मामला सामने आता है तथा उसके कारण उजागर होते है तो इसकी रोकथाम की दिशा में पहल की जा सकती है.
बाल मृत्यु यानी शून्य से 5 वर्ष तक के बच्चे की मृत्यु होने पर उसकी जानकारी देने के आलोक में आशा या आंगनबाड़ी सेविका को 50 रुपया का प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है. कार्यशाला में हुई चर्चा की जानकारी देते हुये जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक निलेश कुमार ने बताया कि 5 वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु को रोकने का लक्ष्य है. अगर किसी बच्चे की मृत्यु होती है तो मृत्यु के कारण सहित अन्य जानकारी प्राप्त की जायेगी. इसी तरह 15 वर्ष से 45 वर्ष तक के महिलाओं की मौत अगर प्रसव के दौरान या प्रसव के 42 दिन के भीतर होती है तो उसके कारणों सहित अन्य जानकारी निर्धारित प्रपत्र में ली जायेगी.
साथ ही गर्भावस्था के दौरान अगर किसी महिला की मौत होती है तो उसकी भी जानकारी एकत्रित की जायेगी. इस तरह होने वाले मौत के कारणों सहित अन्य जानकारी की समीक्षा जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में हर महीने होगी. उन्होंने कहा कि जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तर पर एक कमेटी गठित की गयी है, जो हर महीने मातृ मृत्यु की समीक्षा करेगी. इसी तरह बाल मृत्यु होने पर जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति उसकी समीक्षा करेगी. प्रखंड स्तर पर भी इसी तरह की समीक्षा करने की के लिए कमेटी गठित की गयी है. बैठक में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, अस्पताल प्रबंधक, उपाधीक्षक आदि शामिल हुए.
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