गतिरोध. जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा लाभ, अधिकारी दिखा रहे लापरवाही
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स्वास्थ्य योजनाएं पड़ी हैं बीमार
गतिरोध. जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा लाभ, अधिकारी दिखा रहे लापरवाही कटिहार : जिले में विभिन्न स्तरों पर निगरानी की व्यवस्था होने ने बावजूद जिले में संचालित स्वास्थ्य योजनाओं की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. पिछले वर्ष की भांति इस साल भी कई स्वास्थ्य योजनाएं लक्ष्य के काफी पीछे रह गयीं. केंद्र […]
कटिहार : जिले में विभिन्न स्तरों पर निगरानी की व्यवस्था होने ने बावजूद जिले में संचालित स्वास्थ्य योजनाओं की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. पिछले वर्ष की भांति इस साल भी कई स्वास्थ्य योजनाएं लक्ष्य के काफी पीछे रह गयीं. केंद्र एवं राज्य सरकार आम लोगों के लिए विभिन्न तरह की स्वास्थ्य योजनाएं चला रही है. स्वास्थ्य योजनाओं के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन को लेकर हर साल लक्ष्य निर्धारित किया जाता है. वित्तीय वर्ष 2016-17 की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, कटिहार जिला स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन में लक्ष्य से काफी पीछे रह गया है. खासकर परिवार कल्याण कार्यक्रम,
राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम, टीकाकरण अभियान, संस्थागत प्रसव सहित विभिन्न योजनाओं की स्थिति ठीक नहीं है. हालांकि कुछ योजनाओं की स्थिति ठीक भी है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के दिशा-निर्देश के आलोक में संचालित विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर पिछले वर्ष भी यही स्थिति रही है.
सिविल सर्जन कटिहार ने 10 अप्रैल 2017 को जारी रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2016-17 के विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के स्थिति का जिक्र किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार लक्ष्य विरुद्ध मात्र 45 प्रतिशत बंध्याकरण हुआ है. जबकि 40 प्रतिशत से कुछ अधिक मोतियाबिंद का ऑपरेशन लक्ष्य के विरुद्ध हुआ है. इसी तरह संस्थागत प्रसव लक्ष्य के विरुद्ध 57 प्रतिशत हुआ है. अभी भी बड़ी तादाद में महिलाएं घर पर ही प्रसव कराना पसंद कर रही है. यह स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती है.
कोई भी योजना अपने लक्ष्य को नहीं कर सकी पूरा
स्वास्थ्य विभाग की ताजा रिपोर्ट से हुआ खुलासा
जिले में 259 लोग पाये गये एचआइवी पॉजिटिव
50 फीसदी से भी कम किया गया मोतियाबिंद अॉपरेशन
कटिहार जिले में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया जाता है. वित्तीय वर्ष 2016-17 की समाप्ति 31 मार्च 17 को हो गयी. इस वित्तीय वर्ष में परिवार कल्याण कार्यक्रम की स्थिति अत्यंत दयनीय है. पिछले कई वर्षों से यह कार्यक्रम लक्ष्य काफी पीछे रह जाता है. इस वित्तीय वर्ष के समाप्ति के बाद भी यही स्थिति रही है. इस वर्ष में इस वित्तीय वर्ष में परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत बंध्याकरण के मामले में लक्ष्य से 57 प्रतिशत कम उपलब्धि हासिल हुई.
यानी लक्ष्य के विरुद्ध 43 प्रतिशत महिलाओं का बंध्याकरण हुआ है. इस वित्तीय वर्ष में कुल 34412 महिलाओं का बंध्याकरण करने का लक्ष्य था. इसके विरुद्ध मात्र 13921 महिलाओं का बंध्याकरण हुआ. परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत आइडीयू सीसी सुजस आदि की भी स्थिति यही है.
इस वित्तीय वर्ष में राष्ट्रीय अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम की स्थिति भी कमोबेश बंध्याकरण जैसी ही है. इस कार्यक्रम के तहत मोतियाबिंद के मरीजों का मुफ्त में ऑपरेशन कर उसकी आंखों में रोशनी लायी जाती है. लेकिन विभागीय उदासीनता की वजह से यह कार्यक्रम भी फ्लॉप साबित हो रहा है. वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद 10 अप्रैल 2017 को सिविल सर्जन द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, लक्ष्य के विरुद्ध 50 प्रतिशत से कम लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया. विभागीय इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में कुल 5500 मोतियाबिंद मरीजों का ऑपरेशन करने का लक्ष्य था. इसके विरुद्ध मात्र 2405 मरीजों का ऑपरेशन किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए कुल 24 कैंप जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लगाया गया.
स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य योजनाओं की स्थिति भी काफी निराशाजनक है. सरकार ने विभिन्न रोगों की रोकथाम तथा उसके समुचित उपचार के लिए कई कार्यक्रम चलाये हैं. मसलन, कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम, राष्ट्रीय यक्ष्मा नियंत्रण कार्यक्रम, नियमित टीकाकरण अभियान, एचआइवी एड्स नियंत्रण कार्यक्रम, मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम, कालाजार नियंत्रण कार्यक्रम आदि कई कार्यक्रम चलाये जाते हैं. इन सब की स्थिति भी ठीक नहीं है. रि इस वर्ष कुष्ठ के 233 रोगी चिह्नित किये गये. टीबी मरीजों की संख्या इस साल 1446 है. एचआइवी एड्स की रोकथाम की दिशा में भी ठोस पहल नहीं हुई है. 65785 लोगों ने रक्त की जांच करायी. जिनमें से 259 लोगों में एचआइवी पॉजिटिव पाया गया. नियमित टीकाकरण एवं मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम के बावजूद 20 प्रतिशत बच्चे वंचित हैं.
कहते हैं डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक निलेश कुमार ने इस संदर्भ में बताया कि लोगों को तक स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए विभाग कटिबद्ध है. कई क्षेत्रों में सुधार हुआ है. लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है. आने वाले समय में लक्ष्य के विरुद्ध अधिक उपलब्धि हासिल करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया है.
कई स्तर पर निगरानी, लेकिन परिणाम सिफर
आम लोगों तक स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए विभिन्न स्तरों पर निगरानी की व्यवस्था की गयी है. इसके बावजूद लोगों तक स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच रहा है. जिला पदाधिकारी के अध्यक्षता में जिला स्वास्थ्य समिति गठित है. इसके अलावा विभिन्न सरकारी अस्पतालों में रोगी कल्याण समिति भी गठित है. एक हजार की आबादी में आशा कार्यकर्ता कार्य कर रही हैं. ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मॉनीटरिंग की व्यवस्था है. मदर चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम सहित कई तरह की व्यवस्था सरकार की ओर से की गयी है. इसके बावजूद स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है.
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