लापरवाही. तरंग प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा िशक्षा विभाग
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िबना प्रशिक्षण के ही बच्चों को दिखाना होगा जौहर
लापरवाही. तरंग प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा िशक्षा विभाग कटिहार : शिक्षा विभाग की ओर से तरंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. इसमें जिला, प्रमंडलीय, राज्य स्तरीय प्रतियोगिता आयोजित होनी है. लेकिन इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों को बिना प्रशिक्षण के ही सभी प्रतिस्पर्धाओं में अपने जौहर दिखाने होंगे. प्रतियोगिता में […]
कटिहार : शिक्षा विभाग की ओर से तरंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. इसमें जिला, प्रमंडलीय, राज्य स्तरीय प्रतियोगिता आयोजित होनी है. लेकिन इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों को बिना प्रशिक्षण के ही सभी प्रतिस्पर्धाओं में अपने जौहर दिखाने होंगे. प्रतियोगिता में बिना अभ्यास के बच्चे अगर मेडल ले आते हैं तो अभिभावक समेत स्कूल के प्रधानाध्यापक को बहुत खुशी होगी. वहीं शिक्षा विभाग भी पीठ थपथपाने से पीछे नहीं रहेगा. अगर इन बच्चों के द्वारा लाये गये मेडल के बारे में बारीकी के साथ अध्ययन किया जाय तो कई तथ्य खुलकर सामने आयेंगे. युवा महोत्सव या तरंग प्रतियोगिता को खेल
व संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित करवा दी जाती है. लेकिन इसमें भाग लेने वाले स्कूली बच्चों को प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है. उन्हें बिना प्रशिक्षण के ही मैदान मारना होता है. यह सिलसिला शिक्षा विभाग में आज से नहीं बल्कि सालों साल से चलता आ रहा है. बच्चे किसी तरह इन प्रतियोगिताओं में भाग तो ले लेते हैं. लेकिन प्रशिक्षण व संसाधन के अभाव में आगे की प्रतियोगिताओं में इनका भविष्य अंधकारमय नजर आता है.
खेल विभाग भी नहीं लेता रुचि : खिलाड़ियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने के लिये जिला स्तर पर खेल उपाधीक्षक की नियुक्ति की गयी है. लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाय कि खेल उपाधीक्षक की नियुक्ति के बावजूद स्कूली बच्चों को प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है. इसका मुख्य कारण है कि खेल उपाधीक्षक के द्वारा खेल के प्रति उदासीनता बरतना है. अगर खेल विभाग द्वारा स्कूल स्तर पर बच्चों को प्रशिक्षित किया जाय तो वह दिन दूर नहीं है जब यही बच्चे जिला, राज्य व देश का नाम रोशन करेंगे. कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि बिना संसाधन व बिना प्रशिक्षण के ही स्कूली बच्चे मैदान मारने को विवश होंगे.
स्कूलों में संसाधन व प्रशिक्षण की है कमी
शिक्षा विभाग द्वारा तो तरंग प्रतियोगिता के आयोजन का फरमान जारी कर दिया है. लेकिन इन फरमान के ऐवज में किसी विद्यालय में जाकर जांच नहीं किया जा रहा है कि उक्त विद्यालय में इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रशिक्षित हो रहे हैं अथवा नहीं. अधिकांश विद्यालयों में बच्चों को प्रतियोगिता के लिये प्रशिक्षण दिया ही नहीं जाता है. अगर किसी विद्यालय में इन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये प्रशिक्षण दिया जाता है तो उन्हीं विद्यालयों के कुछ बच्चे मेडल प्राप्त करते हैं. बांकी के बच्चे वैसे रह जाते हैं. इसका मुख्य कारण है कि विद्यालय में इन प्रतियोगिताओं के लिये विशेष कक्षा का संचालन नहीं करना और संसाधन नहीं उपलब्ध होना है. अगर किसी विद्यालय में संसाधन उपलब्ध भी है तो उनका उपयोग नहीं करवाया जाता है.
खिलाड़ियों के विशेष प्रशिक्षण के लिए िजला स्तर पर की गयी है खेल उपाधीक्षक की िनयुक्ति
खेल के प्रति उदासीनता बरत रहे खेल उपाधीक्षक, िनयुक्ति के बावजूद बच्चों को नहीं िमल पा रहा प्रशिक्षण, भविष्य खतरे में
कहते हैं डीइओ
तरंग के सफल आयोजन के लिए बिहार शिक्षा परियोजना द्वारा जारी निर्देश के आलोक में विद्यालय में आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है. साथ ही संकुल समन्वयक व साधन सेवी को भी इसकी निगरानी करने का भी निर्देश दिया गया है.
श्रीराम सिंह, डीइओ, कटिहार
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