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नोटबंदी रही सुर्खियों में, परेशानी अब भी बरकरार

कटिहार : जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2016 के अंतिम महीना होने की वजह से तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी हैं. इस वर्ष क्या खोया, क्या पाया को लेकर समीक्षा भी हो रही है. हर तबका अपने-अपने हिसाब से आकलन कर रहा है. यूं तो जिले को कई उपलब्धियां भी मिली […]

कटिहार : जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2016 के अंतिम महीना होने की वजह से तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी हैं. इस वर्ष क्या खोया, क्या पाया को लेकर समीक्षा भी हो रही है. हर तबका अपने-अपने हिसाब से आकलन कर रहा है. यूं तो जिले को कई उपलब्धियां भी मिली हैं, जबकि महत्वपूर्ण घटनाओं को लेकर भी कटिहार यादगार रहा है.

इस वर्ष सबसे महत्वपूर्ण व चर्चा में नोटबंदी रही है. भले ही वर्ष के आखिरी महीने में नोटबंदी हुई लेकिन सालभर के सफरनामा में नोटबंदी का मामला सुर्खियों में है. अब तक लोग नोटबंदी की मार से उबर नहीं पाये हैं. पहली बार जिले के लोगों ने नोटबंदी का असर इतने व्यापक पैमाने पर नजदीक से देखा. दूसरी तरफ नोटबंदी को लेकर विभिन्न सियासी दलों के साथ-साथ आमलोग भी अपने-अपने हिसाब से इसके प्रभाव की व्याख्या कर रहे हैं. जबकि नोटबंदी के बाद नकदी की किल्लत का असर भी साफ देखा जा रहा है. शायद ही नोटबंदी से हुए नफा नुकसान को लोग आने वाले कुछ वर्षो में भूल पायें.

इसलिये वर्ष का आकलन करने पर नोटबंदी सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में सामने आ रही है. नोटबंदी से न केवल आमलोग परेशान हैं, बल्कि बैंककर्मी भी अपने सेवा काल के दौरान इतनी अधिक सेवा नहीं दिये हैं. वहीं बाजारों में मंदी का दौर भी चर्चा में है.

नकदी की बनी है किल्लत : यूं तो आठ नवंबर को पांच सौ व हजार के पुराने नोट के विमुद्रीकरण के बाद कटिहार जैसे छोटे व कृषि प्रधान जिले में इसका व्यापक असर देखने को मिला. नोटबंदी के बाद नकदी की किल्लत से हुई समस्या अब तक बरकरार है. भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 50 दिन में स्थिति सामान्य होने की बात कह रहे हों, लेकिन माजूदा स्थिति को देख कर ऐसा लगता नहीं है. दरअसल नकदी की किल्लत से जूझ रहे बैंक स्वयं परेशान हैं. आम लोगों को अपने खाते में जमा रुपये निकालने में भी हर दिन बैंक पहुंचना पड़ रहा है, जबकि नकदी की किल्लत से कई लोगों ने निर्माण कार्य रोक दिया है.
700 करोड़ से अधिक रुपये हुए जमा : नोटबंदी से बैंक भी मालामाल हो गये हैं. अब तक नोटबंदी के बाद से सामान्य बैंक खातों व जन धन योजना से जुड़े खातों में करीब 700 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं. जनधन खाता में ही करीब 200 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं. नोटबंदी के बाद अगर सबसे अधिक किसी को फायदा पहुंचा है, तो वह बैंक ही हैं. नकदी जमा होने के विरुद्ध लोगों को अपने बैंक खाते से उस राशि को निकालने में अभी मशक्कत करनी पड़ रही है. हालांकि जितनी राशि बैंक में जमा हुई है, उसके विरुद्ध नकदी राशि लोगों को नहीं मिल रहे हैं. हालांकि सरकार 2000 व 500 के नये नोट बैंक को भेज चुकी हैं, लेकिन पर्याप्त नकदी नहीं होने से बैंक अपने ग्राहक को शर्तो के आधार पर नकदी दे रहे हैं.
बाजारों में छायी रही मंदी
नोटबंदी से छोटे व बड़े बाजारों में छायी मंदी भी कम चर्चित नहीं हुई. अब भी यह मंदी बरकरार है. खासकर निर्माण कार्य से जुड़ी सामग्री बेचने वाले प्रतिष्ठान सहित अन्य महत्वपूर्ण बाजारों में भी चहल पहल पूर्व की तरह सामान्य नहीं हो सका है. किसान व मध्यम वर्गीय लोग नोटबंदी से अत्यधिक परेशान हैं. हालांकि खासकर इस जिले में नोटबंदी के बाद से कालाधन के मामले सामने नहीं आये हैं, लेकिन जिस तरह नकदी का असर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों पर पड़ा है. उससे आम जनजीवन भी प्रभावित हुआ है. आम लोग वर्ष 2016 का सबसे महत्वपूर्ण घटना के रूप में देख रहे हैं. नकदी की किल्लत का असर कब समाप्त होगा कुछ कहा नहीं जा सकता है.

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