कटिहार : वृंदावन गार्डेन में अध्यात्म चेतना मंच एवं मटरू मल रतना देवी ट्रस्ट के आयोजन में चल रहे भागवत कथा के तीसरे दिन आनंद रस की वर्षा हुई. कोलकाता से पधारे बाल व्यास पंडित शिव विष्णु पाठक ने कल के कथा प्रसंग में ध्रुव के उत्तरार्ध चरित्र का वर्णन किया. भक्ति के सिद्धांतो का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि अपने आपको तिनके से भी नीचे समझना चाहिये. अपने आपको वृक्ष की तरह बनाना चाहिये. ज्ञानी होना अलग बात है,
विवेकी होना अलग बात. बिना सत्संग के विवेक नहीं हो सकता. श्रोताओं से भरे खचाखच पंडाल में पंडित शिवम ने भरत चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक पुत्र-पुत्री को अपने पिता पर विश्वास रखना चाहिये. घर में मंदिर तो अवश्य बनाना चाहिये. जिस घर में मंदिर नहीं, उसमें व शमशान में कोई फर्क नहीं. प्रभु को चढ़ी हुई वस्तु का निरादर नहीं होना चाहिये. उस वस्तु को सही जगह ही विसर्जित करें. 28 प्रकार के नरकों का वर्णन करते हुए कहा कि हम सब स्वर्ग में जाना चाहते हैं.
स्वर्ग एक ही है, जबकि नर्क 28 प्रकार के. नरक से बचने का अचूक साधन है कि हम दूसरों के साथ वह कार्य न करें, जो स्वयं के लिए नहीं चाहते. अजामिल की कथा के माध्यम से नारायण नाम की महत्ता एवं सत्ता का बोध कराया. जो धर्म दूसरे का सम्मान नहीं कर सकता, वह अपने धर्म को महान बताने में सक्षम नहीं. सर्वधर्म समान जीवन की गाथा होनी चाहिये. उन्होंने क्रिसमस डे पर ईसाई बंधुओं को बधाई दी तथा गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव पर सम्मान सहित एक भजन भी गाया. कथा के मध्य यजमान परिवार के राजेश अग्रवाल की प्रभु नारायण में अत्यधिक आस्था को देखकर व्यास जी ने विशिष्ट नरसिंह प्रहलाद चरित्र किया. कथा स्थल में अध्यात्म चेतना मंच के चंद्र प्रकाश गोयनका, विष्णु चौधरी, संजीव सुरेका, बबलू अग्रवाल, राजू अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, विनय अग्रवाल, दीपक पोद्दार, अजय सिंहानिया, किशन लाल अग्रवाल आदि थे.