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तल्ख तेवर : शिक्षकों को लेकर प्रधान सचिव ने जारी किया निर्देश
गैर शैक्षणिक काम में न लगाएं सरकारी स्कूल में पदस्थापित व कार्यरत शिक्षकों को अगर गैर शैक्षणिक कार्य में शामिल किया गया, तो अब खैर नहीं. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने सभी डीएम को इस आशय से संबंधित आदेश जारी किया है. सूरज गुप्ता कटिहार : विभाग के प्रधान सचिव द्वारा जारी […]
गैर शैक्षणिक काम में न लगाएं
सरकारी स्कूल में पदस्थापित व कार्यरत शिक्षकों को अगर गैर शैक्षणिक कार्य में शामिल किया गया, तो अब खैर नहीं. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने सभी डीएम को इस आशय से संबंधित आदेश जारी किया है.
सूरज गुप्ता
कटिहार : विभाग के प्रधान सचिव द्वारा जारी आदेश के आलोक में डीइओ श्रीराम सिंह ने भी शुक्रवार को सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों सहित अन्य विभागीय अधिकारियों को निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. विभाग के प्रधान सचिव ने जिला पदाधिकारी को दिये निर्देश में कहा है कि बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 अप्रैल, 2010 से प्रभावी है. अधिनियम की धारा 27 में यह प्रावधान है कि कोई भी शिक्षक दस वर्षीय जनगणना, आपदा सहायता व विधानमंडल, संसद एवं स्थानीय निकाय के चुनाव को छोड़ कर अन्य किसी भी गैर शैक्षणिक कार्य के लिए प्रतिनियुक्त नहीं किया जायेगा.
इसी क्रम में भारत सरकार द्वारा निर्देशित किया गया है कि चुनाव संबंधी कार्य यथा प्रशिक्षण, चुनाव सामग्रियों की प्राप्ति, मतदान एवं मतगणना से संबंधित कार्य शिक्षण के लिए निर्धारित कार्य दिवसों समय अवधियों में किये जा सकते हैं. पर, मतदाता सूची के निर्माण, पूनरीक्षण का कार्य गैर शैक्षणिक कार्य दिवसों, अवकाश एवं छुट्टियों के दिन में किया जाये. मतदाता सूची से संबंधित किसी भी कार्य का प्रभाव शिक्षक के शैक्षणिक गतिविधियों पर बिल्कुल न पड़े.
प्रतिनियुक्ति को लेकर होगी मासिक समीक्षा
शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में प्रतिनियुक्ति को लेकर हर माह समीक्षा की जायेगी. प्रधान सचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि शिक्षा विभाग के विभिन्न शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति किया गया है या नहीं, इसकी मासिक समीक्षा करने का दायित्व जिला शिक्षा पदाधिकारी व संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की होगी. वे मासिक रूप से संबंधित जिला पदाधिकारी को अवगत करायेंगे कि उनके क्षेत्र के अंतर्गत किसी भी शिक्षक की प्रतिनियुक्ति किसी भी पदाधिकारी के आदेश से नहीं की गयी है. साथ ही ये सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे प्रतिनियुक्ति किसी भी स्तर से नहीं किया जाये. अगर ऐसा होता है तो जिला स्तर पर डीइओ व प्रखंड स्तर पर बीइओ इसके लिये जिम्मेवार होंगे.
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