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शास्त्रीय संगीत खत्म नहीं होगा

कटिहार : भारत में बांसुरी वादन का प्रचलन अब भी सबसे ज्यादा है. यह बात विदेश में नहीं है. उक्त बातें विश्वविख्यात बांसुरी वादक हरि प्रसाद चौरसिया ने संवाददाताओं से बातचीत में कही. उन्होंने कहा कि स्पीक मैके का उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ी की रुचि शास्त्रीय संगीत में हो. शास्त्रीय संगीत का भविष्य […]

कटिहार : भारत में बांसुरी वादन का प्रचलन अब भी सबसे ज्यादा है. यह बात विदेश में नहीं है. उक्त बातें विश्वविख्यात बांसुरी वादक हरि प्रसाद चौरसिया ने संवाददाताओं से बातचीत में कही. उन्होंने कहा कि स्पीक मैके का उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ी की रुचि शास्त्रीय संगीत में हो.

शास्त्रीय संगीत का भविष्य सूर्य व चंद्रमा की तरह है, जो कभी खत्म नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि कटिहार जिले के कर्नल एकेडमी में स्पीक मैके के तत्वावधान में प्रस्तुति देकर प्रफुल्लित हूं.

श्री चौरसिया ने कहा कि सिलसिला फिल्म में शिव कुमार शर्मा के साथ धुन बनायी थी, वह सिलसिला आज भी लोगों के जहन में गुंज रहा है. श्री चौरसिया ने कहा कि फिर से वह दौर आयेगा, जिसमें लोग शास्त्रीय संगीत के दिवाने होंगे. वह दिन दूर नहीं है कि एक हजार हरि प्रसाद चौरसिया शास्त्रीय संगीत की दुनिया में पैदा होंगे और देश का नाम रौशन कर शास्त्रीय संगीत को शिखर तक ले जाएंगे.

अब संगीत घरानों का दौर खत्म हो गया है, पहले वे लोग कट्टर थे कि संगीत घरानों को कोई बांट नहीं सका, लेकिन वर्तमान में ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि विदेश में भी बांसुरी वादन के लाखों लोग दिवाने हैं. मसलन अगर पाकिस्तान बोर्डर पर कलाकारों को खड़ा कर दिया जाय तो लोग हथियारों की जगह बांसुरी वादन अपनायेंगे.

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