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संवेदक पर कार्रवाई की तैयारी

हद है. समयसीमा समाप्त, नहीं पूरा हो सका एनएच-81 का निर्माण कार्य कटिहार : राष्ट्रीय उच्च पथ-31 व 34 को जोड़ने वाले एनएच-81 का निर्माण कार्य वर्षों बाद भी अधर में है. केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय अंतर्गत भारतीय राष्ट्रीय उच्च पथ प्राधिकरण द्वारा इस पथ का निर्माण कार्य मंत्रालय द्वारा अधिसूचित होने के बाद […]

हद है. समयसीमा समाप्त, नहीं पूरा हो सका एनएच-81 का निर्माण कार्य

कटिहार : राष्ट्रीय उच्च पथ-31 व 34 को जोड़ने वाले एनएच-81 का निर्माण कार्य वर्षों बाद भी अधर में है. केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय अंतर्गत भारतीय राष्ट्रीय उच्च पथ प्राधिकरण द्वारा इस पथ का निर्माण कार्य मंत्रालय द्वारा अधिसूचित होने के बाद शुरू कराया गया. पर, वर्षो बाद भी एनएच-81 का काम पूरा नहीं हो सका है. एनएचएआइ के अनुसार, एनएच-81 का निर्माण कार्य 30 जून को ही पूरा हो जाना था, लेकिन निर्माण एजेंसी (संवेदक) की उदासीनता की वजह से निर्धारित अवधि तक कार्य पूरा नहीं हो सका है. एनएचएआइ की मानें, तो संवेदक के विरुद्ध कारवाई प्रारंभ की जा रही है.
दूसरी तरफ इस पथ के कई जगहों पर विभिन्न कारणों से निर्माण कार्य अधर में है. हालांकि एनएचएआइ के अभियंता के अनुसार, अगस्त 2016 तक एनएच-81 का अधिकांश कार्य पूरा कर लिया जायेगा. उल्लेखनीय है कि एनएच-31 व एनएच-34 को जोड़ने वाली एनएच-81 के बन जाने से कटिहार जिला सहित सीमांचल के कई जिले पश्चिम बंगाल से सड़क से सीधे जुड़ जायेंगे. अति महत्वपूर्ण इस परियोजना के अबतक पूरा नहीं होने के वजह से लोगों में आक्रोश भी है, जबकि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस मामले में उदासीन दिख रहे हैं.
कहते हैं सहायक अभियंता : राष्ट्रीय उच्च पथ के सहायक अभियंता अजय कुमार ने बताया कि तीस जून तक एनएच-81 का काम पूरा होना था. संवेदक की लापरवाही से कार्य समय पर पूरा नहीं हो सका. संवेदक के विरुद्ध कार्रवाई प्रारंभ होने से उसमें सक्रियता आयी है. अगस्त तक काम काफी आगे बढ़ जायेगा. अगर संवेदक एनएच-81 का काम तेजी के साथ पूरा नहीं किया तो कई तरह की कार्रवाई हो सकती है.
..तो सड़क मार्ग से जुड़ जायेगा बंगाल
एनएच-81 सांस्कृतिक व व्यापारिक महत्व के लिये काफी जरूरी है. इस राष्ट्रीय उच्च पथ के बन जाने से कटिहार सहित सीमांचल के कई जिले बंगाल के साथ सड़क मार्ग से जुड़ जायेगा. कारोबार के दृष्टिकोण से यह पथ काफी महत्वपूर्ण है. उल्लेखनीय है कि कटिहार सहित सीमांचल व कोसी क्षेत्र बड़े पैमाने पर व्यापारी वर्ग पश्चिम बंगाल कारोबार के लिये आते जाते हैं. एनएच-81 बनने से पश्चिम बंगाल की दूरी भी कम हो जायेगी.
अभी दो-तीन वर्ष और लग सकते हैं
एनएच-81 के रूप में अधिसूचित होने के वर्षों बाद भी निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है. एनएचएआइ एनएच-81 के निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं होने के अलग-अलग कारण बताते हैं, जबकि जिस कच्छप गति से निर्माण कार्य चल रहा है. उससे साफ जाहिर है कि मंत्रालय व निर्माण एजेंसी की उदासीनता कारण है. इस पथ के निर्माण को लेकर शुरुआती दौर में काफी तेजी थी. धीरे-धीरे निर्माण कार्य की गति कम होती गयी. निर्माणाधीन एनएच-81 में नौ पुल-पुलिया हैं. इसका एप्रोच पथ बनना बाकी है. जिस तरह से निर्माण कार्य चल रहा है, उससे लगता है कि इस पथ को पूरा होने में अभी दो-तीन वर्ष और लग सकते हैं.
इन कारणों से निर्माण कार्य है अधूरा
एनएचएआइ की मानें, तो एनएच-81 के अधिकांश हिस्सों में काम हो चुका है. पथ के बीच नौ पुल हैं, जिनका 90 प्रतिशत काम हो चुका है. इस पुल पर एप्रोच बनाया जाना है, जो अगस्त तक बन जायेगा. लालगंज तेघरा-इंगलिश जमरा के पास 52.00 से 53.00 यानी एक किमी निर्माण कार्य के लिए प्रस्ताव मंत्रालय भेजा गया है. प्रस्ताव को स्वीकृत होने में कम से कम एक वर्ष लगता है. स्वीकृति के बाद अन्य प्रक्रिया से गुजरने के बाद निर्माण कार्य पूरा होगा.
इसी पथ में भू अर्जन के मामले को लेकर आमिर अली द्वारा हाइकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद मामला लंबित है. महानंदा के नीचे के हिस्से को पुल निर्माण निगम द्वारा भू अर्जन किया गया था. भू अर्जन के विरुद्ध भूस्वामी के बीच राशि दे दी गयी थी. विवाद की वजह से मामला फंसा है. एक भूस्वामी ने राशि वापस कर दी है. अन्य से राशि वसूली की प्रक्रिया चल रही है.

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