बलिया बेलौन : कदवा प्रखंड क्षेत्र में महानंदा का जलस्तर बढ़ने के साथ ही कई गांवों में आवागमन की समस्या उत्पन्न हो गयी है. महानंदा नदी का जल स्तर बढ़ने से लोगों के आवागमन का एक मात्र सहारा नाव रह गयी है. क्षेत्र के भौनगर, निस्ता, तैयबपुर, शिकारपुर, रिजवानपुर, बिझाड़ा, मधाईपुर, चनदहर आदि पंचायतों की […]
बलिया बेलौन : कदवा प्रखंड क्षेत्र में महानंदा का जलस्तर बढ़ने के साथ ही कई गांवों में आवागमन की समस्या उत्पन्न हो गयी है. महानंदा नदी का जल स्तर बढ़ने से लोगों के आवागमन का एक मात्र सहारा नाव रह गयी है. क्षेत्र के भौनगर, निस्ता, तैयबपुर, शिकारपुर, रिजवानपुर, बिझाड़ा, मधाईपुर,
चनदहर आदि पंचायतों की आधी आबादी महानंदा नदी के चपेट में है. नदी का जल स्तर बढ़ने के साथ ही इस क्षेत्र में पानी घुस जाने से आवागमन पूर्ण रूप से ठप हो जाता है. ऐसे में लोग निजी स्तर पर नाव की व्यवस्था कर किसी तरह आना-जाना करते हैं. वहीं नदी कटाव एवं बाढ़ से क्षेत्र फसल को डूबा देता है. नदी कटाव से विस्थापित परिवारों की संख्या प्रत्येक वर्ष बढ़ जाती है. इस क्षेत्र में विस्थापितों की समस्या एक बड़ी समस्या है. प्रशासन या जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं देने से लोगों का जीवन कष्ट में है.
कहते हैं प्रतिनिधि. बिझाड़ा मुखिया मो आजाद ने कहा कि नदी कटाव बाढ़ की समस्या का स्थायी हल निकालना चाहिये. पैक्स अध्यक्ष मो तनवीर आलम ने कहा कि ऐसी ही स्थिति रही, तो यह क्षेत्र बाढ़ नदी कटाव से विस्थापित हो कर उजड़ जायेगा. आधी आबादी सड़क तटबंध में गुजारा कर रहा है. चनदहर मुखिया बादल कुमार दास ने कहा कि बाढ़ से बचाव के नाम पर योजनाएं कागज पर चलती हैं. इस क्षेत्र में कुछ काम नहीं हो रहा है. इस का खामियाजा यहां की जनता को भुगतना पड़ता है. बेलौन मुखिया मो मेराज आलम ने कहा कि विभाग करोड़ों खर्च करने के बाद भी लोग कटाव से जूझ रहे हैं. स्थानीय प्रशासन बाढ़ के समय नाव की व्यवस्था करने की मांग की है.