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नशा मुक्ति केंद्र का हाल: भरती मरीज कह रहे मुझे शराब दो नहीं तो मैं मर जाउंगा

नशा मुक्ति केंद्र का हाल: भरती मरीज कह रहे मुझे शराब दो नहीं तो मैं मर जाउंगा फोटो- 12 कैप्सन-नशा मुक्ति केंद्र का हाल प्रतिनिधि, कटिहारमुझे शराब दो नहीं तो मैं मर जाऊंगा, यह कहते हुए वह तड़प कर अपने बेड से उठ जाता है, उसके परिजन उसे बार-बार बेड पर लिटाते और जब उससे […]

नशा मुक्ति केंद्र का हाल: भरती मरीज कह रहे मुझे शराब दो नहीं तो मैं मर जाउंगा फोटो- 12 कैप्सन-नशा मुक्ति केंद्र का हाल प्रतिनिधि, कटिहारमुझे शराब दो नहीं तो मैं मर जाऊंगा, यह कहते हुए वह तड़प कर अपने बेड से उठ जाता है, उसके परिजन उसे बार-बार बेड पर लिटाते और जब उससे परिजन पकड़ते तो कहता थोड़ी सी ही शराब दे दो. यह वाकया सदर अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में बुधवार को देखने को मिला. सरकार द्वारा पूर्ण रूपेण शराबबंदी के बाद सदर अस्पताल में स्थापित नशा मुक्ति केंद्र में बुधवार को दो और मरीज भरती हो गये. उनकी हालत काफी गंभीर है. नशा मुक्ति केंद्र में के चिकित्सक ने उन्हें अविलंब स्लाइन चढ़ाया और दवा दी. पर, मरीज की व्याकुलता मानो बढ़ रही थी. वह रह-रह कर विचलित हो रहा था. बीते मंगलवार को कटिहार के शहरी क्षेत्र से एक नये मरीज को भरती किया गया था, उसकी बैचेनी कम थी, लेकिन उन मरीजों में व्याकुलता व छटपटाहट बरकरार थी. उन मरीजों को यह तक होश नहीं था कि वह क्या बोल रहे हैं और किससे बोल रहे हैं. सदर अस्पताल के एकमात्र नशामुक्ति केंद्र में अबतक सात मरीज भरती हो चुके हैं. इनका इलाज सीएस एसएन झा के निरीक्षण में डॉ बीके गोपालका, डॉ तनवीर हैदर कर रहे हैं. बताते चले कि राज्य सरकार ने सूबे में पूर्ण रूप से शराब बंद कर दिया है. सरकार ने शराब बंद के पहले सूबे के सभी जिलों में सदर अस्पताल में एक नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की, ताकि जब सूबे में शराब बंद हो तो संभवत: आदतन शराबी की हालत गंभीर होगी और उसे तत्काल ही उपचार की आवश्यकता पड़ेगी. राज्य सरकार के निर्देश पर डीएम ललन जी के आदेश पर सदर अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की गयी. यहां नशा से पीड़ित मरीज के लिए तीन चिकित्सक व नर्स मौजूद रहते हैं. मुझे शराब दो नहीं तो मर जाऊंगानशा मुक्ति केंद्र में रंजीत व संजय (काल्पनिक नाम) दो मरीज को बुधवार को गंभीर अवस्था में भरती कराया गया. डॉ तनवीर हैदर ने उन्हें देखते ही अविलंब दवा दी. वह बार-बार अपने बेड से उतरकर भागना चाह रहा था. पत्नी व अन्य परिजन उसे पकड़े हुए थे. जब वह भाग नहीं पा रहा था, तो अपने परिजनो से कह रहा था कि मुझे थोड़ी सी ही शराब दे दो नहीं तो मैं मर जाऊंगा. उनकी स्थिति व व्याकुलता देखकर पत्नी व घरवालों को रोना आ रहा था और उसकी पत्नी खामोश बस एक टक उसे देखे जा रही थी. वहीं एक अन्य मरीज शराब की तलब व उससे हो रही बैचेनी से मानो अर्द्धविक्षिप्त हो गया हो. वह बार-बार बेड से उतरने का प्रयास कर रहा था. शरीर में हो रही ऐंठन व अन्य कारणों से विचलित सा हो रहा था. इधर मंगलवार को शहर के सिंगल टोला स्थित एक मरीज को भरती कराया गया. वह इतना व्याकुल था कि वह बेड से उतरकर नीचे तड़प रहा था. यह मरीज भी बार-बार कर्मियों से बस थोड़ी सी शराब मांग रहा था. सरकार को यह निर्णय पहले ही ले लेना थानशा मुक्ति केंद्र में मरीजों की व्याकुलता को देख अच्छे-अच्छे लोगों के दिल पिघल जा रहे हैं. उनकी चीख सुन कर कुछ लोग एक बार उस कमरे में तड़पते मरीज को देख लेते और उनके मुंह से अनायास ही आह निकल जाती थी. वहां से गुजरने वालों में हफला निवासी मंजू देवी, बरारी निवासी एक मरीज की मां, सहित अन्य मरीज के परिजनों ने कहा कि क्या शराब पीने से लोगों की स्थिति ऐसी होती है. तो सरकार इसे राज्य में किस प्रकार चला रही थी. उन लोगों ने यह भी कहा कि शराब को तो बहुत पहले ही बंद कर देना चाहिए था. ऐसा निर्णय लेने में इतना विलंब क्यों हुआ. हालांकि नशामुक्ति केंद्र में भरती अन्य तीन मरीजों की स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है. कहते हैं चिकित्सकनशा मुक्ति केंद्र में तैनात डॉ तनवीर हैदर ने कहा कि आदतन शराबी को भरती के दिनों से सात दिनों तक काफी कठिनाई होती है. अलकोहल विथड्रोम पिड्रोम के इलाज के बाद उक्त मरीज में सुधार हो जाता है. साथ ही चिकित्सक आदतन शराबी के लीवर व हर्ट की भी जांच करते हैं. उनमें किसी प्रकार की कठिनाई को लेकर चिकित्सक उसका भी इलाज आंरभ कर देते हैं. सात दिनों के अंदर मरीज की स्थिति में सुधार हो जाता है और उसे शराब की तलब कम होती है. इन्ही सात दिनों के अंदर व्याकुलता, बदन खींचना, उल्टी सहित अन्य कारणों से मरीज की स्थिति खराब हो जाती है और वह शराब की मांग करते रहते हैं.

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