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आयुर्वेदिक अस्पताल की कब सुधरेगी हालत

आयुर्वेदिक अस्पताल की कब सुधरेगी हालत फोटो नं. 4 कैप्सन-आयुर्वेदिक अस्पताल का हाल प्रतिनिधि, कटिहारजिले का एकमात्र आयुर्वेदिक अस्पताल की स्थिति बदहाल है. प्रखंड के शीतलपुर पंचायत में वर्ष 2003 में बनाया गया यह अस्पताल आमलोगों को स्वास्थ्य सुविधा देने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है. स्थिति यह है कि यहां स्टाफ, […]

आयुर्वेदिक अस्पताल की कब सुधरेगी हालत फोटो नं. 4 कैप्सन-आयुर्वेदिक अस्पताल का हाल प्रतिनिधि, कटिहारजिले का एकमात्र आयुर्वेदिक अस्पताल की स्थिति बदहाल है. प्रखंड के शीतलपुर पंचायत में वर्ष 2003 में बनाया गया यह अस्पताल आमलोगों को स्वास्थ्य सुविधा देने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है. स्थिति यह है कि यहां स्टाफ, चिकित्सक व दवा की भी कमी है. जिसके कारण मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इसके साथ ही लाखों की राशि से खरीदी गयी उपस्करों को बंद अस्पताल के अंदर दीमक चाट गया है. इससे साफ पता चलता है कि रखरखाव की स्थिति काफी खराब हालत में है. जब प्रभात खबर की टीम ने यहां का जायजा लिया तो पाया गया कि अस्पताल में वर्ष 2003 से लेकर 2007 तक का कोई लेखा-जोखा नहीं है. तत्कालीन चिकित्सक विरेंद्र मणि त्रिपाठी थे. वो आज कहा हैं, इसकी जानकारी नहीं है. उनसे ही खुलासा हो सकता है. उनके कार्यकाल का सरकारी दस्तावेज का क्या हुआ है. अस्पताल से पांच पंचायतों को होगा फायदा ——————————- आयुर्वेदिक अस्पताल में सरकार व स्थानीय प्रशासन की ओर से यदि थोड़ा प्रयास किया जाय तो पांच पंचायतों की हजारों की आबादी को बड़ा फायदा होगा. परंतु इसे सुचारु रूप से चालू कराने की पहल स्थानीय प्रशासन नहीं कर रहा है. कारण अस्पताल का दो मंजिली इमारत भूत बंगला मात्र बन कर रह गया है. अस्पताल का भवन अधूरा ———————12 वर्ष बाद भी अस्पताल अर्धनिर्मित है. सवाल उठता है कि आयुर्वेदिक अस्पताल का निर्माण आधा-अधूरा कर क्यों छोड़ दिया गया है. संवेदक द्वारा राशि का उठाव कैसे किया गया जब कार्य ही पूरा नहीं हुआ. यह जांच का विषय है. लाखों खर्च के बावजूद चंदा स्वरूप मिली राशि से एक चापाकल लगाया गया है. जिससे लोग अपना प्यास बुझाते हैं. कहते हैं चिकित्सक —————चिकित्सक उपेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि सरकार व स्वास्थ्य मंत्री हमारा कार्य तो तय करें कि एक डॉ का काम क्या है. शौचालय सफाई से लेकर सूई देने तक का काम करना पड़ता है. आखिर एक बूढ़ा शरीर क्या-क्या करें. उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन दोनों ही अस्पताल की कुव्यवस्था के लिए जिम्मेवार हैं.

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