थानों से लेकर न्यायालय में परिवाद दायर होंगे कम प्रतिनिधि, कटिहार, वर्ष 2016 में आगमन हो गया. लोगों को उम्मीद है कि सुशासन की सरकार में अपराध पर अंकु श लगेगा व अपराधियों पर नकेल कस जाने की उम्मीद लोग कर रहे हैं. जिस प्रकार सूबे के मुख्यमंत्री ने पटना में डीजीपी सहित अन्य पुलिस पदाधिकारियों को बढ़ते अपराध पर डांट फटकार लगायी है. इससे स्पष्ट हो रहा है कि सूबे सहित कटिहार में भी अपराध का ग्राफ गिरेगा तथा अपराधियों के मनोबल ध्वस्त होंगे. कटिहार की अगर बात की जाये तो यह जिला सूबे में सबसे शांत जिले में इसकी गिनती होती है बावजूद वर्ष 2015 में जिला में अपराध इस कदर हावी रहा कि लोगों ने सरकार सहित पुलिस के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया था. उम्मीद वर्ष 2016 में पिछले वर्ष की अपेक्षा कम हो अपराध —————————–वर्ष 2016 में लोग प्रवेश कर गये. नये वर्ष में लोगों को मुकदमों के उलझनों से निजात पाने के लिए पुलिस को भी विभिन्न जागरूकता कार्यक्र म चलाकर तथा लॉ एंड ऑर्डर में सुधार करने का प्रयास करना चाहिए. पिछले दो वर्षो की आंकड़ों को देखा जाये तो जिले से लेकर न्यायालय में अपराध के मामले दर्ज करने का आंकड़ा लगभग सात हजार को पार कर गया. वर्ष 2014 में जहां जिले के विभिन्न थानों में कुल 3917 मामले दर्ज किये गये वहीं 2015 में यह आंकड़ा 3784 हो गया. जिले के थानों में हालांकि मामले दर्ज करने में लगभग चार प्रतिशत की कमी आयी है लेकिन वहीं दूसरी ओर व्यवहार न्यायालय में आपराधिक मामलों में पिछले वर्ष 2014 की तुलना में बीते वर्ष 2015 में लगभग दो प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गयी . वर्ष 2014 में व्यवहार न्यायालय में अपराधिक मामलों में दर्ज हुए परिवाद पत्रों की संख्या 3270 थी वहीं वर्ष 2015 में बढ़कर 3340 हो गयी. स्पीडी ट्रायल के द्वारा अपराधियों की सजा मुकर्रर कराने में तेजी ——————————-जिले में कुख्यात व जघन्य कांड के आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने और उसके विरुद्ध अभियोजन पक्ष की ओर से गवाहों को ट्रायल के दौरान न्यायालय में प्रस्तुत करने में तेजी लाना पुलिस के लिए पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. ट्रायल के दौरान न्यायालय के दौरान दिये गये निर्देशों का भी त्वरित गति से अभियोजन पक्ष को उसे अमल में लाना चाहिए. स्पीडी ट्रायल के लिए यह भी आवश्यक है कि अनुसंधान पदाधिकारी एवं न्यायालय में सरकार का पक्ष देख रहे अपर लोक अभियोजकों के बीच आपसी समाजस्य बरकरार रहे. ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि अपर लोक अभियोजकों द्वारा बार बार गवाहों को नोटिस जारी किये जाने के बावजूद भी गवाह उपस्थित नहीं होते हैं. अपराधियों के द्वारा अर्जित धन को जब्त करना —————————–अपराधियों के द्वारा अर्जित की गयी संपत्ति को पता कर उसे अपराध अनुसंधान इकाई को सूचित कर उसके विरुद्ध मामले दर्ज करने की प्राथमिकता पुलिस को होनी चाहिए. ज्यादातर मामले में ऐसे देखा जाता है कि पुलिस पेशेवर अपराधियों के मामले में अनुसंधान कर उसे एक ही मामले तक सीमित कर देते है. उनसे जुड़े अन्य मामले को अनुसंधान के क्रम में नहीं लाया जाता है या जान बुझकर उसे दबा दिया जाता है या हटा दिया जाता है. वास्तविक अनुसंधान का नहीं होना————————–ज्यादातर समान्य से लेकर जघन्य अपराधों के मामले में पुलिस एक से दो दिन में केश डायरी तैयार कर लेते है. कई बार केश डायरी देखने से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि पुलिस द्वारा थाने में ही बैठकर अनुसंधान रिपोर्ट तैयार कर लिया गया है. स्थलीय जांच एवं गवाहों के बयान भी थाने में ही में सूचक अथवा अन्य के मेल में तैयार कर लिया जाता है. जब ऐेसे अपराधियों द्वारा न्यायालय में जमानत की बात की जाती है तो केश डायरी में ऐसे कई त्रुटियां होती है जिससे जघन्य घटना को अंजाम दिये अपराधियों को भी आसानी से जमानत मिल जाती है. इस वर्ष पुलिस से यह उम्मीद की जानी चाहिए कि पुलिस अनुसंधान के क्रम में औपचारिकता को सिर्फ पूरा नहीं कर वास्तविक अनुसंधान करे.
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थानों से लेकर न्यायालय में परिवाद दायर होंगे कम
थानों से लेकर न्यायालय में परिवाद दायर होंगे कम प्रतिनिधि, कटिहार, वर्ष 2016 में आगमन हो गया. लोगों को उम्मीद है कि सुशासन की सरकार में अपराध पर अंकु श लगेगा व अपराधियों पर नकेल कस जाने की उम्मीद लोग कर रहे हैं. जिस प्रकार सूबे के मुख्यमंत्री ने पटना में डीजीपी सहित अन्य पुलिस […]
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