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वत्तिीय वर्ष का तीन महीना शेष

वित्तीय वर्ष का तीन महीना शेषलक्ष्य से काफी दूर है पीएमइजीपीरोजगार नहीं मिलने से युवा कर रहे हैं पलायनबैंकों की उदासीनता से लक्ष्य नहीं होता पूरा प्रभात पड़ताल फोटो नं. 1 कैप्सन-इसी तरह पलायन कर रहे रोज लोग.प्रतिनिधि, कटिहारजिले में युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से केंद्र व राज्य सरकार कई तरह की योजनाएं […]

वित्तीय वर्ष का तीन महीना शेषलक्ष्य से काफी दूर है पीएमइजीपीरोजगार नहीं मिलने से युवा कर रहे हैं पलायनबैंकों की उदासीनता से लक्ष्य नहीं होता पूरा प्रभात पड़ताल फोटो नं. 1 कैप्सन-इसी तरह पलायन कर रहे रोज लोग.प्रतिनिधि, कटिहारजिले में युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से केंद्र व राज्य सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है. लेकिन योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति काफी धीमी है. खास कर गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार के युवा रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं, जबकि रोजगार नहीं मिलने की स्थिति में पढ़ा-लिखा युवक दूसरे बड़े शहर की ओर रुख कर रहा है. हालांकि यहां के बेरोजगार युवक छोटा-मोटा रोजगार-व्यवसाय कर अपनी मिट्टी को छोड़ना नहीं चाहते. लेकिन मजबूरी में घर-बार छोड़ कर रोजगार की तलाश में बाहर जाना पड़ता है. यद्यपि शिक्षित बेरोजगार के लिए चलाये जा रहे प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम भी बेरोजगार युवकों के पलायन को रोक नहीं सका है. इस महत्वाकांक्षी योजना की स्थिति कटिहार जिले में बिल्कुल खराब है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में एक भी बेरोजगार युवकों को पीएमइजीपी का लाभ नहीं मिला है. चालू वित्तीय वर्ष यानी 2015-16 का नौ महीना समाप्त हो चुका है. लेकिन पीएमइजीपी लक्ष्य से काफी पीछे है. विभागीय सूत्रों की मानें तो 30 फीसदी लक्ष्य हासिल अब तक हुई है. तीन महीने यानी मार्च 2016 तक कैसे 70 फीसदी लक्ष्य हासिल होगी यह बड़ा सवाल है. प्रभात खबर ने पीएमइजीपी के क्रियान्वयन को लेकर विभागीय स्तर पर पड़ताल की तो यह बात सामने आयी कि बैंकों की उदासीनता की वजह से पीएमइजीपी लक्ष्य से काफी पीछे रह जाती है. प्रस्तुत है पीएमइजीपी पर प्रभात खबर की पड़ताल करती यह रिपोर्ट. बैंकों की उदासीनता से नहीं पूरी होती लक्ष्यपीएमइजीपी के क्रियान्वयन को लेकर की गयी पड़ताल से यह बात सामने आयी कि इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का टारगेट पूरा नहीं होने के पीछे बैंक की उदासीनता है. बड़े तादाद में बेरोजगार युवक प्रस्ताव जिला उद्योग को समर्पित करते हैं. विभिन्न प्रक्रिया से गुजरने के बाद चयनित आवेदकों के प्रस्तावों को बैंक भेजा जाता है. लेकिन बैंक के द्वारा ऐसे प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. चालू वित्तीय वर्ष यानी 2015-16 में डीआइसी के अनुसार 145 लोगों ने आवेदन दिया. इसमें से 98 आवेदन विभिन्न बैंकों को भेजा गया, जिसमें मात्र 14 आवेदन स्वीकृत करने की सूचना डीआइसी को है. इधर, जिला अग्रणी बैंक कार्यालय के अनुसार 295 आवेदन पीएमइजीपी के तहत प्राप्त हुआ. चालू वित्तीय वर्ष में 70 लक्ष्य के विरुद्ध 32 प्रस्तावों के स्वीकृति की सूचना मिली है. हालांकि स्टेट बैंक ने 14 में से मात्र तीन प्रस्तावों को स्वीकृति दी है. जानकारों की माने विभिन्न बैंकों की उदासीनता की वजह से ही लक्ष्य से काफी पीछे यह कार्यक्रम रह जाता है. बेरोजगार युवकों का पलायनजिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर नहीं होने से बेरोजगार युवकों का पलायन जारी है. कभी कटिहार में कई तरह के बड़े-छोटे औद्योगिक इकाई होने की वजह से यहां के युवकों को रोजगार उपलब्ध हो पाता था. लेकिन पिछले डेढ़-दो दशक से औद्योगिक इकाई बंद होने से युवकों को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता है. खास कर शिक्षित बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार नहीं मिलना तो गंभीर समस्या बनी हुई है. मंगलवार को आजमनगर के रुपेश कुमार, कदवा कुम्हड़ी के सुनील प्रसाद, नईम चांद, हसनगंज के सत्तार ने कटिहार जंकशन के प्लेटफॉर्म संख्या दो पर मिलते हैं. ये लोग रोजगार के लिए दिल्ली व हरियाणा जाने के लिए स्टेशन पहुंचे हैं. बातचीत में वह कहते हैं कि उन्हें भी इच्छा है कि गांव में ही रोजगार करें. लेकिन ऐसा संभव नहीं है. क्या है पीएमइजीपीशिक्षित बेरोजगार युवकों को रोजगार व व्यवसाय उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम शुरू किया गया है. खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग इसका क्रियान्वयन एजेंसी है. पहले इसका नाम प्रधानमंत्री रोजगार योजना था. इस योजना का मुख्य उद्देश्य शिक्षित बेरोजगार युवकों को सहज तरीके से ऋण उपलब्ध करा कर रोजगार व व्यवसाय उपलब्ध कराना है. इसमें आयोग की तरफ से ऋणधारक युवकों को सब्सिडी दिया जाता है. सरकार द्वारा संचालित इस कार्यक्रम में शिक्षित बेरोजगार युवकों को जोड़ कर विभिन्न ट्रेडों में रोजगार अथवा व्यवसाय खोलने का मार्ग प्रशस्त करना है.कहते हैं महाप्रबंधकजिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक मो अनीश ने इस संदर्भ में बताया कि डीआइसी को पीएमइजीपी के तहत 30 का लक्ष्य दिया गया है. चालू वित्तीय वर्ष में इसमें से 14 प्रस्ताव के स्वीकृत होने की सूचना मिली है, जबकि 195 प्राप्त आवेदन के विरुद्ध 98 आवेदन को उपयुक्त मानते हुए उसे बैंकों को अग्रसारित किया गया है. उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष के समाप्त होते-होते लक्ष्य पूरा हो जायेगा. कहते हैं जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक जिला अग्रणी प्रबंधक बीपी कुशवाहा ने इस संदर्भ में बताया कि उन्हें 295 आवेदन प्राप्त होने की सूचना है. 70 प्रस्ताव का लक्ष्य मिला है. इसमें से 32 की स्वीकृति मिलने की सूचना प्राप्त है.

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