लाखों की आबादी को नसीब नहीं शुद्ध पेयजल फोटो कैप्सन-32 कैप्सन-बेकार पड़ा चापाकल प्रतिनिधि, अमदाबादप्रखंड क्षेत्र की लाखों की आबादी आयरन युक्त पानी पीने को विवश हो रही है. पीएचइडी विभाग की ओर से लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कुएं व चापाकल में लगाये गये उपकरण बेकार साबित हो रहा है. प्रखंड वासियों ने आयरन, लौह, आर्सेनिक युक्त पानी पीने को विवश हैं. विदित हो कि अमदाबाद प्रखंड गंगा एवं महानंदा नदियों से घिरा हुआ है. नदियों के घिरा रहने के कारण यहां के अधिकांश चापाकलों में आयरन, लौह, आर्सेनिक युक्त पानी निकलता है. यहां के लोग पेयजल के रूप में मीठा जहर पी रहे हैं. इस ओर किसी का ध्यान नहीं है. बता दें कि वर्ष 2003-04 के आसपास में प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश चापाकल को एक सरकारी टीम ने जांच कर आयरन, लौह, आर्सेनिक, फ्लोराइड युक्त पानी देने वाले चापाकलों को चिन्हित किया था. इस जांच में प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश चापाकलों में आयरन, लौह, आर्सेनिक आदि पाया गया था. इस जांच के बाद पीएचइडी विभाग द्वारा प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में कुएं खुदवा कर चापाकल लगवाया गया. वहीं इस कार्य से जुड़े लोगों द्वारा निजी फायदा को लेकर कई स्थान ऐसे चयन किये गये, जो लोगों के हित में नहीं है. प्रखंड में पीएचइडी द्वारा लगाये गये अधिकांश कुएं लोगों के उपयोग में नहीं है. जबकि सरकार की उद्देश्य था कि यहां के लोगों को आयरन, लौह, आर्सेनिक, फ्लोराइड युक्त जल उपलब्ध हो सके. लेकिन ऐसा ना होकर इसका उल्टा हो गया. कुएं बनाने के कुछ दिन बाद कुएं का फर्श टूट कर जर्जर हो गयी तो कुछ कुएं सही स्थान पर नहीं होने के कारण लोगों ने उसका दुरूपयोग करने लगे. पेयजल योजना के तहत लगाये गये चापाकल में सरकार की करोड़ों रुपया का दुरूपयोग किया गया है. साथ ही स्थानीय विभागीय कर्मचारी के मिली भगत से इस योजना की राशि का बंदरबांट किया गया है. साथ ही प्रखंड के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया गया है. प्रखंड वासी आज भी आयरन, लौह, आर्सेनिक युक्त पानी पीने को विवश हैं. इस ओर स्थानीय प्रशासन भी उदासीन हैं. बीमारी से ग्रस्त हो रहे लोग——————–वर्तमान समय में प्रखंड के अधिकांश लोग पेट के कई रोग से ग्रस्त हैं. प्रभात खबर के एक पड़ताल में पाया गया कि अमदाबाद प्रखंड के लोग आयरन, लौह, आर्सेनिक युक्त पानी पीने वाले लोगों को पेट में दर्द, गैस्टिक, आंव, चर्म रोग, शरीर पर फंूसी हो जाना, चेहरा पर छायी सहित विभिन्न रोगों से ग्रस्त लोग पाये गये हैं. पीएचइडी विभाग की लापरवाही——————–पीएचइडी विभाग के लापरवाही के कारण प्रखंड में बने अधिकांश कुआं उपयोग में नहीं है. अधिकांश कुएं का फर्श टूट गया है तथा लोगों को गोबर सुखाने में काम आ रहा है तो कुछ कुएं गंदगी में तब्दील हो गयी है. देख-रेख के अभाव में यह योजना प्रखंड में सफेद हाथी साबित हो रही है. पेट में होने वाली कई बीमारी से बच सकते थे यहां के लोग——————-शायद यह पेयजल योजना के तहत बनाये गये कुएं एवं लगाये गये चापाकल का पानी की लोग प्रयोग करते तो पेट के कई गंभीर बीमारी से लोग बच सकते थे. कुएं में लगाये गये चापाकल की पानी आयरन, लौह, आर्सेनिक युक्त होती है. कब हुई थी यहां के पानी की जांच——————वर्ष 2003-04 के आस पास में यहां के चापाकलों की पानी का जांच सरकारी स्तर पर हुई थी. जांचोपरांत प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश चापाकलों में आयरन, लौह, आर्सेनिक, फ्लोराइड आदि पाया गया थ. उस तरह के चापाकलों की पानी प्रयोग करने से मना भी किया गया था. वहीं लोगों ने अपना चापाकल चिन्हित स्थान से उखड़वा कर दूसरे स्थान पर गड़वा लिया. दूसरे स्थान पर गाड़े गये चापाकलों का पानी की जांच नहीं हुई और आज तक लोग उस पानी का प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं. कब लगी थी चापाकल—————–वर्ष 2005-06 के आसपास प्रखंड में पीएचइडी विभाग द्वारा कुएं खुदवा कर चापाकल लगवाया गया था. यह कुएं एवं चापाकल जन उपयोगी नहीं हो सका है. यह योजना प्रखंड में अपने लक्ष्य से भटक गया है.क्या करना चाहिए————–पीएचइडी विभाग द्वारा बनाये गये कुएं व लगाये गये चापाकल को पुन: साफ-सफाई एवं दुरुस्त कर इस कुएं की पानी का उपयोग करने तथा रख-रखाव की व्यवस्था करने की जरूरत है ताकि इस योजना का लाभ लोगों को मिले तथा आयरन, लौह, आर्सेनिक मुक्त पानी पी कर पेट के बीमारी से मुक्ति पा सके.कहते हैं प्रखंड वासी—————प्रखंड कि दिलीप पाल, राजू गुप्ता ने कहा कि स्थानीय प्रशासन के उदासीनता के कारण सरकार द्वारा बनायी गयी इस कुएं का लाभ लोगों को नहीं मिल रही है. अमृत रजक, मेघनाथ मंडल, नसीम आलम, संजय साह ने बताया कि विभागीय लापरवाही के कारण प्रखंड वासियों को आयरन, लौह, आर्सेनिक मुक्त पानी से वंचित हैं. दीपक कुमार कर्मकार, विष्धु पाल, पिंटू मंडल, सीटू मंडल ने कहा कि प्रखंड में आयरन, लौह, आर्सेनिक युक्त पानी पीने को लोग विवश हैं. आयरन, आर्सेनिक मुक्त पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा कुआं खुदवा कर उसमें चापाकल लगवाया गया था ताकि यहां के लोग आयरन तथा आर्सेनिक मुक्त पानी का प्रयोग कर सके. लेकिन अमदाबाद प्रखंड में अधिकांश कुआं सही स्थान पर नहीं होना, घटिया सामग्री से कुएं का निर्माण तथा देखरेख के अभाव में अधिकांश कुएं ध्वस्त हो जाना, बस शोभा का वस्तु बन कर रह गया है. राजनीतिक मंचों से भी शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की घोषणा धरे की धरे रह जाती है.
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लाखों की आबादी को नसीब नहीं शुद्ध पेयजल
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