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बचपन पर बाल व्यापार भारी

बचपन पर बाल व्यापार भारी-कटिहार जंक्शन के जरिये बड़े शहर जा रहे हैं सीमांचल के बच्चे -बाल व्यापार करने वालों को पकड़ने में पुलिस उदासीनफोटो नं. 2 कैप्सन-दलाल से मुक्त कराये गये बच्चे (फाइल फोटो).प्रतिनिधि, कटिहारजिले में बालश्रम अब बाल व्यापार का रूप लेता जा रहा है. कटिहार सहित सीमांचल के बच्चों को बड़े पैमाने […]

बचपन पर बाल व्यापार भारी-कटिहार जंक्शन के जरिये बड़े शहर जा रहे हैं सीमांचल के बच्चे -बाल व्यापार करने वालों को पकड़ने में पुलिस उदासीनफोटो नं. 2 कैप्सन-दलाल से मुक्त कराये गये बच्चे (फाइल फोटो).प्रतिनिधि, कटिहारजिले में बालश्रम अब बाल व्यापार का रूप लेता जा रहा है. कटिहार सहित सीमांचल के बच्चों को बड़े पैमाने पर दूसरे बड़े शहर व प्रदेश ले जाये जा रहे हैं. पिछले कुछ मामलों को देखने से साफ जाहिर होता है कि कटिहार जंक्शन इन दिनों बाल व्यापार का सेफजोन बन गया है. खासकर कटिहार से अमृतसर जाने वाली आम्रपाली एक्सप्रेस एवं जोगबनी से आनंद विहार जाने वाली सीमांचल एक्सप्रेस ट्रेन ट्रैफकर (दलाल) के लिये बाल व्यापार का बेहतर साधन बन गया. यूं तो बाढ़-कटाव के इस इलाके से बाल मजदूर का हमेशा पलायन होता रहा है. समय के साथ केंद्र व राज्य सरकार बालश्रम रोकने के लिए कई योजना, नीतियां व कानून भी बनाये हैं. इसका असर भी पड़ा है. लेकिन बदलते परिवेश के साथ बाल व्यापार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ट्रैफकर (दलाल) ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है. पिछले एक पखवारे में 15 बाल मजदूरों को आम्रपाली एक्सप्रेस से रेस्क्यू कर मुक्त कराया गया. लेकिन दलाल पकड़ में नहीं है. इससे साफ जाहिर होता है कि कटिहार जंक्शन से खुलने वाली ट्रेन बाल मजदूर को दूसरे प्रदेश व बड़े शहर में ले जाने के लिए बेहतर साधन बन गया है. हालांकि रेलवे सुरक्षा बल, राजकीय रेल पुलिस व चाइल्ड लाइन आदि के प्रयास से बाहर जाने वाले कुछ बाल मजदूर को मुक्त कराया जाता है. लेकिन व्यवस्था के लिए एक बड़ा सवाल है कि आखिर दलदल पकड़ में क्यों नहीं आ रहा है. ट्रैफकर के रणनीति में बदलावमजदूरी के लिए बच्चों को बाहर ले जाने वाले ट्रैफकर (दलाल) सरकारी व गैर सरकारी रणनीतियों को देखते हुए अपनी रणनीतियों में भी बदलाव करती रही है. पिछले एक पखवारे में 15 बच्चों को आम्रपाली एक्सप्रेस से मुक्त कराया गया. लेकिन एक भी दलदल रेल पुलिस के गिरफ्त में नहीं आया. इससे साफ जाहिर होता है कि दलदल काफी सक्रिय हैं तथा सूझ-बूझ व रणनीति में बदलाव की वजह से पुलिस के चंगुल से बच निकलते हैं. ऐसे में रेल पुलिस व चाइल्ड लाइन आदि को दलाल की रणनीति को जानने के लिए प्रयास करना चाहिए. जब तक ट्रैफकर (दलाल) पर शिकंजा नहीं कसा जायेगा. तब तक ट्रेन के जरिये होने वाले बाल व्यापार पर अंकुश लगाना मुश्किल है. -आम्रपाली व सीमांचल एक्सप्रेस ट्रेन बना साधनयूं तो कटिहार जंक्शन से खुलने वाली विभिन्न लंबी दूरी की ट्रेनों में भी बाल मजदूर भाया कटिहार देश के दूसरे बड़े शहर व प्रदेश जाते हैं, लेकिन आम्रपाली एक्सप्रेस व सीमांचल एक्सप्रेस तो दलाल की पहली पसंद बन गयी है. मुख्य रूप से कटिहार व सीमांचल के इलाके से बाल मजदूर को दलाल इन्हीं दोनों ट्रेनों से बाहर ले जाते हैं. अभी हाल ही में जो बाल मजदूर को मुक्त कराया गया, वह आम्रपाली एक्सप्रेस से ही हुआ. दरअसल, यह दोनों ट्रेन रात्रि 10-12 बजे के बीच कटिहार से खुलती है. ऐसे ट्रैफेकर को लगता है कि मध्य रात्रि के आस पास खुलने वाली ट्रेनों में जांच-पड़ताल कम ही होती है. केस स्टडी – एकएक सप्ताह पूर्व आरपीएफ व चाइल्ड लाइन ने 11 बाज मजदूर को आम्रपाली एक्सप्रेस से मुक्त कराया गया. मुक्त कराये गये सभी बच्चे कटिहार व दूसरे अन्य जिले के थे. जिन्हें बाल कल्याण समिति कटिहार के निर्देश पर चाइल्ड लाइन द्वारा बच्चों को उनके घर तक छोड़ा गया. इन तमाम प्रक्रिया में दलाल कहीं भी नहीं धराया. बड़ी चालाकी से दलाल बच निकलने में कामयाब रहा. केस स्टडी – दो16 सितंबर को फिर आम्रपाली एक्सप्रेस से चार बच्चों को मुक्त कराया गया. ये बच्चे भी दूसरे बड़े शहर व प्रदेश में काम करने के लिए ले जाये जा रहे थे. सीडब्ल्यूसी के आदेश के बाद बच्चे को उनके घर पहुंचाने की प्रक्रिया चल रही है. लेकिन एक बार फिर दलाल हाथ नहीं लगा. आखिर दोनों घटनाओं में दलाल बच निकला. जानकार बताते हैं कि दलाल बड़ी सूझ-बूझ के साथ काम कर रहा है. केस स्टडी – तीनरेल पुलिस की छापामारी में कई बाल मजदूर मुक्त कराये जाते हैं. एक सप्ताह पूर्व रेल पुलिस ने आम्रपाली एक्सप्रेस से 14 बाल मजदूर को मुक्त कराया. बताया जाता है कि ये सभी बाल मजदूर पश्चिम बंगाल के मालदा जिला अंतर्गत सुदूर ग्रामीण इलाके के हैं. ये बच्चे पत्थर तोड़ने के काम के लिए ले जाये जा रहे थे. मुक्त सभी बच्चों को सीडब्ल्यूसी कटिहार के निर्देश पर बाल गृह पूर्णिया भेजा गया. कहते हैं सीडब्ल्यूसी अध्यक्षबाल कल्याण समिति के अध्यक्ष तीरथ कुमार दौलानी ने इस संदर्भ में कहा कि कटिहार जंक्शन के जरिये विभिन्न ट्रेनों से बच्चे को बाहर मजदूरी के लिए ले जाया जाता है. यह गंभीर चिंता का विषय है. विभिन्न ट्रेनों से मुक्त कराये जा रहे बाल मजदूर यही संकेत दे रहे हैं कि ट्रेनों के जरिये बाल मजदूरों के पलायन को रोकना बड़ी चुनौती है.

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