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सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में मुराद होती है पूरी

सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में मुराद होती है पूरी फोटो संख्या-7 कैप्सन-सार्वजनिक दुर्गा मंदिर प्रतिनिधि, कटिहारशहर के सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में सच्चे मन से मांगने वालों की मुराद पूरी होती है. यह मंदिर जानकारों की मुताबिक सौ वर्षों से स्थापित है. यहां पर पूर्व में झोपड़ीनुमा मंदिर हुआ करता था. सबसे पहले मिट्टी के पिंड की […]

सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में मुराद होती है पूरी फोटो संख्या-7 कैप्सन-सार्वजनिक दुर्गा मंदिर प्रतिनिधि, कटिहारशहर के सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में सच्चे मन से मांगने वालों की मुराद पूरी होती है. यह मंदिर जानकारों की मुताबिक सौ वर्षों से स्थापित है. यहां पर पूर्व में झोपड़ीनुमा मंदिर हुआ करता था. सबसे पहले मिट्टी के पिंड की पूजा होती थी. इसके बाद मिट्टी से निर्मित मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गयी. वर्ष 1980 में जयपुर से पत्थर की मूर्ति स्थापित की गयी. मंदिर का निर्माण स्व दर्शन साह ने कराया. स्व दामोदर अग्रवाल की मन्नतें पूरी होने के बाद राजस्थान की राजधानी जयपुर से मां दुर्गा की संगममर की प्रतिमा स्थापित करायी गयी है, जो अब तक स्थापित है. मान्यता है कि कुछ वर्ष पूर्व एक परिवार में एक लड़का गूंगा था, जिसका इलाज पूरे देश के विभिन्न अस्पतालों में कराया गया, लेकिन वह ठीक नहीं हुआ. थक हारकर उस परिवार के लोग सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में पूजा अर्चना करने आये. पूजा के दौरान लड़के के पिता ने मां दुर्गा का जयकारा किया, जिसमें दुर्गा मां के जय का जयकारा लगाया. उसी समय उस गूंगा लड़के के मुंह से पहला शब्द जय निकला और तब से उसकी जुबान लौट आयी और वह बोलने लगा. इसके बाद उस परिवार के लोगों को मां दुर्गा के इस मंदिर के प्रति आस्था बढ़ गया. इस खबर से जिले भर के लोग मंदिर के प्रति आस्था व विश्वास बढ़ने लगा. यही कारण है कि यहां पूजा अर्चना करने शहर ही नहीं पूरे जिले सहित अन्य जिलों से भी लोग बड़ी संख्या श्रद्धालु पहुंचते हैं. -पूर्व में बली देने की थी प्रथा लगभग 50 वर्ष पूर्व सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में भैंस, बकरे व कबूतर की बली देने की प्रथा थी. यह बली मन्नतें पूरी होने के बाद श्रद्धालुओं की ओर से दी जाती थी. लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध करने के कारण बली प्रथा पर रोक लगा दी गयी. -मंदिर निर्माण के लिए दान दी जमीन सार्वजनिक दुर्गामंदिर के निर्माण के लिए उमानाथ मिश्र पिता, दीनानाथ मिश्र ने जमीन दान में दिया था, ताकि मां दुर्गा के भव्य मंदिर का निर्माण कराया जा सके. मंदिर का हो रहा जीर्णोद्धार सार्वजनिक दुर्गा मंदिर की ख्याति जिले सहित दूसरे जिले में भी है. मंदिर समिति मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए संकल्प लिया है. जिसमें तीन करोड़ की लागत से मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. मंदिर जीर्णोद्धार में अब तक एक करोड़ से अधिक राशि खर्च की जा चुकी है. जिले के इस सार्वजनिक दुर्गा मंदिर को बिहार राज्य धार्मिक बोर्ड में मंदिर को शामिल किया जा चुका है. यहां लगता है मेलादुर्गापूजा के अवसर पर यहां भव्य मेला का आयोजन होता है. यहां दूर-दूर से लोग मेला का आनंद उठाने आते हैं. मेला में टावर झूला, मौत का कुंआ, जादूगर, चाट, चौमिंग की दुकान, पुरूष एवं महिलाओं की खरीदारी के लिए सैकड़ों दुकान लगाये जाते हैं. यहां मेला पूर्णिमा तक लगता है. होती है आरतीदुर्गापूजा के समय मां दुर्गा की आरती भव्य तरीके से होती है. आरती में बड़ी संख्या में महिला, पुरुष श्रद्धालु शामिल होते हैं. यहां के आरती का खास महत्व है. -शादी का भी होता है आयोजन सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में शहर समेत जिले भर के लोग शादी कराने आते हैं. लगन के समय में यहां भीड़ उमड़ पड़ती है. नियमों के मुताबिक जोड़ों की शादी करायी जाती है.

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