कटिहार: स्वास्थ्य अब सेवा का क्षेत्र नहीं रह कर व्यावसायिक बनता जा रहा है. हालांकि चिकित्सा सेवा का क्षेत्र पहले से ही लाभ कमाने की अवधारणा के साथ आया है, लेकिन वर्तमान में चिकित्सा सेवा के नाम पर जिस तरह धनोपाजर्न की लालसा बढ़ी है, वह चिंता का विषय है. आज मुनाफा कमाने के उद्देश्य से बेरोक-टोक निजी क्लिनिक, नर्सिग होम, अस्पताल आदि खुल रहे हैं. प्रभात खबर पिछले दो दिन से अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी की स्थिति से अपने पड़ताल के जरिये पाठकों को रू-ब-रू कराया है. प्रभात पड़ताल की तीसरी व अंतिम कड़ी में निजी क्लिनिक व नर्सिग होम की स्थिति पाठकों के सामने रख रही है.
जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में बड़ा-बड़ा बोर्ड लगा कर निजी क्लिनिक व नर्सिग होम चल रहे हैं. कोई यह देखने वाला नहीं है कि निजी क्लिनिक व नर्सिग होम मानक के अनुरूप चल भी रहे या नहीं. ऐसे निजी क्लिनिक व नर्सिग होम की निगरानी करने की जिसे जिम्मेदारी मिली है, वह भी सिर्फ औपचारिकता निभाती है. जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में करीब 135 निबंधित निजी क्लिनिक, नर्सिग होम, अस्पताल आदि चल रहा हैं. जबकि अवैध रूप से भी बड़े पैमाने पर निजी क्लिनिक व नर्सिग होम चल रहे हैं.
निजी स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को आर्थिक दोहन : बाहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर उपचार के लिए मरीज निजी क्लिनिक व नर्सिग होम जाते हैं. लेकिन अधिकांश निजी क्लिनिक व नर्सिग होम में मरीज का आर्थिक दोहन कई स्तरों पर होता है. चिकित्सक परामर्श फीस से मरीजों का आर्थिक दोहन शुरू हो जाता है.
चिकित्सक के परामर्श के बाद मरीजों का आर्थिक शोषण पैथोलॉजी, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड आदि जगहों पर होता है. इसके बाद दवा खरीद में भी शोषण होता है. चिकित्सक का परामर्श फीस की वैधता भी 15 दिनों की होती है. यानी 15 दिन बाद मरीज के पहुंचने पर उसे दुबारा फीस देनी पड़ती है.
अधिकतर की वैधता समाप्त : जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार के द्वारा करीब 135 निजी क्लिनिक, अस्पताल व नर्सिग होम को औपबंधिक निबंधन प्रमाण पत्र दिया गया है. इसमें से अधिकांश की वैधता समाप्त हो गयी है. जानकारों की माने तो अधिकांश निजी क्लिनिक, अस्पताल व नर्सिग होम निबंधन के लिए जो मानक निर्धारित है, वह पूरा नहीं करता है.
मरीज देखने की संख्या निर्धारित नहीं
एक दिन में एक चिकित्सक कितने मरीज को देखेंगे, इसका कोई सीमा नहीं है. जबकि एमसीआइ व सरकार के अन्य नियमों में एक चिकित्सक द्वारा मरीज देखने की संख्या निर्धारित की गयी है. कटिहार शहर के अधिकांश चिकित्सक मानक के विपरीत धड़ल्ले से जितना मरीज पहुंच जाय, सबको देखते हैं. खासकर महिला चिकित्सक के यहां सुबह से ही लंबी लाइन लगी रहती है. स्वास्थ्य विभाग, आयकर विभाग व प्रशासनिक महकमा कभी औचक निरीक्षण कर लें तो यह साफ हो जायेगा कि किस तरह मरीज देखने में विभागीय गाइड-लाइन का उल्लंघन किया जा रहा है.
मूलभूत सुविधाओं का अभाव
अधिकांश निजी क्लिनिक, नर्सिग होम व अस्पताल मूलभूत सुविधा का अभाव है. शुद्ध पेयजल, शौचालय, टायलेट, साफ-सफाई जैसी कई बुनियादी सुविधा का अभाव के बीच विवश होकर अपना उपचार कराने पहुंचते हैं. विभाग के द्वारा कभी औचक निरीक्षण नहीं किया जाता है. इससे मरीज बेबस व लाचार हैं.
कहते हैं सीएस
सिविल सजर्न डॉ सुभाष चंद्र पासवान ने कहा कि अवैध नर्सिग होम व निजी क्लिनिक के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी. ऐसे क्लिनिक व नर्सिग होम आदि के संचालकों को निर्देश दिया गया है कि निबंधन के लिए विभाग को आवेदन दें. विभाग की टीम आवेदन के विरुद्ध जांच-पड़ताल कर प्रक्रिया के तहत निबंधन देगी.