18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मक्का की कीमत में गिरावट, कि सान हताश

कुरसेला: मक्का के मूल्यों के गिरावट ने किसानों को हताश कर दिया है. गिरते बाजार भाव से मक्का की खेती घाटे का सौदा हो गयी है. बाजार मूल्यों पर सरकारी अंकुश नहीं होने से मक्का की दरों में लगातार गिरावट हो रही है. सरकारी स्तर पर मक्का खरीद की व्यवस्था नहीं हो पायी है. इससे […]

कुरसेला: मक्का के मूल्यों के गिरावट ने किसानों को हताश कर दिया है. गिरते बाजार भाव से मक्का की खेती घाटे का सौदा हो गयी है. बाजार मूल्यों पर सरकारी अंकुश नहीं होने से मक्का की दरों में लगातार गिरावट हो रही है. सरकारी स्तर पर मक्का खरीद की व्यवस्था नहीं हो पायी है. इससे किसानों को निर्धारित बाजार दरों में मक्का बिक्री की विवशता बनी हुई है. जानकारी अनुसार मक्का की वर्तमान दर 1065 से 1070 रुपये प्रति क्विंटल है.

ग्रामीण क्षेत्रों में मक्का की दर 1030 से 1050 रुपये के बीच है. बाजार की तय दरों में नमी और क्वालिटी के नाम पर औसतन प्रति क्विंटल एक सौ रुपये का नुकसान किसानों उठाना पड़ता है. रैक प्वाइंट पर नमी व क्वालिटी आधार पर बाजार भाव की तय दरों में गिरावट कर मक्का की खरीदारी की जाती है. यानी अधिकतर किसान मक्का बिक्री करने में दोहन सहने को विवश बने रहते हैं.

गत वर्ष के अपेक्षा रैक प्वांइट पर मक्का खरीदारी व्यवस्था में बदलाव आया है. जानकारी अनुसार सुविधा ग्रामीण एजेंसी, शिव शक्ति व रॉकेट एजेंसी बड़े व्यवसायी के रूप में किसानों छोटे व्यापारियों से मक्का की खरीदारी करने का कार्य कर रही है. माना जाता है कि यही मक्का के व्यवसायी मक्का की दरों का निर्धारण कर रहे हैं. पिछले वर्ष राजस्थान की कंपनी ऋद्धि-सिद्धि कुरसेला रैक प्वाइंट पर सीधे तौर पर मक्का खरीदारी करने का कार्य करती थी. बताया जाता है कि ऋद्धि सिद्धि कंपनी बड़े व्यापारियों के माध्यम से अब मक्का खरीदारी करने का कार्य कर रही है. जिस वजह से मुनाफे का कार्य रही है. जिस वजह से मुनाफे खाने वाले कई लोग हो गये है. जिसका नुकसान कृ षकों को ङोलना पड़ता है.

बिचोलियों की हो रही है चांदी
मक्का कारोबार बीच दलाल बिचौलिया लाभ कमाने में लगे रहते है. किसानों के मक्का बिक्री के लाभ में इस तरह के कई हिस्सेदार हो जाते है. छोटे व्यापारी बाजार के तय मूल्यों से कम कीमतों में मक्का खरीदारी कर बड़े कारोबारियों के हाथों में बिक्री करने का कार्य करते है. इसके अलावा दबंगों के द्वारा रंगदारी का गुजाइस बनाकर लाभ प्राप्त किये जाते है. इतना ही नहीं कई व्यापारी किसानों से मक्का की खरीदारी कर उसका मूल्य पखवाड़े से महीने भर में चुकता करते हैं.
खेती घाटे का सौदा
किसानों का कहना है कि लागत पूंजी और श्रम के अनुरूप मक्का के बाजार मूल्यों से खेती घाटे का सौदा हो गया है. रासायनिक खाद्य बीज, डीजल और जोत के बढ़ते मूल्यों से मक्का खेती का खर्च पूर्व के तुलना में कई गुणा बढ़ गया है. जबकि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मक्का मूल्यों में बढोतरी आने क ी बजाये गिरावट बना हुआ है. जिससे किसानों का मक्का खेती पर लागत पूंजी का निकल पाना कठिन हो गया है. कृषकों को कहना है कि अगर इस तरह के हालात रहे तो मक्का खेती करने से किसान विमुख हो जायेंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें