27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रामवती ने बीड़ी बना कर बेटे को बनाया कैग पदाधिकारी

कटिहार: किसी ने सच ही कहा है हिम्मते मर्दा, मद्दते खुदा, इसी कहावत को चरितार्थ करने का काम किया है विधवा रामवती ने? इस महिला के पति की मृत्यु के बाद अपने परिवार को दो वक्त की रोटी, पुत्र को पढ़ाने के लिए बीड़ी बना कर तथा बेच कर पुत्र को अच्छी शिक्षा दिलायी. आज […]

कटिहार: किसी ने सच ही कहा है हिम्मते मर्दा, मद्दते खुदा, इसी कहावत को चरितार्थ करने का काम किया है विधवा रामवती ने? इस महिला के पति की मृत्यु के बाद अपने परिवार को दो वक्त की रोटी, पुत्र को पढ़ाने के लिए बीड़ी बना कर तथा बेच कर पुत्र को अच्छी शिक्षा दिलायी. आज उसका पुत्र केंद्रीय महालेखा परीक्षक (कैग) में सहायक अंकेक्षण पदाधिकारी कोलकाता में पदस्थापित हैं. यह अवला नारी समाज के लिए प्रेरणास्नेत बनी हुई है.
मदर्स डे के अवसर पर प्रभात खबर की ओर से हम ऐसे एक मां की कहानी प्रस्तुत कर रहे हैं, जो समाज के लिए एक मिसाल बनी हुई है. इस कम आमदनी में रामवती ने बच्चों को निवाला के साथ-साथ पढ़ाई भी करवाया. मंझले पुत्र चंदन कुमार चौधरी को एमकॉम कराया. 2010 के अगस्त में पुत्र को केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा दी. इसमें उसका चयन हो गया. आज के तारीख में रामवती के पास वह सारा सुख सुविधा है, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी.
बतातें चलें कि बच्चों की पढ़ाई आज उनके काम आ गयी. रामवती का पुत्र चंदन कुमार चौधरी भारत सरकार के अधीन कार्य करने वाले केंद्रीय महालेखा परीक्षक विभाग (कैग) में सहायक अंकेक्षण पदाधिकारी के पद पर कोलकाता में तैनात हैं. आज रामवती की गरीबी हट गयी, जो दो जून रोटी और बच्चों की पढ़ाई के लिए मेहनत कर रही थी. आज उनकी मेहनत कामयाब हो गयी.
1984 में हो गयी पति की मृत्यु
शहर के वार्ड नंबर 36 मोफरगंज गड़ेड़ी टोला निवासी रामवती ने जो मेहनत करके कारनामा किया है, वह किसी प्रेरणा से कम नहीं है. मसोमात रामवती के पति कटिहार पुराना जूट मिल में मजदूर की नौकरी करते थे. जिनकी मृत्यु वर्ष 1984 में हो गयी. जिसके बाद रामवती के समक्ष दो बेटे व एक बेटी की परवरिश का जिम्मे के साथ-साथ रोजी-रोटी की समस्या मुंहबाये खड़ा हो गयी. उसने अपनी हिम्मत को नहीं हारा और बीड़ी बनाने का काम शुरू किया. बीड़ी बना कर वह शहर के छोटे-मोटे पान दुकानों में बीड़ी सप्लाई करने लगी. इससे उसका-भरण पोषण जब बेहतर तरीके से नहीं हो रहा था तो उस समय एक सूदखोर से दो सौ रुपये कर्ज पर लेकर छोटी-सी गुमटी खोली. इसमें पान, बीड़ी बेचने लगी. इससे जो कमाई होती थी उसमें से सूद के रूप में उधार लिये रुपये का प्रतिमाह 20 रुपया देती थी. इसके साथ ही वह व्यक्ति मुफ्त में पान, बीड़ी खाता था और मूलधन नहीं लेता था. यह सालों तक चलता रहा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें