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अवैध रूप से चल रहे कोचिंग

कटिहार: माध्यमिक व उच्च शिक्षा में आयी शैक्षणिक गिरावट की वजह से जिले में धड़ल्ले से निजी कोचिंग संस्थान खुलने लगे हैं. सरकारी शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्रएं नामांकन तो कराते हैं लेकिन उनकी शिक्षा कोचिंग संस्थान के भरोसे चल रही है. दूसरी ओर विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कराने के नाम पर भी कोचिंग संस्थान […]

कटिहार: माध्यमिक व उच्च शिक्षा में आयी शैक्षणिक गिरावट की वजह से जिले में धड़ल्ले से निजी कोचिंग संस्थान खुलने लगे हैं. सरकारी शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्रएं नामांकन तो कराते हैं लेकिन उनकी शिक्षा कोचिंग संस्थान के भरोसे चल रही है. दूसरी ओर विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कराने के नाम पर भी कोचिंग संस्थान खुल रहे हैं. धड़ल्ले से खुल रही कोचिंग संस्थान पर नकेल कसने तथा उसमें अध्ययनरत छात्र-छात्रओं को बेहतर शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से नीतीश सरकार ने बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) अधिनियम 2010 लागू किया है.

बिहार में यह अधिनियम 28 अप्रैल 2010 से लागू हो चुकी है. अधिनियम के लागू होने के कुछ माह तक कोचिंग संचालकों में हड़कंप रहा तथा संस्थान के निबंधन के लिए स्थानीय शिक्षा विभाग के दफ्तर का चक्कर लगाते रहे. लेकिन धीरे-धीरे अन्य कानूनों की तरह यह कानून भी महज सरकारी अभिलेख बन कर रह गया. बाबुओं व साहबगिरी के चक्कर में यह कानून आज तक जमीन पर नहीं उतर पायी. फलस्वरूप हर साल बड़ी तादाद में कोचिंग संस्थान जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में खुलते चले गये. कोचिंग की आड़ में छात्र-छात्रओं का आर्थिक शोषण अब तक जारी है. एक आंकड़े के मुताबिक कटिहार जिले में 500 से अधिक कोचिंग संस्थान के पास न तो आधारभूत संरचना है और न ही बुनियादी सुविधा ही उपलब्ध है.

कोचिंग संस्थानों के दावे
कोचिंग संस्थान अपने प्रचार माध्यम से छात्र-छात्राओं को आकर्षित करने के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं. शहरी-ग्रामीण क्षेत्र के हर चौक-चौराहा व गली-मुहल्लों में कोचिंग संस्थान को छोटे-बड़े व फ्लेक्स नजर आ जायेंगे. ऐसे फ्लेक्स व बोर्ड के जरिये कोचिंग संस्थान उत्तम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का दावा करते हैं. दावा ऐसे करते हैं.
कमरा व झोंपड़ी में कोचिंग
ऐसे कोचिंग संस्थान की स्थति बदतर होती है. एक्ट में कोचिंग संस्थान के लिए जो मानक निर्धारित किया है, उसमें अधिकांश संस्थान खरा नहीं उतरता है. एक्ट में प्रावधान है कि कोचिंग जिस कमरे में संचालन होगा. उसका क्षेत्रफल प्रति छात्र प्रति वर्ग मीटर होगा.
इस तरह कई मानक तय किये गये हैं, जिसके पूरा होने के बाद ही कोचिंग संस्थान की स्थापना की जा सकती है. अधिकांश संस्थान एक कमरे में चलता है या फिर फूस की झोपड़ी में संचालन किया जा रहा है.
कहते हैं डीइओ
जिला शिक्षा पदाधिकारी श्रीराम सिंह ने कहा कि बिहार कोचिंग संस्थान अधिनियम 2010 के क्रियान्वयन को लेकर सोमवार को जिला पदाधिकारी के पास संचिका बढ़ायी जायेगी. अब तक मात्र 12 आवेदन निबंधन के लिए प्राप्त हुआ है. डीएम के स्तर से जांचोपरांत निबंधन की कार्रवाई होगी.
एक्ट में ये हैं प्रावधान
कोचिंग एक्ट में कोचिंग संचालन को लेकर कई बुनियादी प्रावधान किये गये हैं. मसलन कोचिंग संस्थान का क्षेत्रफल, फाठ्यचर्चा, प्रतियोगिता परीक्षा की पाठ्यक्रम की तैयारी, नामांकन फीस, निबंधन फीस, पाठ्यक्रम पूर्ण करने की अवधि, शिक्षक की शैक्षणिक योग्यता, समुचित उपस्कर बेंच-डेस्क, पर्याप्त रोशनी विद्युतीकरण, शुद्ध पेयजल, शौचालय, स्वच्छता, अगिAशमन, आकस्मिक चिकित्सा सुविधा, साइकिल-वाहन की पार्किग की व्यवस्था जैसी व्यवस्था कोचिंग संस्थान में होनी चाहिए. ये सब होने के बाद ही उसे विभाग द्वारा निबंधन प्रमाण-पत्र मिल सकेगा.
एक्ट की नहीं होती निगरानी
एक्ट को प्रभावी बनाने व कोचिंग संस्थान को मानक के अनुरूप पाये जाने पर उसे निबंधन देने के लिए जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गयी है. इस कमेटी में जिला शिक्षा पदाधिकारी को सदस्य सचिव की जिम्मेदारी दी गयी है. पुलिस अधीक्षक एवं अंगीभूत कॉलेज के प्राचार्य को सदस्य बनाया गया है. एक्ट के अनुसार डीएम की अध्यक्षता में गठित यह कमेटी निबंधन शर्तो के आधार पर जांचोपरांत आवेदित तिथि से 30 दिनों के भीतर निबंधन प्रमाण पत्र दिया जायेगा.

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