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कृषि कायार्ें में बैल की उपयोगिता घटी

प्रतिनिधि, कुरसेलाकृषि कायार्ें में बैलों की उपयोगिता कम होती जा रही है. ऐसे में पशुपालक मायूस हैं. गांवों में हल-बैल से खेतों की जुताई की जगह ट्रैक्टर ने ले ली है. -तकनीकी विकास ने बैलों को किया बेरोजगारबैल को कृषि तकनीकी के विकास ने किनारा कर दिया है. तीन दशक पूर्व पशुपालन में हर पशुओं […]

प्रतिनिधि, कुरसेलाकृषि कायार्ें में बैलों की उपयोगिता कम होती जा रही है. ऐसे में पशुपालक मायूस हैं. गांवों में हल-बैल से खेतों की जुताई की जगह ट्रैक्टर ने ले ली है. -तकनीकी विकास ने बैलों को किया बेरोजगारबैल को कृषि तकनीकी के विकास ने किनारा कर दिया है. तीन दशक पूर्व पशुपालन में हर पशुओं की जरूरतें होती थी. इसके जरिये कृषि माल ढुलाई सफर का परिचालन किया जाता था. दुल्हन की विदाई और अतिथियों के सवारी गाड़ी के परिचालन का साधन बैल बनता था. बैलों के बिना कृषि कार्य करना असंभव रहता था. पशुपालक हो या कृषक नंदी रूप में इसे महादेव का अंश मानते थे. किसानों की पहचान दो बैल हल हुआ करता था. -कहते हैं पशुपालकपशुपालक रामजी साह, ब्रह्मदेव मंडल, राजेंद्र यादव, मनोज मंडल, सुरेश भगत ने कहा कि बैलों का कार्य घटने से इसकी पूछ और मोल घट गये हैं. व्यापारी को छोड़ किसानों में इसके खरीदारों की संख्या कम हो गयी है. -कहते हैं पशु चिकित्सा पदाधिकारीमामले में प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ तपेश्वर कुमार ने कहा कि तकनीकी विकास से कृषि में इसका कार्य घट गया है.

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